04 August, 2020

KNOWLEDGE OF WISDOM (बुध्दि का ज्ञान)


 KNOWLEDGE OF WISDOM

कुछ विशेष बातें जो बुध्दिमान व्यक्ति जरूर अपनाते हैं 

अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो

बुध्दिमान बन जाईये -  मूर्खतापूर्ण कार्यों को त्याग दीजिये।

बुद्धिमान व्यक्ति कौन है ? 

वह जो व्यवस्थित और समझदार होता है,

वो  समय का सदुपयोग करना  जानता हैं,

जो काम जब जब आवश्यक है, तब तब करता है।


 बातें जो बुध्दिमान व्यक्ति अपने जीवन में जरूर अपनाते हैं :

आप भी बुद्धिमान बन जाएं इन बातों को अपना कर।

  1. कभी भी भाग्य के भरोसे ना बैठें औऱ ईश्वर को कोसना बंद कर दीजिए।

ईश्वर की करुणा का गलत फायदा नहीं उठाते, बल्कि विश्वास के साथ साथ कर्म करते हैं।

अगर आप केवल भाग्य या ईश्वर के भरोसे बैठे हैं तो ये पता लगाइये, कि ईश्वर 

आपके भरोसे कौन से काम करवाना चाहते हैं।

ये सच है,  कि बाइबिल में लिखा है "क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा"। 

यिर्मयाह 29:11

For I know the thoughts that I think towards you, saith the Lord, thoughts of peace, and not of affliction, to give you an end and patience. 

Jeremiah 29:11


सुलेमान कहते हैं- "सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर करता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी रहे: क्योंकि उसका भाग यही है। 

सभोपदेशक 5:18

This therefore hath seemed good to me, that a man should eat and drink, and enjoy the fruit of his labour, wherewith he hath laboured under the sun, all the days of his life, which God hath given him: and this is his portion. 

Ecclesiastes 5:18


इस लिए भाग्य और ईश्वर के कार्यों को अपने काम ना करने की बहाना ना बनाएं,

अपने हिस्से का काम कीजिये, ईश्वर आपको उसका प्रतिफल देंगे।


  1. लक्ष्य बनाओ  - डायरी में  लिखो और उनको सफ़ल करने के लिए योजनाएं बनाओ। योजनाओं के अनुसार 

काम करो।


जहां दर्शन की बात नहीं होती, वहां लोग निरंकुश हो जाते हैं, और जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है। 

नीतिवचन 29:18

 When prophecy shall fail, the people shall be scattered abroad: but he that keepeth the law is blessed. 

Proverbs 29:18


बाइबिल कहती है "बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है"।

        नीतिवचन 15:22


यहोवा ने मुझ से कहा, दर्शन की बातें लिख दे; वरन पटियाओं पर साफ साफ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएं। 

हबक्कूक 2:2

And the Lord answered me, and said: Write the vision, and make it plain upon tables: that he that readeth it may run over it. 

Habakkuk 2:2


 दर्शन की बात नियत समय में पूरी होने वाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी। 

हबक्कूक 2:3

 For as yet the vision is far off, and it shall appear at the end, and shall not lie: if it make any delay, wait for it: for it shall surely come, and it shall not be slack. 

Habakkuk 2:3


बिना लक्ष्य के दिशा हीन से कहीं भी मत चले जाओ।


  1. बुराई से दूर रहो, भलाई करते रहो। 

मत कह, कि मैं बुराई का पलटा लूंगा; वरन यहोवा की बाट जोहता रह, वह तुझ को छुड़ाएगा। 

नीतिवचन 20:22

Say not: I will return evil: wait for the Lord and he will deliver thee. 

Proverbs 20:22


प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। 

रोमियो 12:9

Let love be without dissimulation. Hating that which is evil, cleaving to that which is good. 

Romans 12:9


भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 

रोमियो 12:10

Loving one another with the charity of brotherhood, with honour preventing one another. 

Romans 12:10


 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो। 

रोमियो 12:17

 To no man rendering evil for evil. Providing good things, not only in the sight of God, but also in the sight of all men. 

Romans 12:17


 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। 

रोमियो 12:18

 If it be possible, as much as is in you, have peace with all men. 

Romans 12:18


बाइबिल कहती है, हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। 

रोमियो 12:19

 Revenge not yourselves, my dearly beloved; but give place unto wrath, for it is written: Revenge is mine, I will repay, saith the Lord 

Romans 12:19


बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥ 

रोमियो 12:21

Be not overcome by evil, but overcome evil by good. 

Romans 12:21


  1. बुद्धि मान बनो और समझदारी से चलो:- 

कभी भी नियमों, व्यवस्था, आज्ञाओं का उल्लंघन मत करो, कानून को अपने हाथों में मत लो, मूर्खों की तरह अपनी दृष्टि में ज्यादा बुध्दिमान मत बनो।

आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो। 

रोमियो 12:16

 Being of one mind one towards another. Not minding high things, but consenting to the humble. Be not wise in your own conceits. 

Romans 12:16


 बाइबिल की नीति वचन पुस्तक के अंश:-

  1. इनके द्वारा पढ़ने वाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे, और समझ की बातें समझे, 

नीतिवचन 1:2

To know wisdom, and instruction: 

Proverbs 1:2


  1. और काम करने में प्रवीणता, और धर्म, न्याय और सीधाई की शिक्षा पाए; 

नीतिवचन 1:3

 To understand the words of prudence: and to receive the instruction of doctrine, justice, and judgment, and equity: 

Proverbs 1:3


  1.  कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले; 

नीतिवचन 1:4

To give subtilty to little ones, to the young man knowledge and understanding. 

Proverbs 1:4


  1.  कि बुद्धिमान सुन कर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए, 

नीतिवचन 1:5

A wise man shall hear and shall be wiser: and he that understandeth, shall possess governments. 

Proverbs 1:5


  1. यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं॥ 

नीतिवचन 1:7

 The fear of the Lord is the beginning of wisdom. Fools despise wisdom and instruction. 

Proverbs 1:7


  1.  बुद्धि सड़क में ऊंचे स्वर से बोलती है; और चौकों में प्रचार करती है; 

नीतिवचन 1:20

 Wisdom preacheth abroad, she uttereth her voice in the streets: 

Proverbs 1:20


  1. वह बाजारों की भीड़ में पुकारती है; वह फाटकों के बीच में और नगर के भीतर भी ये बातें बोलती है: 

नीतिवचन 1:21

 At the head of multitudes she crieth out, in the entrance of the gates of the city she uttereth her words, saying: 

Proverbs 1:21


  1.  हे भोले लोगो, तुम कब तक भोलेपन से प्रीति रखोगे? और हे ठट्ठा करने वालो, तुम कब तक ठट्ठा करने से प्रसन्न रहोगे? और हे मूर्खों, तुम कब तक ज्ञान से बैर रखोगे? 

नीतिवचन 1:22

 O children, how long will you love childishness, and fools covet those things which are hurtful to themselves, and the unwise hate knowledge? 

Proverbs 1:22


  1.  तुम मेरी डांट सुन कर मन फिराओ; सुनो, मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिये उण्डेल दूंगी; मैं तुम को अपने वचन बताऊंगी। 

नीतिवचन 1:23

Turn ye at my reproof: behold I will utter my spirit to you, and will shew you my words. 

Proverbs 1:23


  1. मैं ने तो पुकारा परन्तु तुम ने इनकार किया, और मैं ने हाथ फैलाया, परन्तु किसी ने ध्यान न दिया, 

नीतिवचन 1:24

Because I called, and you refused: I stretched out my hand, and there was none that regarded. 

Proverbs 1:24


  1.  वरन तुम ने मेरी सारी सम्मति को अनसुनी किया, और मेरी ताड़ना का मूल्य न जाना; 

नीतिवचन 1:25

 You have despised all my counsel, and have neglected my reprehensions. 

Proverbs 1:25


  1. इसलिये मैं भी तुम्हारी विपत्ति के समय हंसूंगी; और जब तुम पर भय आ पड़ेगा, 

नीतिवचन 1:26

 I also will laugh in your destruction, and will mock when that shall come to you which you feared. 

Proverbs 1:26


  1.  वरन आंधी की नाईं तुम पर भय आ पड़ेगा, और विपत्ति बवण्डर के समान आ पड़ेगी, और तुम संकट और सकेती में फंसोगे, तब मैं ठट्ठा करूंगी। 

नीतिवचन 1:27

When sudden calamity shall fall on you, and destruction, as a tempest, shall be at hand: when tribulation and distress shall come upon you: 

Proverbs 1:27


  1. उस समय वे मुझे पुकारेंगे, और मैं न सुनूंगी; वे मुझे यत्न से तो ढूंढ़ेंगे, परन्तु न पाएंगे। 

नीतिवचन 1:28

Then shall they call upon me, and I will not hear: they shall rise in the morning and shall not find me: 

Proverbs 1:28


  1.  क्योंकि उन्होंने ज्ञान से बैर किया, और यहोवा का भय मानना उन को न भाया। 

नीतिवचन 1:29

Because they have hated instruction and received not the fear of the Lord, 

Proverbs 1:29


  1.  उन्होंने मेरी सम्मति न चाही वरन मेरी सब ताड़नाओं को तुच्छ जाना। 

नीतिवचन 1:30

Nor consented to my counsel, but despised all my reproof. 

Proverbs 1:30


  1. इसलिये वे अपनी करनी का फल आप भोगेंगे, और अपनी युक्तियों के फल से अघा जाएंगे। 

नीतिवचन 1:31

Therefore they shall eat the fruit of their own way, and shall be filled with their own devices. 

Proverbs 1:31


  1. क्योंकि भोले लोगों का भटक जाना, उनके घात किए जाने का कारण होगा, और निश्चिन्त रहने के कारण मूढ़ लोग नाश होंगे; 

नीतिवचन 1:32

The turning away of little ones shall kill them, and the prosperity of fools shall destroy them. 

Proverbs 1:32


  1.  परन्तु जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और बेखटके सुख से रहेगा॥ 

नीतिवचन 1:33

But he that shall hear me, shall rest without terror, and shall enjoy abundance, without fear of evils. 

Proverbs 1:33


  1.  जब तू बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे; 

नीतिवचन 2:2

That thy ear may hearken to wisdom: Incline thy heart to know prudence: 

Proverbs 2:2


  1. और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, 

नीतिवचन 2:3

 For if thou shalt call for wisdom, and incline thy heart to prudence: 

Proverbs 2:3


  1. ओर उस को चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे; 

नीतिवचन 2:4

If thou shalt seek her as money, and shalt dig for her as for a treasure: 

Proverbs 2:4


  1.  तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। 

नीतिवचन 2:5

 Then shalt thou understand the fear of the Lord, and shalt find the knowledge of God. 

Proverbs 2:5


  1.  क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं। 

नीतिवचन 2:6

Because the Lord giveth wisdom: and out of his mouth cometh prudence and knowledge. 

Proverbs 2:6


  1. विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा; और समझ तेरी रक्षक होगी; 

नीतिवचन 2:11

Counsel shall keep thee, and prudence shall preserve thee, 

Proverbs 2:11


  1.  ताकि तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहने वालों से बचाए, 

नीतिवचन 2:12

 That thou mayst be delivered from the evil way, and from the man that speaketh perverse things: 

Proverbs 2:12


  1.  हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना; 

नीतिवचन 3:1

My son, forget not my law, and let thy heart keep my commandments. 

Proverbs 3:1


  1. क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा। 

नीतिवचन 3:2

 For they shall add to thee length of days, and years of life and peace. 

Proverbs 3:2


  1. तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। 

नीतिवचन 3:5

 Have confidence in the Lord with all thy heart, and lean not upon thy own prudence. 

Proverbs 3:5


  1. अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। 

नीतिवचन 3:7

I Be not wise in thy own conceit: fear God, and depart from evil: 

Proverbs 3:7


  1.  क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे, 

नीतिवचन 3:13

 Blessed is the man that findeth wisdom and is rich in prudence: 

Proverbs 3:13


  1. क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है। 

नीतिवचन 3:14

 The purchasing thereof is better than the merchandise of silver, and her fruit than the chiefest and purest gold: 

Proverbs 3:14


  1.  वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी। 

नीतिवचन 3:15

She is more precious than all riches : and all the things that are desired, are not to be compared with her. 

Proverbs 3:15


  1. उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है। 

नीतिवचन 3:16

 Length of days is in her right hand, and in her left hand riches and glory. 

Proverbs 3:16


  1. उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं। 

नीतिवचन 3:17

Her ways are beautiful ways, and all her paths are peaceable. 

Proverbs 3:17


  1.  जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं॥ 

नीतिवचन 3:18

 She is a tree of life to them that lay hold on her: and he that shall retain her is blessed. 

Proverbs 3:18


  1.  यहोवा ने पृथ्वी की नेव बुद्धि ही से डाली; और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया। 

नीतिवचन 3:19

 The Lord by wisdom hath founded the earth, hath established the heavens by prudence. 

Proverbs 3:19


  1. उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है॥ 

नीतिवचन 3:20

 By his wisdom the depths have broken out, and the clouds grow thick with dew 

Proverbs 3:20


  1. हे मेरे पुत्र, ये बातें तेरी दृष्टि की ओट न हाने पाएं; खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर, 

नीतिवचन 3:21

 My son, let not these things depart from thy eyes: keep the law and counsel: 

Proverbs 3:21


  1. तब इन से तुझे जीवन मिलेगा, और ये तेरे गले का हार बनेंगे। 

नीतिवचन 3:22

 And there shall be life to thy soul, and grace to thy mouth. 

Proverbs 3:22


  1.  और तू अपने मार्ग पर निडर चलेगा, और तेरे पांव में ठेस न लगेगी। 

नीतिवचन 3:23

 Then shalt thou walk confidently in thy way, and thy foot shall not stumble: 

Proverbs 3:23


  1. जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख की नींद आएगी। 

नीतिवचन 3:24

 If thou sleep, thou shalt not fear: thou shalt rest, and thy sleep shall be sweet. 

Proverbs 3:24


  1.  अचानक आने वाले भय से न डरना, और जब दुष्टों पर विपत्ति आ पड़े, तब न घबराना; 

नीतिवचन 3:25

Be not afraid of sudden fear, nor of the power of the wicked falling upon thee. 

Proverbs 3:25


  1.  क्योंकि यहोवा तुझे सहारा दिया करेगा, और तेरे पांव को फन्दे में फंसने न देगा। 

नीतिवचन 3:26

 For the Lord will be at thy side, and will keep thy foot that thou be not taken. 

Proverbs 3:26


  1.  जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना॥ 

नीतिवचन 3:27

Do not withhold him from doing good, who is able: if thou art able, do good thyself also. 

Proverbs 3:27


  1. बुद्धिमान महिमा को पाएंगे, और मूर्खों की बढ़ती अपमान ही की होगी॥ 

नीतिवचन 3:35

The wise shall possess glory: the promotion of fools is disgrace. 

Proverbs 3:35


  1.  हे मेरे पुत्रो, पिता की शिक्षा सुनो, और समझ प्राप्त करने में मन लगाओ। 

    1. नीतिवचन 4:1

Hear, ye children, the instruction of a father, and attend that you may know prudence. 

Proverbs 4:1


  1. और मेरा पिता मुझे यह कह कर सिखाता था, कि तेरा मन मेरे वचन पर लगा रहे; तू मेरी आज्ञाओं का पालन कर, तब जीवित रहेगा। 

नीतिवचन 4:4

 And he taught me, and said: Let thy heart receive my words, keep my commandments, and thou shalt live. 

Proverbs 4:4


  1.  बुद्धि को प्राप्त कर, समझ को भी प्राप्त कर; उन को भूल न जाना, न मेरी बातों को छोड़ना। 

नीतिवचन 4:5

Get wisdom, get prudence: forget not, neither decline from the words of my mouth. 

Proverbs 4:5


  1.  बुद्धि को न छोड़, वह तेरी रक्षा करेगी; उस से प्रीति रख, वह तेरा पहरा देगी। 

नीतिवचन 4:6

 Forsake her not, and she shall keep thee: love her, and she shall preserve thee. 

Proverbs 4:6


  1. बुद्धि श्रेष्ट है इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए। 

नीतिवचन 4:7

 The beginning of wisdom, get wisdom, and with all thy possession purchase prudence. 

Proverbs 4:7


  1. उसकी बड़ाई कर, वह तुझ को बढ़ाएगी; जब तू उस से लिपट जाए, तब वह तेरी महिमा करेगी। 

नीतिवचन 4:8

Take hold on her, and she shall exalt thee: thou shalt be glorified by her, when thou shalt embrace her. 

Proverbs 4:8


  1. वह तेरे सिर पर शोभायमान भूषण बान्धेगी; और तुझे सुन्दर मुकुट देगी॥ 

नीतिवचन 4:9

She shall give to thy head increase of graces, and protect thee with a noble crown. 

Proverbs 4:9


  1.  मैं ने तुझे बुद्धि का मार्ग बताया है; और सीधाई के पथ पर चलाया है। 

नीतिवचन 4:11

 I will shew thee the way of wisdom, I will lead thee by the paths of equity: 

Proverbs 4:11


  1. चलने में तुझे रोक टोक न होगी, और चाहे तू दौड़े, तौभी ठोकर न खाएगा। 

नीतिवचन 4:12

Which when thou shalt have entered, thy steps shall not be straitened, and when thou runnest thou shalt not meet a stumblingblock. 

Proverbs 4:12


  1.  शिक्षा को पकड़े रह, उसे छोड़ न दे; उसकी रक्षा कर, क्योंकि वही तेरा जीवन है। 

नीतिवचन 4:13

 Take hold on instruction, leave it not: keep it, because it is thy life. 

Proverbs 4:13


  1. अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। 

नीतिवचन 4:26

 Make straight the path for thy feet, and all thy ways shall be established. 

Proverbs 4:26


  1. न तो दहिनी ओर मुढ़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले॥ 

नीतिवचन 4:27

Decline not to the right hand, nor to the left: turn away thy foot from evil. For the Lord knoweth the ways that are on the right hand: but those are perverse which are on the left hand. But he will make thy courses straight, he will bring forward thy ways in peace. 

Proverbs 4:27


  1. हे मेरे पुत्र, मेरी बुद्धि की बातों पर ध्यान दे, मेरी समझ की ओर कान लगा; 

नीतिवचन 5:1

 My son, attend to my wisdom, and incline thy ear to my prudence. 

Proverbs 5:1


  1. जिस से तेरा विवेक सुरक्षित बना रहे, और तू ज्ञान के वचनों को थामे रहे। 

नीतिवचन 5:2

 That thou mayst keep thoughts, and thy lips may preserve instruction. Mind not the deceit of a woman. 

Proverbs 5:2


  1. हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा का न तज। 

नीतिवचन 6:20

My son, beep the commandments of thy father, and forsake not the law of thy mother. 

Proverbs 6:20


  1.  इन को अपने हृदय में सदा गांठ बान्धे रख; और अपने गले का हार बना ले। 

नीतिवचन 6:21

 Bind them in thy heart continually, and put them about thy neck. 

Proverbs 6:21


  1.  वह तेरे चलने में तेरी अगुवाई, और सोते समय तेरी रक्षा, और जागते समय तुझ से बातें करेगी। 

नीतिवचन 6:22

When thou walkest, let them go with thee: when thou sleepest, let them keep thee; and when thou awakest, talk with them. 

Proverbs 6:22


  1.  आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखाने वाले की डांट जीवन का मार्ग है, 

नीतिवचन 6:23

Because the commandment is a lamp, and the law a light, and reproofs of instruction are the way of life: 

Proverbs 6:23


  1. हे मेरे पुत्र, मेरी बातों को माना कर, और मेरी आज्ञाओं को अपने मन में रख छोड़। 

नीतिवचन 7:1

My son, keep my words, and lay up my precepts with thee. Son, 

Proverbs 7:1


  1. जो बुद्धिमान है, वह आज्ञाओं को स्वीकार करता है, परन्तु जो बकवादी और मूढ़ है, वह पछाड़ खाता है। 

नीतिवचन 10:8

The wise of heart receiveth precepts: a fool is beaten with lips. 

Proverbs 10:8


  1. समझ वालों के वचनों में बुद्धि पाई जाती है, परन्तु निर्बुद्धि की पीठ के लिये कोड़ा है। 

नीतिवचन 10:13

In the lips of the wise is wisdom found: and a rod on the back of him that wanteth sense. 

Proverbs 10:13


  1.  बुद्धिमान लोग ज्ञान को रख छोड़ते हैं, परन्तु मूढ़ के बोलने से विनाश निकट आता है। 

नीतिवचन 10:14

Wise men lay up knowledge: but the mouth of the fool is next to confusion. 

Proverbs 10:14


  1.  जो शिक्षा पर चलता वह जीवन के मार्ग पर है, परन्तु जो डांट से मुंह मोड़ता, वह भटकता है। 

नीतिवचन 10:17

 The way of life, to him that observeth correction: but he that forsaketh reproofs goeth astray. 

Proverbs 10:17


  1. जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है। 

नीतिवचन 10:19

 In the multitude of words there shall not want sin: but he that refraineth his lips is most wise. 

Proverbs 10:19


  1. धर्मी के वचनों से बहुतों का पालन पोषण होता है, परन्तु मूढ़ लोग निर्बुद्धि होने के कारण मर जाते हैं। 

नीतिवचन 10:21

The lips of the just teach many: but they that are ignorant, shall die in the want of understanding. 

Proverbs 10:21


  1.  मूर्ख को तो महापाप करना हंसी की बात जान पड़ती है, परन्तु समझ वाले पुरूष में बुद्धि रहती है। 

नीतिवचन 10:23

A fool worketh mischief as it were for sport: but wisdom is prudence to a man. 

Proverbs 10:23


  1.  धर्मी के मुंह से बुद्धि टपकती है, पर उलट फेर की बात कहने वाले की जीभ काटी जायेगी। 

नीतिवचन 10:31

 The mouth of the just shall bring forth wisdom: the tongue of the perverse shall perish. 

Proverbs 10:31


  1.  मेरी आज्ञाओं को मान, इस से तू जीवित रहेगा, और मेरी शिक्षा को अपनी आंख की पुतली जान; 

नीतिवचन 7:2

 Keep my commandments, and thou shalt live: and my law as the apple of thy eye: 

Proverbs 7:2


  1. उन को अपनी उंगलियों में बान्ध, और अपने हृदय की पटिया पर लिख ले। 

नीतिवचन 7:3

Bind it upon thy fingers, write it upon the tables of thy heart. 

Proverbs 7:3


  1.  बुद्धि से कह कि, तू मेरी बहिन है, और समझ को अपनी साथिन बना; 

नीतिवचन 7:4

 Say to wisdom: Thou art my sister: and call prudence thy friend, 

Proverbs 7:4


  1.  चान्दी नहीं, मेरी शिक्षा ही को लो, और उत्तम कुन्दन से बढ़ कर ज्ञान को ग्रहण करो। 

नीतिवचन 8:10

 Receive my instruction, and not money: choose knowledge rather than gold. 

Proverbs 8:10


  1.  क्योंकि बुद्धि, मूंगे से भी अच्छी है, और सारी मनभावनी वस्तुओं में कोई भी उसके तुल्य नहीं है। 

नीतिवचन 8:11

 or wisdom is better than all the most precious things: and whatsoever may be desired cannot be compared to 

Proverbs 8:11


  1.  मैं जो बुद्धि हूं, सो चतुराई में वास करती हूं, और ज्ञान और विवेक को प्राप्त करती हूं। 

नीतिवचन 8:12

 I wisdom dwell in counsel, and am present in learned thoughts. 

Proverbs 8:12


  1.  यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अंहकार, और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं। 

नीतिवचन 8:13

 The fear of the Lord hateth evil: I hate arrogance, and pride, and every wicked way, and a mouth with a double tongue. 

Proverbs 8:13


  1. उत्तम युक्ति, और खरी बुद्धि मेरी ही है, मैं तो समझ हूं, और पराक्रम भी मेरा है। 

नीतिवचन 8:14

Counsel and equity is mine, prudence is mine, strength is mine. 

Proverbs 8:14


  1. मेरे ही द्वारा राजा राज्य करते हैं, और अधिकारी धर्म से विचार करते हैं; 

नीतिवचन 8:15

 By me kings reign, and lawgivers decree just things, 

Proverbs 8:15


  1.  मेरे ही द्वारा राजा हाकिम और रईस, और पृथ्वी के सब न्यायी शासन करते हैं। 

नीतिवचन 8:16

By me princes rule, and the mighty decree justice. 

Proverbs 8:16


  1.  जो मुझ से प्रेम रखते हैं, उन से मैं भी प्रेम रखती हूं, और जो मुझ को यत्न से तड़के उठ कर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं। 

नीतिवचन 8:17

 I love them that love me: and they that in the morning early watch for me, shall find me. 

Proverbs 8:17


  1.  धन और प्रतिष्ठा मेरे पास है, वरन ठहरने वाला धन और धर्म भी हैं। 

नीतिवचन 8:18

 With me are riches and glory, glorious riches and justice. 

Proverbs 8:18


  1.  मेरा फल चोखे सोने से, वरन कुन्दन से भी उत्तम है, और मेरी उपज उत्तम चान्दी से अच्छी है। 

नीतिवचन 8:19

 For my fruit is better than gold and the precious stone, and my blossoms than choice silver. 

Proverbs 8:19


  1. मैं धर्म की बाट में, और न्याय की डगरों के बीच में चलती हूं, 

नीतिवचन 8:20

 I walk in the way of justice, in the midst of the paths of judgment, 

Proverbs 8:20


  1.  जिस से मैं अपने प्रेमियों को परमार्थ के भागी करूं, और उनके भण्डारों को भर दूं। 

नीतिवचन 8:21

 That I may enrich them that love me, and may fill their treasures. 

Proverbs 8:21


  1.  यहोवा ने मुझे काम करने के आरम्भ में, वरन अपने प्राचीनकाल के कामों से भी पहिले उत्पन्न किया। 

नीतिवचन 8:22

 The Lord possessed me in the beginning of his ways, before he made any thing from the beginning. 

Proverbs 8:22


  1. मैं सदा से वरन आदि ही से पृथ्वी की सृष्टि के पहिले ही से ठहराई गई हूं। 

    1. नीतिवचन 8:23

 I was set up from eternity, and of old before the earth was made. 

Proverbs 8:23


  1.  जब न तो गहिरा सागर था, और न जल के सोते थे तब ही से मैं उत्पन्न हुई। 

नीतिवचन 8:24

 The depths were not as yet, and I was already conceived. neither had the fountains of waters as yet sprung out: 

Proverbs 8:24


  1.  जब पहाड़ वा पहाड़ियां स्थिर न की गई थीं, 

नीतिवचन 8:25

 The mountains with their huge bulk had not as yet been established: before the hills I was brought forth: 

Proverbs 8:25


  1. जब यहोवा ने न तो पृथ्वी और न मैदान, न जगत की धूलि के परमाणु बनाए थे, इन से पहिले मैं उत्पन्न हुई। 

नीतिवचन 8:26

 He had not yet made the earth, nor the rivers, nor the poles of the world. 

Proverbs 8:26


  1.  इसलिये अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो; क्या ही धन्य हैं वे जो मेरे मार्ग को पकड़े रहते हैं। 

नीतिवचन 8:32

 Now therefore, ye children, hear me: Blessed are they that keep my ways. 

Proverbs 8:32


  1. शिक्षा को सुनो, और बुद्धिमान हो जाओ, उसके विषय में अनसुनी न करो। 

नीतिवचन 8:33

 Hear instruction and be wise, and refuse it not. 

Proverbs 8:33


  1.  क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो मेरी सुनता, वरन मेरी डेवढ़ी पर प्रति दिन खड़ा रहता, और मेरे द्वारों के खंभों के पास दृष्टि लगाए रहता है। 

नीतिवचन 8:34

 Blessed is the man that heareth me, and that watcheth daily at my gates, and waiteth at the posts of my doors. 

Proverbs 8:34


  1.  क्योंकि जो मुझे पाता है, वह जीवन को पाता है, और यहोवा उस से प्रसन्न होता है। 

नीतिवचन 8:35

 He that shall find me, shall find life, and shall have salvation from the Lord: 

Proverbs 8:35


  1.  बुद्धि ने अपना घर बनाया और उसके सातों खंभे गढ़े हुए हैं। 

नीतिवचन 9:1

 Wisdom hath built herself a house, she hath hewn her out seven pillars. 

Proverbs 9:1


  1.  भोलों का संग छोड़ो, और जीवित रहो, समझ के मार्ग में सीधे चलो। 

नीतिवचन 9:6

Forsake childishness, and live, and walk by the ways of prudence. 

Proverbs 9:6


  1. जो ठट्ठा करने वाले को शिक्षा देता है, सो अपमानित होता है, और जो दुष्ट जन को डांटता है वह कलंकित होता है॥ 


नीतिवचन 9:7

He that teacheth a scorner, doth an injury to himself: and he that rebuketh a wicked man, getteth himself a blot. 

Proverbs 9:7


  1.  ठट्ठा करने वाले को न डांट ऐसा न हो कि वह तुझ से बैर रखे, बुद्धिमान को डांट, वह तो तुझ से प्रेम रखेगा। 

नीतिवचन 9:8

Rebuke not a scorner lest he hate thee. Rebuke a wise man, and he will love thee. 

Proverbs 9:8


  1.  बुद्धिमान को शिक्षा दे, वह अधिक बुद्धिमान होगा; धर्मी को चिता दे, वह अपनी विद्या बढ़ाएगा। 

नीतिवचन 9:9

Give an occasion to a wise man, and wisdom shall be added to him. Teach a just man, and he shall make haste to receive it. 

Proverbs 9:9


  1.  यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है। 

नीतिवचन 9:10

 The fear of the Lord is the beginning of wisdom: and the knowledge of the holy is prudence. 

Proverbs 9:10


  1.  मेरे द्वारा तो तेरी आयु बढ़ेगी, और तेरे जीवन के वर्ष अधिक होंगे। 

नीतिवचन 9:11

For by me shall thy days be multiplied, and years of life shall be added to thee. 

Proverbs 9:11


  1.  यदि तू बुद्धिमान हो, ते बुद्धि का फल तू ही भोगेगा; और यदि तू ठट्ठा करे, तो दण्ड केवल तू ही भोगेगा॥ 

नीतिवचन 9:12

 If thou be wise, thou shalt be so to thyself: and if a scorner, thou alone shalt bear the evil. 

Proverbs 9:12


  1.  जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है। 

नीतिवचन 11:14

 Where there is no governor, the people shall fall: but there is safety where there is much counsel. 

Proverbs 11:14


  1. जो सुन्दर स्त्री विवेक नहीं रखती, वह थूथन में सोने की नथ पहिने हुए सूअर के समान है। 

नीतिवचन 11:22

 A golden ring in a swine's snout, a woman fair and foolish. 

Proverbs 11:22


  1. जो अपने घराने को दु:ख देता, उसका भाग वायु ही होगा, और मूढ़ बुद्धिमान का दास हो जाता है। 

नीतिवचन 11:29

He that troubleth his own house, shall inherit the winds: and the fool shall serve the wise. 

Proverbs 11:29


  1. धर्मी का प्रतिफल जीवन का वृक्ष होता है, और बुद्धिमान मनुष्य लोगों के मन को मोह लेता है। 

नीतिवचन 11:30

The fruit of the just man is a tree of life: and he that gaineth souls, is wise. 

Proverbs 11:30


  1.  जो शिक्षा पाने में प्रीति रखता है वह ज्ञान से प्रीति रखता है, परन्तु जो डांट से बैर रखता, वह पशु सरीखा है। 

नीतिवचन 12:1

 He that loveth correction, loveth knowledge: but he that hateth reproof is foolish. 

Proverbs 12:1


  1.  मनुष्य कि बुद्धि के अनुसार उसकी प्रशंसा होती है, परन्तु कुटिल तुच्छ जाना जाता है। 

नीतिवचन 12:8

 A man shall be known by his learning: but he that is vain and foolish, shall be exposed to contempt. 

Proverbs 12:8


  1.  जो अपनी भूमि को जोतता, वह पेट भर खाता है, परन्तु जो निकम्मों की संगति करता, वह निर्बुद्धि ठहरता है। 

नीतिवचन 12:11


 He that tilleth his land shall be satisfied with bread: but he that pursueth idleness is very foolish. He that is delighted in passing his time over wine, leaveth a reproach in his strong holds. 

Proverbs 12:11


  1. बुद्धिमान पुत्रा पिता की शिक्षा सुनता है, परन्तु ठट्ठा करने वाला घुड़की को भी नहीं सुनता। 

नीतिवचन 13:1


 A wise son heareth the doctrine of his father: but he that is a scorner, beareth not when he is reproved. 

Proverbs 13:1


  1.  बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच सकते हैं। 

नीतिवचन 13:14

 The law of the wise is a fountain of life, that he may decline from the ruin of death. 

Proverbs 13:14


  1. सुबुद्धि के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु विश्वासघातियों का मार्ग कड़ा होता है। 

नीतिवचन 13:15

Good instruction shall give grace: in the way of scorners is a deep pit. 

Proverbs 13:15


  1.  सब चतुर तो ज्ञान से काम करते हैं, परन्तु मूर्ख अपनी मूढ़ता फैलाता है। 

नीतिवचन 13:16

The prudent mall doth all things with counsel: but he that is a fool, layeth open his folly. 

Proverbs 13:16


  1. दुष्ट दूत बुराई में फंसता है, परन्तु विश्वासयोग्य दूत से कुशल क्षेम होता है। 

नीतिवचन 13:17

The messenger of the wicked shall fall into mischief: but a faithful ambassador is health. 

Proverbs 13:17


  1. जो शिक्षा को सुनी- अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डांट को मानता, उसकी महिमा होती है। 

नीतिवचन 13:18

 Poverty and shame to him that refuseth instruction: but he that yieldeth to reproof, shall be glorified. 

Proverbs 13:18


  1. लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है। 

नीतिवचन 13:19

The desire that is accomplished, delighteth the soul: fools hate them that flee from evil things. 

Proverbs 13:19


  1. बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा। 

नीतिवचन 13:20

He that walketh with the wise, shall be wise: a friend of fools shall become like to them. 

Proverbs 13:20


  1. हर बुद्धिमान स्त्री अपने घर को बनाती है, पर मूढ़ स्त्री उस को अपने ही हाथों से ढा देती है। 

नीतिवचन 14:1

A wise woman buildeth her house: but the foolish will pull down with her hands that also which is built. 

Proverbs 14:1


  1.  मूढ़ के मुंह में गर्व का अंकुर है, परन्तु बुद्धिमान लोग अपने वचनों के द्वारा रक्षा पाते हैं। 

नीतिवचन 14:3

 In the mouth of a fool is the rod of pride: but the lips of the wise preserve them. 

Proverbs 14:3


  1. ठट्ठा करने वाला बुद्धि को ढूंढ़ता, परन्तु नहीं पाता, परन्तु समझ वाले को ज्ञान सहज से मिलता है। 

नीतिवचन 14:6

A scorner seeketh wisdom, and findeth it not: the learning of the wise is easy. 

Proverbs 14:6


  1. मूर्ख से अलग हो जा, तू उस से ज्ञान की बात न पाएगा। 

नीतिवचन 14:7


Go against a foolish man, and he knoweth not the lips of prudence. 

Proverbs 14:7


  1.  चतुर की बुद्धि अपनी चाल का जानना है, परन्तु मूर्खों की मूढ़ता छल करना है। 

नीतिवचन 14:8

 The wisdom of a. discreet man is to understand his way: and the imprudence of fools erreth. 

Proverbs 14:8


  1.  बुद्धिमान डर कर बुराई से हटता है, परन्तु मूर्ख ढीठ हो कर निडर रहता है। 

    1. नीतिवचन 14:16

 A wise man feareth and declineth from evil: the fool leapeth over and is confident. 

Proverbs 14:16


  1.  बुद्धिमानों का धन उन का मुकुट ठहरता है, परन्तु मूर्खों की मूढ़ता निरी मूढ़ता है। 

नीतिवचन 14:24

 The crown of the wise is their riches: the folly of fools, imprudence. 

Proverbs 14:24


  1.  यहोवा के भय मानने से दृढ़ भरोसा होता है, और उसके पुत्रों को शरणस्थान मिलता है। 

नीतिवचन 14:26

 In the fear of the Lord is confidence of strength, and there shall be hope for his children. 

Proverbs 14:26


  1.  समझ वाले के मन में बुद्धि वास किए रहती है, परन्तु मूर्खों के अन्त:काल में जो कुछ है वह प्रगट हो जाता है। 

नीतिवचन 14:33

In the heart of the prudent resteth wisdom, and it shall instruct all the ignorant. 

Proverbs 14:33


  1.  जो कर्मचारी बुद्धि से काम करता है उस पर राजा प्रसन्न होता है, परन्तु जो लज्जा के काम करता, उस पर वह रोष करता है॥ 

नीतिवचन 14:35

 A wise servant is acceptable to the king: he that is good for nothing shall feel his anger. 

Proverbs 14:35

  1. बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुंह से मूढ़ता उबल आती है। 

नीतिवचन 15:2

 The tongue of the wise adorneth knowledge: but the mouth of fools bubbleth out folly. 

Proverbs 15:2


  1.  मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है। 

नीतिवचन 15:5

A fool laugheth at the instruction of his father: but he that regardeth reproofs shall become prudent. In abundant justice there is the greatest strength: but the devices of the wicked shall be rooted out. 

Proverbs 15:5


  1.  बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता। 

नीतिवचन 15:7

 The lips of the wise shall disperse knowledge: the heart of fools shall be unlike. 

Proverbs 15:7


  1.  जो मार्ग को छोड़ देता, उस को बड़ी ताड़ना मिलती है, और जो डांट से बैर रखता, वह अवश्य मर जाता है। 

नीतिवचन 15:10

Instruction is grievous to him that forsaketh the way of life: he that hateth reproof shall die. 

Proverbs 15:10


  1.  समझने वाले का मन ज्ञान की खोज में रहता है, परन्तु मूर्ख लोग मूढ़ता से पेट भरते हैं। 

नीतिवचन 15:14

The heart of the wise seeketh instruction: and the mouth of fools feedeth on foolishness. 

Proverbs 15:14


  1. बुद्धिमान पुत्र से पिता आनन्दित होता है, परन्तु मूर्ख अपनी माता को तुच्छ जानता है। 

नीतिवचन 15:20


 A wise son maketh a father joyful: but the foolish man despiseth his mother. 

Proverbs 15:20


  1.  निर्बुद्धि को मूढ़ता से आनन्द होता है, परन्तु समझ वाला मनुष्य सीधी चाल चलता है। 

नीतिवचन 15:21


Folly is joy to the fool: and the wise man maketh straight his steps. 

Proverbs 15:21


  1.  बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है। 

नीतिवचन 15:22


Designs are brought to nothing where there is no counsel: but where there are many counsellors, they are established. 

Proverbs 15:22


  1.  बुद्धिमान के लिये जीवन का मार्ग ऊपर की ओर जाता है, इस रीति से वह अधोलोक में पड़ने से बच जाता है। 

नीतिवचन 15:24

 The path of life is above for the wise, that he may decline from the lowest hell. 

Proverbs 15:24


  1.  जो जीवनदायी डांट कान लगा कर सुनता है, वह बुद्धिमानों के संग ठिकाना पाता है। 

नीतिवचन 15:31

 The ear that heareth the reproofs of life, shall abide in the midst of the wise. 

    1. Proverbs 15:31


  1.  जो शिक्षा को सुनी-अनसुनी करता, वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है, परन्तु जो डांट को सुनता, वह बुद्धि प्राप्त करता है। 

नीतिवचन 15:32

 He that rejecteth instruction, despiseth his own soul: but he that yieldeth to reproof possesseth understanding. 

Proverbs 15:32


  1.  यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है, और महिमा से पहिले नम्रता होती है॥ 

नीतिवचन 15:33

 The fear of the Lord is the lesson of wisdom: and humility goeth before glory. 

Proverbs 15:33


  1. बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है। 

नीतिवचन 16:16

Get wisdom, because it is better than gold: and purchase prudence, for it is more precious than silver. 

Proverbs 16:16


  1. जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है। 

नीतिवचन 16:21

 The wise in heart shall be called prudent: and he that is sweet in words shall attain to greater things. 

Proverbs 16:21


  1. जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है। 

नीतिवचन 16:22

 Knowledge is a fountain of life to him that possesseth it: the instruction of fools is foolishness. 

Proverbs 16:22


  1.  बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है। 

नीतिवचन 16:23

 The heart of the wise shall instruct his mouth: and shall add grace to his lips. 

Proverbs 16:23


  1. बुद्धि से चलने वाला दास अपने स्वामी के उस पुत्र पर जो लज्जा का कारण होता है प्रभुता करेगा, और उस पुत्र के भाइयों के बीच भागी होगा। 

नीतिवचन 17:2


 A wise servant shall rule over foolish sons, and shall divide the inheritance among the brethren. 

Proverbs 17:2


  1.  बुद्धि मोल लेने के लिये मूर्ख अपने हाथ में दाम क्यों लिए है? वह उसे चाहता ही नहीं। 

नीतिवचन 17:16

 What doth it avail a fool to have riches, seeing he cannot buy wisdom? He that maketh his house high, seeketh a downfall: and he that refuseth to learn, shall fall into evils. 

Proverbs 17:16


  1. निर्बुद्धि मनुष्य हाथ पर हाथ मारता है, और अपने पड़ोसी के सामने उत्तरदायी होता है। 

नीतिवचन 17:18

 A foolish man will clap hands, when he is surety for his friend. 

Proverbs 17:18


  1. बुद्धि समझने वाले के साम्हने ही रहती है, परन्तु मूर्ख की आंखे पृथ्वी के दूर दूर देशों में लगी रहती है। 

नीतिवचन 17:24


Wisdom shineth in the face of the wise: the eyes of fools are in the ends of the earth. 

Proverbs 17:24


  1. जो संभल कर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिसकी आत्मा शान्त रहती है, वही समझ वाला पुरूष ठहरता है। 

नीतिवचन 17:27

He that setteth bounds to his words. is knowing and wise: and the man of understanding is of a precious spirit. 

Proverbs 17:27


  1.  मूढ़ भी जब चुप रहता है, तब बुद्धिमान गिना जाता है; और जो अपना मुंह बन्द रखता वह समझ वाला गिना जाता है॥ 

नीतिवचन 17:28

 Even a fool, if he will hold his peace shall be counted wise: and if he close his lips, a man of understanding. 

Proverbs 17:28


  1.  जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है, 

नीतिवचन 18:1

 He that hath a mind to depart from a friend seeketh occasions: he shall ever be subject to reproach. 

Proverbs 18:1


  1. और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है। मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है। 

नीतिवचन 18:2

A fool receiveth not the words of prudence: unless thou say those things which are in his heart. 

Proverbs 18:2


  1.  मूर्ख का विनाश उस की बातों से होता है, और उसके वचन उस के प्राण के लिये फन्दे होते हैं। 

नीतिवचन 18:7

The mouth of a fool is his destruction: and his lips are the ruin of his soul. 

Proverbs 18:7


  1. समझ वाले का मन ज्ञान प्राप्त करता है; और बुद्धिमान ज्ञान की बात की खोज में रहते हैं। 

नीतिवचन 18:15

A wise heart shall acquire knowledge: and the ear of the wise seeketh instruction. 

Proverbs 18:15


  1. जो निर्धन खराई से चलता है, वह उस मूर्ख से उत्तम है जो टेढ़ी बातें बोलता है। 

नीतिवचन 19:1

Better is the poor man, that walketh in his simplicity, than a rich man that is perverse in his lips, and unwise. 

Proverbs 19:1


  1.  मनुष्य का ज्ञान रहित रहना अच्छा नहीं, और जो उतावली से दौड़ता है वह चूक जाता है। 

नीतिवचन 19:2

 Where there is no knowledge of the soul, there is no good: and he that is hasty with his feet shall stumble. 

Proverbs 19:2


  1. जो बुद्धि प्राप्त करता, वह अपने प्राण का प्रेमी ठहरता है; और जो समझ को धरे रहता है उसका कल्याण होता है। 

नीतिवचन 19:8

But he that possesseth a mind, loveth his own soul, and he that keepeth prudence shall find good things. 

Proverbs 19:8


  1.  जब सुख से रहना मूर्ख को नहीं फबता, तो हाकिमों पर दास का प्रभुता करना कैसे फबे! 

नीतिवचन 19:10

Delicacies are not seemly for a fool: nor for a servant to have rule over princes. 

Proverbs 19:10


  1.  जो मनुष्य बुद्धि से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है, और अपराध को भुलाना उस को सोहता है। 

नीतिवचन 19:11

 The learning of a man is known by patience and his glory is to pass over wrongs. 

Proverbs 19:11


  1.  मूर्ख पुत्र पिता के लिये विपत्ति ठहरता है, और पत्नी के झगड़े-रगड़े सदा टपकने के समान है। 

नीतिवचन 19:13

 A foolish son is the grief of his father: and a wrangling wife is like a roof continually dropping through. 

Proverbs 19:13


  1.  घर और धन पुरखाओं के भाग में, परन्तु बुद्धिमती पत्नी यहोवा ही से मिलती है। 

नीतिवचन 19:14

House and riches are given by parents: but a prudent wife is properly from the Lord. 

Proverbs 19:14


  1. जो आज्ञा को मानता, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो अपने चाल चलन के विषय में निश्चिन्त रहता है, वह मर जाता है। 

नीतिवचन 19:16

 He that keepeth the commandment, keepeth his own soul: but he that neglecteth his own way, shall die. 

Proverbs 19:16


  1. सम्मति को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, कि तू अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे। 

नीतिवचन 19:20

 Hear counsel, and receive instruction, that thou mayst be wise in thy latter end. 

Proverbs 19:20


  1.  हे मेरे पुत्र, यदि तू भटकना चाहता है, तो शिक्षा का सुनना छोड़ दे। 

नीतिवचन 19:27


Cease not, O my son, to hear instruction, and be not ignorant of the words of knowledge. 

Proverbs 19:27


  1. ठट्ठा करने वालों के लिये दण्ड ठहराया जाता है, और मूर्खों की पीठ के लिये कोड़े हैं। 

नीतिवचन 19:29

Judgments are prepared for scorners: and striking hammers for the bodies of fools. 

Proverbs 19:29


  1. दाखमधु ठट्ठा करने वाला और मदिरा हल्ला मचाने वाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं। 

नीतिवचन 20:1

 Wine is a luxurious thing, and drunkenness riotous: whosoever is delighted therewith shell not be wise. 

Proverbs 20:1


  1. मनुष्य के मन की युक्ति अथाह तो है, तौभी समझ वाला मनुष्य उस को निकाल लेता है। 

नीतिवचन 20:5

Counsel in the heart of a man is like deep water: but a wise man will draw it out. 

Proverbs 20:5


  1.  सोना और बहुत से मूंगे तो हैं; परन्तु ज्ञान की बातें अनमोल मणी ठहरी हैं। 

नीतिवचन 20:15

 There is gold, and a multitude of jewels: but the lips of knowledge are a precious vessel. 

Proverbs 20:15


  1.  सब कल्पनाएं सम्मति ही से स्थिर होती हैं; और युक्ति के साथ युद्ध करना चाहिये। 

नीतिवचन 20:18

Designs are strengthened by counsels: and wars are to be managed by governments. 

Proverbs 20:18


 

  1.  बुद्धिमान राजा दुष्टों को फटकता है, ओर उन पर दावने का पहिया चलवाता है। 

नीतिवचन 20:26

A wise king scattereth the wicked, and bringeth over them the wheel. 

Proverbs 20:26


  1.  जब ठट्ठा करने वाले को दण्ड दिया जाता है, तब भोला बुद्धिमान हो जाता है; और जब बुद्धिमान को उपदेश दिया जाता है, तब वह ज्ञान प्राप्त करता है। 

नीतिवचन 21:11

 When a pestilent man is punished, the little one will be wiser: and if he follow the wise, he will receive knowledge. 

Proverbs 21:11


  1.  धर्मी जन दुष्टों के घराने पर बुद्धिमानी से विचार करता है; ईश्वर दुष्टों को बुराइयों में उलट देता है। 

नीतिवचन 21:12

 The just considereth seriously the house of the wicked, that he may withdraw the wicked from evil. 

Proverbs 21:12


  1.  जो मनुष्य बुद्धि के मार्ग से भटक जाए, उसका ठिकाना मरे हुओं के बीच में होगा। 

नीतिवचन 21:16

A man that shall wander out of the way of doctrine, shall abide in the company of the giants. 

Proverbs 21:16


  1.  बुद्धिमान के घर में उत्तम धन और तेल पाए जाते हैं, परन्तु मूर्ख उन को उड़ा डालता है। 

नीतिवचन 21:20

 There is a treasure to be desired, and oil in the dwelling of the just: and the foolish man shall spend it. 

Proverbs 21:20


  1. बुद्धिमान शूरवीरों के नगर पर चढ़ कर, उनके बल को जिस पर वे भरोसा करते हैं, नाश करता है। 

नीतिवचन 21:22

 The wise man hath scaled the city of the strong, and hath cast down the strength of the confidence thereof. 

Proverbs 21:22


  1.  यहोवा के विरूद्ध न तो कुछ बुद्धि, और न कुछ समझ, न कोई युक्ति चलती है। 

नीतिवचन 21:30

 There is no wisdom, there is no prudence, there is no counsel against the Lord. 

Proverbs 21:30


  1. लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उस को चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा। 

नीतिवचन 22:6

It is a proverb: A young man according to his way, even when he is old he will not depart from it. 

Proverbs 22:6


  1.  यहोवा ज्ञानी पर दृष्टि कर के, उसकी रक्षा करता है, परन्तु विश्वासघाती की बातें उलट देता है। 

नीतिवचन 22:12

The eyes of the Lord preserve knowledge: and the words of the unjust are overthrown. 

Proverbs 22:12


  1.  लड़के के मन में मूढ़ता की गाँठ बन्धी रहती है, परन्तु छड़ी की ताड़ना के द्वारा वह उस से दूर की जाती है। 

नीतिवचन 22:15

 Folly is bound up in the heart of a child, and the rod of correction shall drive it away. 

Proverbs 22:15


  1.  कान लगा कर बुद्धिमानों के वचन सुन, और मेरी ज्ञान की बातों की ओर मन लगा; 

नीतिवचन 22:17

 Incline thy ear, and hear the words of the wise: and apply thy heart to my doctrine : 

Proverbs 22:17


  1. यदि तू उस को अपने मन में रखे, और वे सब तेरे मुंह से निकला भी करें, तो यह मन भावनी बात होगी। 

नीतिवचन 22:18

 Which shall be beautiful for thee, if thou keep it in thy bowels, and it shall flow in thy lips: 

Proverbs 22:18


  1.  मैं बहुत दिनों से तेरे हित के उपदेश और ज्ञान की बातें लिखता आया हूं, 

नीतिवचन 22:20

Behold I have described it to thee three manner of ways, in thoughts and knowledge : 

Proverbs 22:20


  1. कि मैं तुझे सत्य वचनों का निश्चय करा दूं, जिस से जो तुझे काम में लगाएं, उन को सच्चा उत्तर दे सके॥ 

नीतिवचन 22:21

 That I might shew thee the certainty, and the words of truth, to answer out of these to them that sent thee. 

Proverbs 22:21


  1. धनी होने के लिये परिश्रम न करना; अपनी समझ का भरोसा छोड़ना। 

नीतिवचन 23:4

 Labour not to be rich: but set bounds to thy prudence. 

Proverbs 23:4


  1.  हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो विशेष कर के मेरा ही मन आनन्दित होगा। 

नीतिवचन 23:15

 My son, if thy mind be wise, my heart shall rejoice with thee: 

Proverbs 23:15


  1.  हे मेरे पुत्र, तू सुन कर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला। 

नीतिवचन 23:19

Hear thou, my son, and be wise: and guide thy mind in the way. 

Proverbs 23:19


  1.  घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है। 

नीतिवचन 24:3

 By wisdom the house shall be built, and by prudence it shall be strengthened. 

Proverbs 24:3


  1. ज्ञान के द्वारा कोठरियां सब प्रकार की बहुमूल्य और मनभाऊ वस्तुओं से भर जाती हैं। 

नीतिवचन 24:4

 By instruction the storerooms shall be filled with all precious and most beautiful wealth. 

Proverbs 24:4


  1.  बुद्धिमान पुरूष बलवान भी होता है, और ज्ञानी जन अधिक शक्तिमान होता है। 

नीतिवचन 24:5

A wise man is strong: and a knowing man, stout and valiant. 

Proverbs 24:5


  1.  इसलिये जब तू युद्ध करे, तब युक्ति के साथ करना, विजय बहुत से मन्त्रियों के द्वारा प्राप्त होती है। 

नीतिवचन 24:6

 Because war is managed by due ordering: and there shall be safety where there are many counsels. 

Proverbs 24:6


  1.  बुद्धि इतने ऊंचे पर है कि मूढ़ उसे पा नहीं सकता; वह सभा में अपना मुंह खोल नहीं सकता॥ 

नीतिवचन 24:7

 Wisdom is too high for a fool, in the gate he shall not open his mouth. 

Proverbs 24:7


  1. जो सोच विचार के बुराई करता है, उस को लोग दुष्ट कहते हैं। 

नीतिवचन 24:8

 He that deviseth to do evils, shall be called a fool. 

Proverbs 24:8


  1.  मूर्खता का विचार भी पाप है, और ठट्ठा करने वाले से मनुष्य घृणा करते हैं॥ 

नीतिवचन 24:9

The thought of a fool is sin: and the detracter is the abomination of men. 

Proverbs 24:9


  1. इसी रीति बुद्धि भी तुझे वैसी ही मीठी लगेगी; यदि तू उसे पा जाए तो अन्त में उसका फल भी मिलेगा, और तेरी आशा न टूटेगी॥ 

नीतिवचन 24:14

 So also is the doctrine of wisdom to thy soul: which when thou hast found, thou shalt have hope in the end, and thy hope shall not perish. 

Proverbs 24:14


  1. बुद्धिमानों के वचन यह भी हैं॥ न्याय में पक्षपात करना, किसी रीति भी अच्छा नहीं। 

नीतिवचन 24:23

These things also to the wise: It is not good to have respect to persons in judgment. 

Proverbs 24:23


  1.  मूर्ख को उस की मूर्खता के अनुसार उत्तर न देना ऐसा न हो कि तू भी उसके तुल्य ठहरे। 

नीतिवचन 26:4

 Answer not a fool according to his folly, lest thou be made like him. 

Proverbs 26:4


  1.  मूर्ख को उसकी मूढ़ता के अनुसार उत्तर न देना, ऐसा न हो कि वह अपने लेखे बुद्धिमान ठहरे। 

नीतिवचन 26:5

 Answer a fool according to his folly, lest he imagine himself to be wise. 

Proverbs 26:5


  1.  जो मूर्ख के हाथ से संदेशा भेजता है, वह मानो अपने पांव में कुल्हाड़ा मारता और विष पीता है। 

नीतिवचन 26:6

 He that sendeth words by a foolish messenger, is lame of feet and drinketh iniquity. 

Proverbs 26:6


  1.  जैसे कुत्ता अपनी छाँट को चाटता है, वैसे ही मूर्ख अपनी मूर्खता को दुहराता है। 

नीतिवचन 26:11

As a dog that returneth to his vomit, so is the fool that repeateth his folly. 

Proverbs 26:11


  1. यदि तू ऐसा मनुष्य देखे जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान बनता हो, तो उस से अधिक आशा मूर्ख ही से है। 

नीतिवचन 26:12

Hast thou seen a man wise in his own conceit? there shall be more hope of a fool than of him. 

Proverbs 26:12


  1.  हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान हो कर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करने वाले को उत्तर दे सकूंगा। 

नीतिवचन 27:11

Study wisdom, my son, and make my heart joyful, that thou mayst give an answer to him that reproacheth. 

Proverbs 27:11


  1.  बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देख कर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हानि उठाते हैं। 

नीतिवचन 27:12

 The prudent man seeing evil hideth himself: little ones passing on have suffered losses. 

Proverbs 27:12


  1.  देश में पाप होन के कारण उसके हाकिम बदलते जाते हैं; परन्तु समझदार और ज्ञानी मनुष्य के द्वारा सुप्रबन्ध बहुत दिन के लिये बना रहेगा। 

नीतिवचन 28:2

 For the sine of the land many are the princes thereof: and for the wisdom of a man, and the knowledge of those things that are said, the life of the prince shall be prolonged. 

Proverbs 28:2


  1. जो लोग व्यवस्था को छोड़ देते हैं, वे दुष्ट की प्रशंसा करते हैं, परन्तु व्यवस्था पर चलने वाले उन से लड़ते हैं। 

नीतिवचन 28:4

They that forsake the law, praise the wicked man: they that keep it, are incensed against him. 

Proverbs 28:4


  1. जो व्यवस्था का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है, परन्तु उड़ाऊ का संगी अपने पिता का मुंह काला करता है। 

नीतिवचन 28:7

He that keepeth the law is a wise son: but he that feedeth gluttons, shameth his father. 

Proverbs 28:7


  1. धनी पुरूष अपनी दृष्टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म बूझ लेता है। 

नीतिवचन 28:11

 The rich man seemeth to himself wise: but the poor man that is prudent shall search him out. 

Proverbs 28:11


  1. जो प्रधान मन्दबुद्धि का होता है, वही बहुत अन्धेर करता है; और जो लालच का बैरी होता है वह दीर्घायु होता है। 

नीतिवचन 28:16

A prince void of prudence shall oppress many by calumny: but he that hateth covetousness, shall prolong his days. 

Proverbs 28:16


  1.  जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; और जो बुद्धि से चलता है, वह बचता है। 

नीतिवचन 28:26

He that trusteth in his own heart, is a fool: but he that walketh wisely, he shall be saved. 

Proverbs 28:26


  1.  जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है। 

नीतिवचन 29:3

A man that loveth wisdom, rejoiceth his father: but he that maintaineth bar lots, shall squander away his substance. 

Proverbs 29:3


  1. जब बुद्धिमान मूढ़ के साथ वाद विवाद करता है, तब वह मूढ़ क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहां शान्ति नहीं रहती। 

नीतिवचन 29:9

If a wise man contend with a fool, whether he be angry or laugh, he shall find no rest. 

Proverbs 29:9


  1. मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है। 

नीतिवचन 29:11

A fool uttereth all his mind: a wise man deferreth, and keepeth it till afterwards. 

Proverbs 29:11


  1.  छड़ी और डांट से बुद्धि प्राप्त होती है, परन्तु जो लड़का यों ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है। 

नीतिवचन 29:15

The rod and reproof give wisdom: but the child that is left to his own will bringeth his mother to shame. 

Proverbs 29:15


  1.  याके के पुत्र आगूर के प्रभावशाली वचन॥ उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा, 

नीतिवचन 30:1

The words of Gatherer the son of Vomiter. The vision which the man spoke with whom God is, and who being strengthened by God, abiding with him, said: 

Proverbs 30:1


  1. निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है। 

नीतिवचन 30:2

I am the most foolish of men, and the wisdom of men is not with me. 

Proverbs 30:2


  1.  न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्र का ज्ञान मुझे मिला है। 

नीतिवचन 30:3

 I have not learned wisdom, and have not known the science of saints. 

Proverbs 30:3


  1. कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता! 

नीतिवचन 30:4

 Who hath ascended up into heaven, and descended? who hath held the wind in his hands? who hath bound up the waters together as in a garment? who hath raised up all the borders of the earth? what is his name, and what is the name of his son, if thou knowest? 

Proverbs 30:4


  1.  ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है। 

नीतिवचन 30:5

 Every word of God is fire tried: he is a buckler to them that hope in him. 

Proverbs 30:5


  1.  उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे॥ 

नीतिवचन 30:6

 Add not any thing to his words, lest thou be reproved, and found a liar: 

Proverbs 30:6


  1.  मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़: 

नीतिवचन 30:7

 Two things I have asked of thee, deny them not to me before I die. 

Proverbs 30:7


  1.  अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। 

नीतिवचन 30:8

Remove far from me vanity, and lying words. Give me neither beggary, nor riches: give me only the necessaries of life: 

Proverbs 30:8


  1.  ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार कर के कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खो कर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं। 

नीतिवचन 30:9

Lest perhaps being filled, I should be tempted to deny, and say: Who is the Lord? or being compelled by poverty, I should steal, and forswear the name of my God. 

Proverbs 30:9


  1. पृथ्वी पर चार छोटे जन्तु हैं, जो अत्यन्त बुद्धिमान हैं: 

नीतिवचन 30:24

There are four very little things of the earth, and they are wiser than the wise: 

Proverbs 30:24


  1. च्यूटियां निर्बल जाति तो हैं, परन्तु धूप काल में अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं; 

नीतिवचन 30:25

The ants, a feeble people, which provide themselves food in the harvest: 

Proverbs 30:25


  1.  यदि तू ने अपनी बड़ाई करने की मूढ़ता की, वा कोई बुरी युक्ति बान्धी हो, तो अपने मुंह पर हाथ धर। 

नीतिवचन 30:32

 There is that hath appeared a fool after he was lifted up on high: for if he had understood, he would have laid his hand upon his mouth. 

Proverbs 30:32


  1. भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उस के पति के मन में उस के प्रति विश्वास है। 

नीतिवचन 31:10

Who shall find a valiant woman? far and from the uttermost coasts is the price of her. 

Proverbs 31:10


  1. और उसे लाभ की घटी नहीं होती। 

नीतिवचन 31:11

The heart of her husband trusteth in her, and he shall have no need of spoils. 

Proverbs 31:11


  1. वह बुद्धि की बात बोलती है, और उस के वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं। 

नीतिवचन 31:26

She hath opened her mouth to wisdom, and the law of clemency is on her tongue. 

Proverbs 31:26


  1. वह अपने घराने के चाल चलन को ध्यान से देखती है, और अपनी रोटी बिना परिश्रम नहीं खाती। 

नीतिवचन 31:27

She hath looked well to the paths of her house, and hath not eaten her bread idle. 

Proverbs 31:27


  1. उसके पुत्र उठ उठकर उस को धन्य कहते हैं, उनका पति भी उठ कर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है: 

नीतिवचन 31:28

 Her children rose up, and called her blessed: her husband, and he praised her. 

Proverbs 31:28


  1. बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे अच्छे काम तो किए हैं परन्तु तू उन सभों में श्रेष्ट है। 

नीतिवचन 31:29

Many daughters have gathered together riches: thou hast surpassed them all. 

Proverbs 31:29


  1.  शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी। 

नीतिवचन 31:30

 Favour is deceitful, and beauty is vain: the woman that feareth the Lord, she shall be praised. 

Proverbs 31:30


  1. उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी॥ 

नीतिवचन 31:31

 Give her of the fruit of her hands: and let her works praise her in the gates. 

Proverbs 31:31




 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो 

याकूब 1:2

 My brethren, count it all joy, when you shall fall into divers temptations; 

James 1:2


 तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। 

याकूब 1:3

 Knowing that the trying of your faith worketh patience. 

James 1:3


 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे॥ 

याकूब 1:4

 And patience hath a perfect work; that you may be perfect and entire, failing in nothing. 

James 1:4


 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी। 

याकूब 1:5

 But if any of you want wisdom, let him ask of God, who giveth to all men abundantly, and upbraideth not; and it shall be given him. 

James 1:5


पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। 

याकूब 1:6

But let him ask in faith, nothing wavering. For he that wavereth is like a wave of the sea, which is moved and carried about by the wind. 

James 1:6


 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा। 

याकूब 1:7

 Therefore let not that man think that he shall receive any thing of the Lord. 

James 1:7


 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥ 

याकूब 1:8

A double minded man is inconstant in all his ways. 

James 1:8


इसलिए मूर्खतापूर्ण कार्य मत कीजिये, अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए ज्ञानियों से सीखिये, बुद्धिमान बन जाईये और समझने की समझ प्राप्त कीजिये।


(5) बिना लगाम के मत दौड़िये- अपने जोश, जुनून को काम में लाईये परन्तु बेलगाम होकर नहीं।



तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के॥


अपने आप को व्यवस्थित करना ही भला है;


भजन संहिता 32:9

मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुंह से कहना यहोवा की ओर से होता है।


नीतिवचन 25:28

हे यहोवा, मैं जान गया हूँ, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो हे, परन्तु उसके डग उसके आधीन नहीं हैं।


             नीतिवचन 16:1

विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है।


नीतिवचन 16:32

जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।


नीतिवचन 18:21

जो अपने मुंह को वश में रखता है वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है।


नीतिवचन 21:23

जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका कर के तोड़ दी गई हो॥


यिर्मयाह 10:23

परन्तु यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं तुझे बचाऊंगा, और जिन मनुष्यों से तू भय खाता है, तू उनके वश में नहीं किया जाएगा।

             यिर्मयाह 39:17


मूर्खो को किसी भी व्यवस्था के अधीन होना बुरा लगता है। आप मूर्खतापूर्ण कार्य मत करो।


(6) बिना सुने, बिना सोचे समझे किसी बात का मतलब मत निकालो, ना जल्दबाजी में गलत उत्तर दो।



मैं ने कहा, मैं अपनी चाल चलन में चौकसी करूंगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्ट मेरे साम्हने है, तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुंह बन्द किए रहूंगा।


भजन संहिता 39:1

यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।


याकूब 1:26

इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।


याकूब 3:2

जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।

            याकूब 3:3


बुद्धिमान लोग कम बोलते हैं और समझदारी से बोलते हैं। 

इसलिए अपनी जीभ को वश में रखो, ईश्वर ने 2 कान दिए हैं ताकि ज्यादा सुनें , सावधानी से सुनें और जीभ एक ही दी है , ताकि कम बोलें या जब उचित हो तभी बोलें, वरना ये अकेली ही काफी है 32 दांतों और 206 हड्डियों को तुड़वाने के लिए।

जीभ को वश में रखो।



 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 

याकूब 3:4

Behold also ships, whereas they are great, and are driven by strong winds, yet are they turned about with a small helm, whithersoever the force of the governor willeth. 

James 3:4


 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 

याकूब 3:5

 Even so the tongue is indeed a little member, and boasteth great things. Behold how small a fire kindleth a great wood. 

James 3:5


जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 

याकूब 3:6

 And the tongue is a fire, a world of iniquity. The tongue is placed among our members, which defileth the whole body, and inflameth the wheel of our nativity, being set on fire by hell. 

James 3:6


 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 

याकूब 3:7

 For every nature of beasts, and of birds, and of serpents, and of the rest, is tamed, and hath been tamed, by the nature of man: 

James 3:7


 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 

याकूब 3:8

 But the tongue no man can tame, an unquiet evil, full of deadly poison. 

James 3:8


 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 

याकूब 3:9

 By it we bless God and the Father: and by it we curse men, who are made after the likeness of God. 

James 3:9


 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 

याकूब 3:10

Out of the same mouth proceedeth blessing and cursing. My brethren, these things ought not so to be. 

James 3:10


हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 

याकूब 3:11

 Doth a fountain send forth, out of the same hole, sweet and bitter water? 

James 3:11


 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता॥ 

याकूब 3:12

 Can the fig tree, my brethren, bear grapes; or the vine, figs? So neither can the salt water yield sweet. 

James 3:12


तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है। 

याकूब 3:13

 Who is a wise man, and endued with knowledge among you? Let him shew, by a good conversation, his work in the meekness of wisdom. 

James 3:13


पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना। 

याकूब 3:14

But if you have bitter zeal, and there be contentions in your hearts; glory not, and be not liars against the truth. 

James 3:14


यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है। 

याकूब 3:15

 For this is not wisdom, descending from above: but earthly, sensual, devilish. 

James 3:15


 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है। 

याकूब 3:16

For where envying and contention is, there is inconstancy, and every evil work. 

James 3:16


पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है। 

याकूब 3:17

But the wisdom, that is from above, first indeed is chaste, then peaceable, modest, easy to be persuaded, consenting to the good, full of mercy and good fruits, without judging, without dissimulation. 

James 3:17


 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है॥ 

याकूब 3:18

And the fruit of justice is sown in peace, to them that make peace. 

James 3:18


 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। 

याकूब 1:19

 You know, my dearest brethren. And let every man be swift to hear, but slow to speak, and slow to anger. 

James 1:19


 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 

याकूब 1:22

 But be ye doers of the word, and not hearers only, deceiving your own selves. 

James 1:22


 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। 

याकूब 1:23

 For if a man be a hearer of the word, and not a doer, he shall be compared to a man beholding his own countenance in a glass. 

James 1:23


 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था। 

याकूब 1:24

 For he beheld himself, and went his way, and presently forgot what manner of man he was. 

James 1:24


 पर जो व्यक्ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। 

याकूब 1:25

But he that hath looked into the perfect law of liberty, and hath continued therein, not becoming a forgetful hearer, but a doer of the work; this man shall be blessed in his deed. 

James 1:25


 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। 

याकूब 1:26

 And if any man think himself to be religious, not bridling his tongue, but deceiving his own heart, this man's religion is vain. 

James 1:26


(7) सब को सही करने की कोशिश मत करो।


लोगों से प्रेम करना है, उन्हें सुधारना नहीं है।

लोगों के साथ दीनता और प्रेम से पेश आयें और अपने आप को बेहतर करते जाएँ, लोग आपको देख कर खुद सुधर जायेंगे।


 सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा। 

इब्रानियों 12:14

Follow peace with all men, and holiness: without which no man shall see God. 

Hebrews 12:14


 ध्यान से देखते रहो, ऐसा न हो, कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूट कर कष्ट दे, और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुद्ध हो जाएं। 

इब्रानियों 12:15

 Looking diligently, lest any man be wanting to the grace of God; lest any root of bitterness springing up do hinder, and by it many be defiled. 

Hebrews 12:15


 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्धकार ही में है। 

1 यूहन्ना 2:9

He that saith he is in the light, and hateth his brother, is in darkness even until now. 

1 John 2:9


 जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 

1 यूहन्ना 2:10

 He that loveth his brother, abideth in the light, and there is no scandal in him. 

1 John 2:10


पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्धकार में है, और अन्धकार में चलता है; और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उस की आंखे अन्धी कर दी हैं॥ 

1 यूहन्ना 2:11

 But he that hateth his brother, is in darkness, and walketh in darkness, and knoweth not whither he goeth; because the darkness hath blinded his eyes. 

1 John 2:11


(8)सच्चाई से अपने कामों को शांतिपूर्ण ढंग से करते जाओ, सफलता खुद शोर मचा देगी।

अपनी बढ़ाई, अपनी तारीफ खुद मत बताते  फिरो, काम ऐसे करो कि लोग खुद आपकी तारीफ करते रहे।

 आप अपने रास्ते पर, सच्चाई से, सत्य निष्ठा, समर्पण के साथ जाग्रत रहते हुए चलते रहो, आपकी निगाह  आपकी अपनी मंज़िल हो पर हो, उसके लिए अपने काम को और बेहतर से बेहतर बनाने के लिए उस पर पूरा  ध्यान दो, जिससे सफलता मिलती है। 


"लक्ष्य ना ओझल होने पाये, कदम कदम बढ़ाए चल।

मंज़िल तुझको मिल जाएगी, आज नहीं तो कल"।


"जिस दिन से चला हूँ मंज़िल की तरफ,

मैंने मील का पत्थर नहीं देखा"।


आप बढ़ते रहो, प्रार्थना करते रहो, सच्चाई से जीवन बिताओ, भलाई करो, सीखो और सफलता प्राप्त करो ।

अपने पहले उद्देश्य को मत भूलना।

जब चुनोतियाँ हो सामने तो अपने हौसले को और बुलंद करो।


"कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं

हारा वही जो कभी लड़ा नहीं"।


"मंज़िल मिल ही जायेगी, भटकते ही सही,

गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं"


"रख हौसला वो मंजर भी आयेगा; 

प्यासे के पास चल के समुन्दर भी आयेगा। 

थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर; 

मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आयेगा"।


(8) कृतज्ञ रहें, धन्यवाद दीजिये। 


ईश्वर को और लोगों को , धन्यवाद प्रेम का अनोखा रूप है।

जो आपकी जिंदगी में आये और आपको नया अनुभव दिया। 

ईश्वर ने आपको इतना सब कुछ मुफ्त में दिया है, तो उनका धन्यवाद कीजिये।


14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ। 

1 थिस्सलुनीकियों 5:14

14 And we beseech you, brethren, rebuke the unquiet, comfort the feeble minded, support the weak, be patient towards all men. 

1 Thessalonians 5:14



 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्टा करो। 

1 थिस्सलुनीकियों 5:15

 See that none render evil for evil to any man; but ever follow that which is good towards each other, and towards all men. 

1 Thessalonians 5:15


सदा आनन्दित रहो। 

1 थिस्सलुनीकियों 5:16

 Always rejoice. 

1 Thessalonians 5:16


 निरन्तर प्रार्थना मे लगे रहो। 

1 थिस्सलुनीकियों 5:17

 Pray without ceasing. 

1 Thessalonians 5:17


 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो॥ 

1 थिस्सलुनीकियों 5:22

 From all appearance of evil refrain yourselves. 

1 Thessalonians 5:22


इस कारण, हे यहोवा, मैं जाति जाति के साम्हने तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा।


2 शमूएल 22:50

यहोवा का धन्यवाद करो, उस से प्रार्थना करो; देश देश में उसके कामों का प्रचार करो।


1 इतिहास 16:8

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; उसकी करुणा सदा की है।


1 इतिहास 16:34

और प्रति भोर और प्रति सांझ को यहोवा का धन्यवाद और उसकी स्तुति करने के लिये खड़े रहा करें।


1 इतिहास 23:30

क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होता; अधोलोक में कौन तेरा धन्यवाद करेगा?


भजन संहिता 6:5

मैं यहोवा के धर्म के अनुसार उसका धन्यवाद करूंगा, और परमप्रधान यहोवा के नाम का भजन गाऊंगा॥


भजन संहिता 7:17

हे यहोवा परमेश्वर मैं अपने पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं तेरे सब आश्चर्य कर्मों का वर्णन करूंगा।


भजन संहिता 9:1

इस कारण मैं जाति जाति के साम्हने तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा।


भजन संहिता 18:49

ताकि तेरा धन्यवाद ऊंचे शब्द से करूं,


भजन संहिता 26:7

यहोवा मेरा बल और मेरी ढ़ाल है; उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है; इसलिये मेरा हृदय प्रफुल्लित है; और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूंगा।


भजन संहिता 28:7

हे यहोवा के भक्तों, उसका भजन गाओ, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो।


भजन संहिता 30:4

जब मैं कब्र में चला जाऊंगा तब मेरे लोहू से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी सच्चाई का प्रचार कर सकती है?


भजन संहिता 30:9

ताकि मेरी आत्मा तेरा भजन गाती रहे और कभी चुप न हो। हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूंगा॥


भजन संहिता 30:12

वीणा बजा बजाकर यहोवा का धन्यवाद करो, दस तार वाली सारंगी बजा बजाकर उसका भजन गाओ।


भजन संहिता 33:2

मैं बड़ी सभा में तेरा धन्यवाद करूंगा; बहुतेरे लोगों के बीच में तेरी स्तुति करूंगा॥


भजन संहिता 35:18

मैं भीड़ के संग जाया करता था, मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ उत्सव करने वाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन को धीरे धीरे जाया करता था; यह स्मरण करके मेरा प्राण शोकित हो जाता है।


भजन संहिता 42:4

हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा॥


भजन संहिता 42:5

हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा॥


भजन संहिता 42:11

तब मैं परमेश्वर की वेदी के पास जाऊंगा, उस ईश्वर के पास जो मेरे अति आनन्द का कुण्ड है; और हे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर मैं वीणा बजा बजाकर तेरा धन्यवाद करूंगा॥


भजन संहिता 43:4

हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख, क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है; मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा॥


भजन संहिता 43:5

हम परमेश्वर की बड़ाई दिन भर करते रहते हैं, और सदैव तेरे नाम का धन्यवाद करते रहेंगे॥


भजन संहिता 44:8

मैं ऐसा करूंगा, कि तेरी नाम की चर्चा पीढ़ी से पीढ़ी तक होती रहेगी; इस कारण देश देश के लोग सदा सर्वदा तेरा धन्यवाद करते रहेंगे॥


भजन संहिता 45:17

परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर;


भजन संहिता 50:14

धन्यवाद के बलिदान का चढ़ाने वाला मेरी महिमा करता है; और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है उसको मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊंगा!


भजन संहिता 50:23

मैं तेरा धन्यवाद सर्वदा करता रहूंगा, क्योंकि तू ही ने यह काम किया है। मैं तेरे ही नाम की बाट जोहता रहूंगा, क्योंकि यह तेरे पवित्र भक्तों के साम्हने उत्तम है॥


भजन संहिता 52:9

मैं तुझे स्वेच्छाबलि चढ़ाऊंगा; हे यहोवा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा, क्योंकि यह उत्तम है।


भजन संहिता 54:6

हे परमेश्वर, तेरी मन्नतों का भार मुझ पर बना है; मैं तुझ को धन्यवाद बलि चढ़ाऊंगा।


भजन संहिता 56:12

हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊंगा।


भजन संहिता 57:9

हे परमेश्वर, देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें॥


भजन संहिता 67:3

हे परमेश्वर, देश देश के लोग तेरा धन्यवाद करें; देश देश के सब लोग तेरा धन्यवाद करें॥


भजन संहिता 67:5

सभाओं में परमेश्वर का, हे इस्राएल के सोते से निकले हुए लोगों, प्रभु का धन्यवाद करो।


भजन संहिता 68:26

मैं गीत गाकर तेरे नाम की स्तुति करूंगा, और धन्यवाद करता हुआ तेरी बड़ाई करूंगा।


भजन संहिता 69:30

हे मेरे परमेश्वर, मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी बजाकर गाऊंगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजा कर तेरा भजन गाऊंगा।


भजन संहिता 71:22

हे परमेश्वर हम तेरा धन्यवाद करते, हम तेरा नाम का धन्यवाद करते हैं; क्योंकि तेरा नाम प्रगट हुआ है, तेरे आश्चर्यकर्मों का वर्णन हो रहा है॥


भजन संहिता 75:1

तब हम जो तेरी प्रजा और तेरी चराई की भेड़ें हैं, तेरा धन्यवाद सदा करते रहेंगे; और पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा गुणानुवाद करते रहेंगें॥


भजन संहिता 79:13

हे प्रभु हे मेरे परमेश्वर मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा।


भजन संहिता 86:12

क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत काम करेगा? क्या मरे लोग उठ कर तेरा धन्यवाद करेंगे?


भजन संहिता 88:10

यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना;


भजन संहिता 92:1

हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएं, और भजन गाते हुए उसका जयजयकार करें!


भजन संहिता 95:2

हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित हो; और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो!


भजन संहिता 97:12

वे तेरे महान और भययोग्य नाम का धन्यवाद करें! वह तो पवित्र है।


भजन संहिता 99:3

उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!


भजन संहिता 100:4

यहोवा का धन्यवाद करो, उससे प्रार्थना करो, देश देश के लोगों में उसके कामों का प्रचार करो!


भजन संहिता 105:1

याह की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!


भजन संहिता 106:1

हे हमारे परमेश्वर यहोवा, हमारा उद्धार कर, और हमें अन्यजातियों में से इकट्ठा कर ले, कि हम तेरे पवित्र नाम का धन्यवाद करें, और तेरी स्तुति करते हुए तेरे विषय में बड़ाई करें॥


भजन संहिता 106:47

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!


भजन संहिता 107:1

लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!


भजन संहिता 107:8

लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!


भजन संहिता 107:15

लोग यहोवा की करूणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!


भजन संहिता 107:21

और वे धन्यवाद बलि चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें॥


भजन संहिता 107:22

लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।


भजन संहिता 107:31

हे यहोवा, मैं देश देश के लोगों के मध्य में तेरा धन्यवाद करूंगा, और राज्य राज्य के लोगों के मध्य में तेरा भजन गाऊंगा।


भजन संहिता 108:3

मैं यहोवा का बहुत धन्यवाद करूंगा, और बहुत लोगों के बीच में उसकी स्तुति करूंगा।


भजन संहिता 109:30

याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।


भजन संहिता 111:1

मैं तुझ को धन्यवाद बलि चढ़ाऊंगा, और यहोवा से प्रार्थना करूंगा।


भजन संहिता 116:17

हे जाति जाति के सब लोगों यहोवा की स्तुति करो! हे राज्य राज्य के सब लोगो, उसकी प्रशंसा करो!क्योंकि उसकी करूणा हमारे ऊपर प्रबल हुई है; और यहोवा की सच्चाई सदा की है याह की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!


भजन संहिता 118:1

मेरे लिये धर्म के द्वार खोलो, मैं उन से प्रवेश करके याह का धन्यवाद करूंगा॥


भजन संहिता 118:19

हे यहोवा मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, क्योंकि तू ने मेरी सुन ली है और मेरा उद्धार ठहर गया है।


भजन संहिता 118:21

हे यहोवा, तू मेरा ईश्वर है, मैं तेरा धन्यवाद करूंगा; तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझ को सराहूंगा॥


भजन संहिता 118:28

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा बनी रहेगी!


भजन संहिता 118:29

जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।


भजन संहिता 119:7

तेरे धर्ममय नियमों के कारण मैं आधी रात को तेरा धन्यवाद करने को उठूंगा।


भजन संहिता 119:62

वहां याह के गोत्र गोत्र के लोग यहोवा के नाम का धन्यवाद करने को जाते हैं; यह इस्राएल के लिये साक्षी है।


भजन संहिता 122:4

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है।


भजन संहिता 136:1

जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।


भजन संहिता 136:2

जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है॥


भजन संहिता 136:3

स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है।


भजन संहिता 136:26

मैं पूरे मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; देवताओं के सामने भी मैं तेरा भजन गाऊँगा।


भजन संहिता 138:1

मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत करूँगा, और तेरी करुणा और सच्चाई के कारण तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा, क्योंकि तू ने अपने वचन को अपने बड़े नाम से अधिक महत्त्व दिया है।


भजन संहिता 138:2

हे यहोवा, पृथ्वी के सब राजा तेरा धन्यवाद करेंगे, क्योंकि उन्होंने तेरे वचन सुने हैं;


भजन संहिता 138:4

मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।


भजन संहिता 139:14

नि:सन्देह धर्मी तेरे नाम का धन्यवाद करने पाएंगे; सीधे लोग तेरे सम्मुख वास करेंगे॥


भजन संहिता 140:13

मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूं! धर्मी लोग मेरे चारों ओर आएंगे; क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा॥


भजन संहिता 142:7

हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे!


भजन संहिता 145:10

धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।


भजन संहिता 147:7

उस दिन तू कहेगा, हे यहोवा, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, क्योंकि यद्यिप तू मुझ पर क्रोधित हुआ था, परन्तु अब तेरा क्रोध शान्त हुआ, और तू ने मुझे शान्ति दी है॥


यशायाह 12:1

हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं।


यशायाह 25:1

क्योंकि अधोलोक तेरा धन्यवाद नहीं कर सकता, न मृत्यु तेरी स्तुति कर सकती है; जो कबर में पड़ें वे तेरी सच्चाई की आशा नहीं रख सकते


यशायाह 38:18

जीवित, हाँ जीवित ही तेरा धन्यवाद करता है, जैसा मैं आज कर रहा हूं; पिता तेरी सच्चाई का समाचार पुत्रों को देता है॥


यशायाह 38:19

यहोवा ने सिय्योन को शान्ति दी है, उसने उसके सब खण्डहरों को शान्ति दी है; वह उसके जंगल को अदन के समान और उस के निर्जल देश को यहोवा की बाटिका के समान बनाएगा; उस में हर्ष और आनन्द और धन्यवाद और भजन गाने का शब्द सुनाई पड़ेगा॥


यशायाह 51:3

क्योंकि जैसे भूमि अपनी उपज को उगाती, और बारी में जो कुछ बोया जाता है उसको वह उपजाती है, वैसे ही प्रभु यहोवा सब जातियों के साम्हने धामिर्कता और धन्यवाद को बढ़ाएगा॥


यशायाह 61:11

इन्हीं में हर्ष और आनन्द का शब्द, दुल्हे-दुल्हिन का शब्द, और इस बात के कहने वालों का शब्द फिर सुनाईं पड़ेगा कि सेनाओं के यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि यहोवा भला है, और उसकी करुणा सदा की है। और यहोवा के भवन में धन्यवादबलि लाने वालों का भी शब्द सुनाईं देगा; क्योंकि मैं इस देश की दशा पहिले की नाईं ज्यों की त्यों कर दूंगा, यहोवा का यही वचन है।


यिर्मयाह 33:11

हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूं, क्योंकि तू ने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है, और जिस भेद का खुलना हम लोगों न तुझ से मांगे था, उसे तू ने मुझ पर प्रगट किया है, तू ने हम को राजा की बात बताई है।


दानिय्येल 2:23

बातें सीख कर और यहोवा की ओर फिर कर, उस से कह, सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर; तब हम धन्यवाद रूपी बलि चढ़ाएंगे।


होशे 14:2

परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है।


योना 2:9

उसी समय यीशु ने कहा, हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु; मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया है।


मत्ती 11:25

तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को।


मत्ती 14:19

और उन सात रोटियों और मछिलयों को ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपने चेलों को देता गया; और चेले लोगों को।


मत्ती 15:36

फिर उस ने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, तुम सब इस में से पीओ।


मत्ती 26:27

और वह उस घड़ी वहां आकर प्रभु का धन्यवाद करने लगी, और उन सभों से, जो यरूशलेम के छुटकारे की बाट जोहते थे, उसके विषय में बातें करने लगी।


लूका 2:38

वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है।


लूका 6:35

उसी घड़ी वह पवित्र आत्मा में होकर आनन्द से भर गया, और कहा; हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया: हां, हे पिता, क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा।


लूका 10:21

फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूं।


लूका 18:11

तब उस ने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और कहा, इस को लो और आपस में बांट लो।


लूका 22:17

फिर उस ने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उन को यह कहते हुए दी, कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।


लूका 22:19

जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।


लूका 24:30

तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी: और वैसे ही मछिलयों में से जितनी वे चाहते थे बांट दिया।


यूहन्ना 6:11

(तौभी और छोटी नावें तिबिरियास से उस जगह के निकट आई, जहां उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।)


यूहन्ना 6:23

तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।


यूहन्ना 11:41

इस को हम हर जगह और हर प्रकार से धन्यवाद के साथ मानते हैं।


प्रेरितों के काम 24:3

और यह कहकर उस ने रोटी लेकर सब के साम्हने परमेश्वर का धन्यवाद किया; और तोड़कर खाने लगा।


प्रेरितों के काम 27:35

वहां से भाई हमारा समाचार सुनकर अप्पियुस के चौक और तीन-सराए तक हमारी भेंट करने को निकल आए जिन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्वर का धन्यवाद किया, और ढाढ़स बान्धा॥


प्रेरितों के काम 28:15

पहिले मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है।


रोमियो 1:8

इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया।


रोमियो 1:21

परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।


रोमियो 6:17

मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं॥


रोमियो 7:25

जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जा नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है।


रोमियो 14:6

और अन्यजाति भी दया के कारण परमेश्वर की बड़ाई करें, जैसा लिखा है, कि इसलिये मैं जाति जाति में तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम के भजन गाऊंगा।


रोमियो 15:9

उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।


रोमियो 16:4

मैं तुम्हारे विषय में अपने परमेश्वर का धन्यवाद सदा करता हूं, इसलिये कि परमेश्वर का यह अनुग्रह तुम पर मसीह यीशु में हुआ।


1 कुरिन्थियों 1:4

मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि क्रिस्पुस और गयुस को छोड़, मैं ने तुम में से किसी को भी बपतिस्मा नहीं दिया।


1 कुरिन्थियों 1:14

वह धन्यवाद का कटोरा, जिस पर हम धन्यवाद करते हैं, क्या मसीह के लोहू की सहभागिता नहीं? वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या वह मसीह की देह की सहभागिता नहीं?


1 कुरिन्थियों 10:16

यदि मैं धन्यवाद करके साझी होता हूं, तो जिस पर मैं धन्यवाद करता हूं, उसके कारण मेरी बदनामीं क्यों होती है?


1 कुरिन्थियों 10:30

और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।


1 कुरिन्थियों 11:24

नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन क्योंकर कहेगा? इसलिये कि वह तो नहीं जानता, कि तू क्या कहता है?


1 कुरिन्थियों 14:16

तू तो भली भांति से धन्यवाद करता है, परन्तु दूसरे की उन्नति नहीं होती।


1 कुरिन्थियों 14:17

मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि मैं तुम सब से अधिक अन्य अन्य भाषा में बोलता हूं।


1 कुरिन्थियों 14:18

परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है।


1 कुरिन्थियों 15:57

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है।


2 कुरिन्थियों 1:3

और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें॥


2 कुरिन्थियों 1:11

परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्सव में लिये फिरता है, और अपने ज्ञान का सुगन्ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है।


2 कुरिन्थियों 2:14

क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक होकर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए॥


2 कुरिन्थियों 4:15

और परमेश्वर का धन्यवाद हो, जिस ने तुम्हारे लिये वही उत्साह तितुस के हृदय में डाल दिया है।


2 कुरिन्थियों 8:16

कि तुम हर बात में सब प्रकार की उदारता के लिये जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किए जाओ।


2 कुरिन्थियों 9:11

क्योंकि इस सेवा के पूरा करने से, न केवल पवित्र लोगों की घटियां पूरी होती हैं, परन्तु लोगों की ओर से परमेश्वर का बहुत धन्यवाद होता है।


2 कुरिन्थियों 9:12

परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो॥


2 कुरिन्थियों 9:15

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उस ने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है।


इफिसियों 1:3

तुम्हारे लिये धन्यवाद करना नहीं छोड़ता, और अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण किया करता हूं।


इफिसियों 1:16

और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाएं।


इफिसियों 5:4

और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो।


इफिसियों 5:20

मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।


फिलिप्पियों 1:3

किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।


फिलिप्पियों 4:6

हम तुम्हारे लिये नित प्रार्थना करके अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता अर्थात परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।


कुलुस्सियों 1:3

और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।


कुलुस्सियों 1:12

और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो॥


कुलुस्सियों 2:7

और मसीह की शान्ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।


कुलुस्सियों 3:15

और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो॥


कुलुस्सियों 3:17

प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो।


कुलुस्सियों 4:2

हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।


1 थिस्सलुनीकियों 1:2

इसलिये हम भी परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर करते हैं; कि जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उस मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया: और वह तुम में जो विश्वास रखते हो, प्रभावशाली है।


1 थिस्सलुनीकियों 2:13

और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के साम्हने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें?


1 थिस्सलुनीकियों 3:9

हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।


1 थिस्सलुनीकियों 5:18

हे भाइयो, तुम्हारे विषय में हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है इसलिये कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और तुम सब का प्रेम आपस में बहुत ही होता जाता है।


2 थिस्सलुनीकियों 1:3

पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति करके उद्धार पाओ।


2 थिस्सलुनीकियों 2:13

और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिस ने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उस ने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।


1 तीमुथियुस 1:12

अब मैं सब से पहिले यह उपदेश देता हूं, कि बिनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएं।


1 तीमुथियुस 2:1

क्योंकि परमेश्वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है: और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए।


1 तीमुथियुस 4:4

जिस परमेश्वर की सेवा मैं अपने बाप दादों की रीति पर शुद्ध विवेक से करता हूं, उसका धन्यवाद हो कि अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हूं।


2 तीमुथियुस 1:3

सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं; और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूं।


फिलेमोन 1:5

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह के हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।


1 पतरस 1:3

और जब वे प्राणी उस की जो सिंहासन पर बैठा है, और जो युगानुयुग जीवता है, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे।


प्रकाशित वाक्य 4:9

और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।


प्रकाशित वाक्य 5:12

फिर मैं ने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।


प्रकाशित वाक्य 5:13

हमारे परमेश्वर की स्तुति, ओर महिमा, और ज्ञान, और धन्यवाद, और आदर, और सामर्थ, और शक्ति युगानुयुग बनी रहें। आमीन।


प्रकाशित वाक्य 7:12



यह कहने लगे, कि हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, जो है, और जो था, हम तेरा धन्यवाद करते हैं, कि तू ने अपनी बड़ी सामर्थ्य काम में ला कर राज्य किया है।


प्रकाशित वाक्य 11:17



धन्यवाद के लिए सारे भविष्य वक्ता, दाऊद और खुद प्रभु यीशु मसीह हमारे आदर्श हैं, चाहे परिस्थितियों के द्वारा हम संकट झेल रहे हों, धन्यवाद दें, मन में शांति और बुराईयों से छुटकारा मिलेगा।


(9)गलत तरह से पैसा बनाने से बचें।


 जल्दी धनी बनने के लिए गलत तरीकों से धन इकट्ठा ना करें, जो जल्दी अमीर बनना चाहते हैं वो बहुत से प्रलोभन में आकर मन की शांति और मान सम्मान खो देते हैं 


पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।


1 तीमुथियुस 6:9



तो अब प्रसन्न हो कर अपने दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तू ने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे।


2 शमूएल 7:29

यहोवा जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है, और परमेश्वर जो मेरे उद्धार की चट्टान है, उसकी महिमा हो।


2 शमूएल 22:47

धर्मी का थोड़ा से माल दुष्टों के बहुत से धन से उत्तम है।


भजन संहिता 37:16

सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!


भजन संहिता 39:6

क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा।


भजन संहिता 41:1

क्या ऊंच, क्या नीच क्या धनी, क्या दरिद्र, कान लगाओ!


भजन संहिता 49:2

जो अपनी सम्पत्ति पर भरोसा रखते, और अपने धन की बहुतायत पर फूलते हैं,


भजन संहिता 49:6

जब कोई धनी हो जाए और उसके घर का वैभव बढ़ जाए, तब तू भय न खाना।


भजन संहिता 49:16

अन्धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पति बढ़े, तौभी उस पर मन न लगाना॥


भजन संहिता 62:10

देखो, ये तो दुष्ट लोग हैं; तौभी सदा सुभागी रहकर, धन सम्पत्ति बटोरते रहते हैं।


भजन संहिता 73:12

कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ॥


भजन संहिता 82:4

मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।


भजन संहिता 119:14

ओर उस को चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;


नीतिवचन 2:4

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,


नीतिवचन 3:13

उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।


नीतिवचन 3:16

जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं॥


नीतिवचन 3:18

जब तेरा पड़ोसी तेरे पास बेखटके रहता है, तब उसके विरूद्ध बुरी युक्ति न बान्धना।


नीतिवचन 3:29

तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह,


नीतिवचन 5:18

दुष्ट अपने ही अधर्म के कर्मों से फंसेगा, और अपने ही पाप के बन्धनों में बन्धा रहेगा।


नीतिवचन 5:22

तौभी यदि वह पकड़ा जाए, तो उस को सातगुणा भर देना पडेगा; वरन अपने घर का सारा धन देना पड़ेगा।


नीतिवचन 6:31

धन और प्रतिष्ठा मेरे पास है, वरन ठहरने वाला धन और धर्म भी हैं।


नीतिवचन 8:18

इसलिये अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो; क्या ही धन्य हैं वे जो मेरे मार्ग को पकड़े रहते हैं।


नीतिवचन 8:32

क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो मेरी सुनता, वरन मेरी डेवढ़ी पर प्रति दिन खड़ा रहता, और मेरे द्वारों के खंभों के पास दृष्टि लगाए रहता है।


नीतिवचन 8:34

दुष्टों के रखे हुए धन से लाभ नही होता, परन्तु धर्म के कारण मृत्यु से बचाव होता है।


नीतिवचन 10:2

जो काम में ढिलाई करता है, वह निर्धन हो जाता है, परन्तु कामकाजी लोग अपने हाथों के द्वारा धनी होते हैं।


नीतिवचन 10:4

धनी का धन उसका दृढ़ नगर है, परन्तु कंगाल लोग निर्धन होने के कारण विनाश होते हैं।


नीतिवचन 10:15

धन यहोवा की आशीष ही से मिलता है, और वह उसके साथ दु:ख नहीं मिलाता।


नीतिवचन 10:22

कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता, परन्तु धर्म मृत्यु से भी बचाता है।


नीतिवचन 11:4

अनुग्रह करने वाली स्त्री प्रतिष्ठा नहीं खोती है, और बलात्कारी लोग धन को नहीं खोते।


नीतिवचन 11:16

जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है, परन्तु धर्मी लोग नये पत्ते की नाईं लहलहाते हैं।


नीतिवचन 11:28

कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, और कोई धन उड़ा देता, तौभी उसके पास बहुत रहता है।


नीतिवचन 13:7

प्राण की छुड़ौती मनुष्य का धन है, परन्तु निर्धन घुड़की को सुनता भी नहीं।


नीतिवचन 13:8

निर्धन के पास माल नहीं रहता, परन्तु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है।


नीतिवचन 13:11

जो शिक्षा को सुनी- अनसुनी करता वह निर्धन होता और अपमान पाता है, परन्तु जो डांट को मानता, उसकी महिमा होती है।


नीतिवचन 13:18

निर्धन का पड़ोसी भी उस से घृणा करता है, परन्तु धनी के बहुतेरे प्रेमी होते हैं।


नीतिवचन 14:20

जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता, वह पाप करता है, परन्तु जो दीन लोगों पर अनुग्रह करता, वह धन्य होता है।


नीतिवचन 14:21

बुद्धिमानों का धन उन का मुकुट ठहरता है, परन्तु मूर्खों की मूढ़ता निरी मूढ़ता है।


नीतिवचन 14:24

धर्मी के घर में बहुत धन रहता है, परन्तु दुष्ट के उपार्जन में दु:ख रहता है।


नीतिवचन 15:6

घबराहट के साथ बहुत रखे हुए धन से, यहोवा के भय के साथ थोड़ा ही धन उत्तम है,


नीतिवचन 15:16

जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।


नीतिवचन 16:20

जो निर्धन को ठट्ठों में उड़ाता है, वह उसके कर्त्ता की निन्दा करता है; और जो किसी की विपत्ति पर हंसता, वह निर्दोष नहीं ठहरेगा।


नीतिवचन 17:5

धनी का धन उसकी दृष्टि में गढ़ वाला नगर, और ऊंचे पर बनी हुई शहरपनाह है।


नीतिवचन 18:11

निर्धन गिड़गिड़ा कर बोलता है, परन्तु धनी कड़ा उत्तर देता है।


नीतिवचन 18:23

जो निर्धन खराई से चलता है, वह उस मूर्ख से उत्तम है जो टेढ़ी बातें बोलता है।


नीतिवचन 19:1

धनी के तो बहुत मित्र हो जाते हैं, परन्तु कंगाल के मित्र उस से अलग हो जाते हैं।


नीतिवचन 19:4

जब निर्धन के सब भाई उस से बैर रखते हैं, तो निश्चय है कि उसके मित्र उस से दूर हो जाएं। वह बातें करते हुए उनका पीछा करता है, परन्तु उन को नहीं पाता।


नीतिवचन 19:7

घर और धन पुरखाओं के भाग में, परन्तु बुद्धिमती पत्नी यहोवा ही से मिलती है।


नीतिवचन 19:14

मनुष्य कृपा करने के अनुसार चाहने योग्य होता है, और निर्धन जन झूठ बोलने वाले से उत्तम है।


नीतिवचन 19:22

धर्मी जो खराई से चलता रहता है, उसके पीछे उसके लड़के बाले धन्य होते हैं।


नीतिवचन 20:7

जो धन झूठ के द्वारा प्राप्त हो, वह वायु से उड़ जाने वाला कोहरा है, उसके ढूंढ़ने वाले मृत्यु ही को ढूंढ़ते हैं।


नीतिवचन 21:6

जो रागरंग से प्रीति रखता है, वह कंगाल होता है; और जो दाखमधु पीने और तेल लगाने से प्रीति रखता है, वह धनी नहीं होता।


नीतिवचन 21:17

बुद्धिमान के घर में उत्तम धन और तेल पाए जाते हैं, परन्तु मूर्ख उन को उड़ा डालता है।


नीतिवचन 21:20

बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, और सोने चान्दी से औरों की प्रसन्नता उत्तम है।


नीतिवचन 22:1

धनी और निर्धन दोनों एक दूसरे से मिलते हैं; यहोवा उन दोनों का कर्त्ता है।


नीतिवचन 22:2

नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है।


नीतिवचन 22:4

धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है, और उधार लेने वाला उधार देने वाले का दास होता है।


नीतिवचन 22:7

जो अपने लाभ के निमित्त कंगाल पर अन्धेर करता है, और जो धनी को भेंट देता, वे दोनो केवल हानि ही उठाते हैं॥


नीतिवचन 22:16

क्योंकि यहोवा उनका मुकद्दमा लड़ेगा, और जो लोग उनका धन हर लेते हैं, उनका प्राण भी वह हर लेगा।


नीतिवचन 22:23

धनी होने के लिये परिश्रम न करना; अपनी समझ का भरोसा छोड़ना।


नीतिवचन 23:4

जो निर्धन पुरूष कंगालों पर अन्धेर करता है, वह ऐसी भारी वर्षा के समान है। जो कुछ भोजन वस्तु नहीं छोड़ती।


नीतिवचन 28:3

टेढ़ी चाल चलने वाले धनी मनुष्य से खराई से चलने वाला निर्धन पुरूष ही उत्तम है।


नीतिवचन 28:6

जो अपना धन ब्याज आदि बढ़ती से बढ़ाता है, वह उसके लिये बटोरता है जो कंगालों पर अनुग्रह करता है।


नीतिवचन 28:8

धनी पुरूष अपनी दृष्टि में बुद्धिमान होता है, परन्तु समझदार कंगाल उसका मर्म बूझ लेता है।


नीतिवचन 28:11

जो मनुष्य निरन्तर प्रभु का भय मानता रहता है वह धन्य है; परन्तु जो अपना मन कठोर कर लेता है वह विपत्ति में पड़ता है।


नीतिवचन 28:14

सच्चे मनुष्य पर बहुत आशीर्वाद होते रहते हैं, परन्तु जो धनी होने में उतावली करता है, वह निर्दोष नहीं ठहरता।


नीतिवचन 28:20

लोभी जन धन प्राप्त करने में उतावली करता है, और नहीं जानता कि वह घटी में पड़ेगा।


नीतिवचन 28:22

जो निर्धन को दान देता है उसे घटी नहीं होती, परन्तु जो उस से दृष्टि फेर लेता है वह शाप पर शाप पाता है।


नीतिवचन 28:27

जो पुरूष बुद्धि से प्रीति रखता है, अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु वेश्याओं की संगति करने वाला धन को उड़ा देता है।


नीतिवचन 29:3

निर्धन और अन्धेर करने वाला पुरूष एक समान है; और यहोवा दोनों की आंखों में ज्योति देता है।


नीतिवचन 29:13

जहां दर्शन की बात नहीं होती, वहां लोग निरंकुश हो जाते हैं, और जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है।


नीतिवचन 29:18

अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर।


नीतिवचन 30:8

ऐसे लोग हैं, जो अपने पिता को शाप देते और अपनी माता को धन्य नहीं कहते।


नीतिवचन 30:11

कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।


सभोपदेशक 4:8

यदि तू किसी प्रान्त में निर्धनों पर अन्धेर और न्याय और धर्म को बिगड़ता देखे, तो इस से चकित न होना; क्योंकि एक अधिकारी से बड़ा दूसरा रहता है जिसे इन बातों की सुधि रहती है, और उन से भी ओर अधिक बड़े रहते हैं।


सभोपदेशक 5:8

जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।


सभोपदेशक 5:10

परिश्रम करने वाला चाहे थोड़ा खाए, था बहुत, तौभी उसकी नींद सुखदाई होती है; परन्तु धनी के धन के बढ़ने के कारण उसको नींद नहीं आती।


सभोपदेशक 5:12

मैं ने धरती पर एक बड़ी बुरी बला देखी है; अर्थात वह धन जिसे उसके मालिक ने अपनी ही हानि के लिये रखा हो,


सभोपदेशक 5:13

वरन हर एक मनुष्य जिसे परमेश्वर ने धन सम्पत्ति दी हो, और उन से आनन्द भोगने और उस में से अपना भाग लेने और परिश्रम करते हुए आनन्द करने को शक्ति भी दी हो- यह परमेश्वर का वरदान है।


सभोपदेशक 5:19

किसी मनुष्य को परमेश्वर धन सम्पत्ति और प्रतिष्ठा यहां तक देता है कि जो कुछ उसका मन चाहता है उसे उसकी कुछ भी घटी नहीं होती, तौभी परमेश्वर उसको उस में से खाने नहीं देता, कोई दूसरा की उसे खाता है; यह व्यर्थ और भयानक दु:ख है।


सभोपदेशक 6:2

फिर मैं ने धरती पर देखा कि न तो दौड़ में वेग दौड़ने वाले और न युद्ध में शूरवीर जीतते; न बुद्धिमान लोग रोटी पाते न समझ वाले धन, और न प्रवीणों पर अनुग्रह होता है, वे सब समय और संयोग के वश में है।


सभोपदेशक 9:11

अर्थात मूर्ख बड़ी प्रतिष्ठा के स्थानों में ठहराए जाते हैं, और धनवाल लोग नीचे बैठते हैं।


सभोपदेशक 10:6

हे देश, तू धन्य है जब तेरा राजा कुलीन है; और तेरे हाकिम समय पर भोज करते हैं, और वह भी मतवाले होने को नहीं, वरन्त बल बढ़ाने के लिये!


सभोपदेशक 10:17

राजा को मन में भी शाप न देना, न धनवान को अपने शयन की कोठरी में शाप देना; क्योंकि कोई आकाश का पक्षी तेरी वाणी को ले जाएगा, और कोई उड़ाने वाला जन्तु उस बात को प्रगट कर देगा॥


सभोपदेशक 10:20

उनका देश चान्दी और सोने से भरपूर है, और उनके रखे हुए धन की सीमा नहीं; उनका देश घोड़ों से भरपूर है, और उनके रथ अनगिनित हैं।


यशायाह 2:7

इसलिये जो धन उन्होंने बचा रखा, और जो कुछ उन्होंने इकट्ठा किया है, उस सब को वे उस नाले के पार लिये जा रहे हैं जिस में मजनूवृक्ष हैं।


यशायाह 15:7

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे;


यिर्मयाह 9:23

जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिडिय़ा के दिए हुए अंडों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है।


यिर्मयाह 17:11

परन्तु जितने तुझे अब खाए लेते हैं, वे आप ही खाए जाएंगे, और तेरे द्रोही आप सब के सब बंधुआई में जाएंगे; और तेरे लूटने वाले आप लुटेंगे ओर जितने तेरा धन छीनते हैं, उनका धन मैं छिनवाऊंगा।


यिर्मयाह 30:16

और मैं उसे लूटने के लिये परदेशियों के हाथ, और धन छीनने के लिये पृथ्वी के दुष्ट लोगों के वश में कर दूंगा; और वे उसे अपवित्र कर डालेंगे।


यहेजकेल 7:21

देश के साधारण लोग भी अन्धेर करते और पराया धन छीनते हैं, वे दीन दरिद्र को पीसते और न्याय की चिन्ता छोड़ कर परदेशी पर अन्धेर करते हैं।


यहेजकेल 22:29

और लोग तेरा धन लूटेंगे और तेरे व्यापार की वस्तुएं छीन लेंगे; वे तेरी शहरपनाह ढा देंगे और तेरे मनभाऊ घर तोड़ डालेंगे; तेरे पत्थर और काठ, और तेरी धूलि वे जल में फेंक देंगे।


यहेजकेल 26:12

तू ने अपनी बुद्धि और समझ के द्वारा धन प्राप्त किया, और अपने भण्डारों में सोना-चान्दी रखा है;


यहेजकेल 28:4

तू ने बड़ी बुद्धि से लेन-देन किया जिस से तेरा धन बढ़ा, और धन के कारण तेरा मन फूल उठा है।


यहेजकेल 28:5

और इस्राएल के घराने के चारों ओर की जितनी जातियां उनके साथ अभिमान का बर्ताव करती हैं, उन में से कोई उनका चुभने वाला काँटा वा बेधने वाला शूल फिर न ठहरेगी; तब वे जान लेंगी कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।


यहेजकेल 28:24

इस कारण परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, देख, मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को मिस्र देश दूंगा; और वह उसकी भीड़ को ले जाएगा, और उसकी धन सम्पत्ति को लूटकर अपना कर लेगा; सो यही मजदूरी उसकी सेना को मिलेगी।


यहेजकेल 29:19

तब वह भेद दानिय्येल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। सो दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर का यह कह कर धन्यवाद किया,


दानिय्येल 2:19

परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं।


दानिय्येल 2:20

हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूं, क्योंकि तू ने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है, और जिस भेद का खुलना हम लोगों न तुझ से मांगे था, उसे तू ने मुझ पर प्रगट किया है, तू ने हम को राजा की बात बताई है।


दानिय्येल 2:23

नबूकदनेस्सर कहने लगा, धन्य है शद्रक, मेशक और अबेदनगो का परमेश्वर, जिसने अपना दूत भेज कर अपने इन दासों को इसलिये बचाया, क्योंकि इन्होंने राजा की आज्ञा न मान कर, उसी पर भरोसा रखा, और यह सोच कर अपना शरीर भी अर्पण किया, कि हम अपने परमेश्वर को छोड़, किसी देवता की उपासना वा दण्डवत न करेंगे।


दानिय्येल 3:28

क्या अब तक दुष्ट के घर में दुष्टता से पाया हुआ धन और छोटा एपा घृणित नहीं है?


मीका 6:10

यहां के धनवान् लोग उपद्रव का काम देखा करते हैं; और यहां के सब रहने वाले झूठ बोलते हैं और उनके मुंह से छल की बातें निकलती हैं।


मीका 6:12

चांदी को लूटो, सोने को लूटो, उसके रखे हुए धन की बहुतायत, और वैभव की सब प्रकार की मनभावनी सामग्री का कुछ परिमाण नहीं॥


नहूम 2:9

हाय उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है।


नहूम 3:1

तब उनकी धन सम्पत्ति लूटी जाएगी, और उनके घर उजाड़ होंगे; वे घर तो बनाएंगे, परन्तु उन में रहने न पाएंगे; और वे दाख की बारियां लगाएंगे, परन्तु उन से दाखमधु न पीने पाएंगे॥


सपन्याह 1:13

उनके मोल लेने वाले उन्हें घात करने पर भी अपने को दोषी नहीं जानते, और उनके बेचने वाले कहते हैं, यहोवा धन्य है, हम धनी हो गए हैं; और उनके चरवाहे उन पर कुछ दया नहीं करते।


जकर्याह 11:5

सुनो, यहोवा का एक ऐसा दिन आने वाला है जिस में तेरा धन लूट कर तेरे बीच में बांट लिया जाएगा।


जकर्याह 14:1

अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।


मत्ती 6:19

परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।


मत्ती 6:20

क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।


मत्ती 6:21

कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा; “तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते”।


मत्ती 6:24

जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता।


मत्ती 13:22

स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर और अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया॥


मत्ती 13:44

यीशु ने उस से कहा, यदि तू सिद्ध होना चाहता है; तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले।


मत्ती 19:21

परन्तु वह जवान यह बात सुन उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था॥


मत्ती 19:22

तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।


मत्ती 19:23

फिर तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है।


मत्ती 19:24

उसके स्वामी ने उससे कहा, धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा; मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊंगा अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हो।


मत्ती 25:21

उसके स्वामी ने उस से कहा, धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊंगा अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हो।


मत्ती 25:23

तो तुझे चाहिए था, कि मेरा रुपया सर्राफों को दे देता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता।


मत्ती 25:27

जब सांझ हुई तो यूसुफ नाम अरिमतियाह का एक धनी मनुष्य जो आप ही यीशु का चेला था आया: उस ने पीलातुस के पास जाकर यीशु की लोथ मांगी।


मत्ती 27:57

और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है। और वह निष्फल रह जाता है।


मरकुस 4:19

यीशु ने उस पर दृष्टि करके उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।


मरकुस 10:21

इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।


मरकुस 10:22

यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!


मरकुस 10:23

चेले उस की बातों से अचम्भित हुए, इस पर यीशु ने फिर उन को उत्तर दिया, हे बाल को, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उन के लिये परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!


मरकुस 10:24

परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!


मरकुस 10:25

जो झाड़ियों में गिरा, सो वे हैं, जो सुनते हैं, पर होते होते चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं, और उन का फल नहीं पकता।


लूका 8:14

ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं॥


लूका 12:21

अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।


लूका 12:33

क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा॥


लूका 12:34

कोई दास दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता: क्योंकि वह तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा; या एक से मिल रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा: तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते॥


लूका 16:13

एक धनवान मनुष्य था जो बैंजनी कपड़े और मलमल पहिनता और प्रति दिन सुख-विलास और धूम-धाम के साथ रहता था।


लूका 16:19

और वह चाहता था, कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरे; वरन कुत्ते भी आकर उसके घावों को चाटते थे।


लूका 16:21

और ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर इब्राहीम की गोद में पहुंचाया; और वह धनवान भी मरा; और गाड़ा गया।


लूका 16:22

और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था।


लूका 19:2

सो उस ने कहा, एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर फिर आए।


लूका 19:12

उस ने उस से कहा; धन्य हे उत्तम दास, तुझे धन्य है, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासी निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख।


लूका 19:17

उस ने उन को, और, और ऐसी वस्तुओं के कारीगरों को इकट्ठे करके कहा; हे मनुष्यो, तुम जानते हो, कि इस काम में हमें कितना धन मिलता है।


प्रेरितों के काम 19:25

आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!


रोमियो 11:33

तुम तो तृप्त हो चुके; तुम धनी हो चुके, तुम ने हमारे बिना राज्य किया; परन्तु भला होता कि तुम राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते।


1 कुरिन्थियों 4:8

देखो, मैं तीसरी बार तुम्हारे पास आने को तैयार हूं, और मैं तुम पर कोई भार न रखूंगा; क्योंकि मैं तुम्हारी सम्पत्ति नहीं, वरन तुम ही को चाहता हूं: क्योंकि लड़के-बालों को माता-पिता के लिये धन बटोरना न चाहिए, पर माता-पिता को लड़के-बालों के लिये।


2 कुरिन्थियों 12:14

और तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है।


इफिसियों 1:18

परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया।


इफिसियों 2:4

कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।


इफिसियों 2:7

मुझ पर जो सब पवित्र लोगों में से छोटे से भी छोटा हूं, यह अनुग्रह हुआ, कि मैं अन्यजातियों को मसीह के अगम्य धन का सुसमाचार सुनाऊं।


इफिसियों 3:8

कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ।


इफिसियों 3:16

और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।


फिलिप्पियों 4:19

ताकि उन के मनों में शान्ति हो और वे प्रेम से आपस में गठे रहें, और वे पूरी समझ का सारा धन प्राप्त करें, और परमेश्वर पिता के भेद को अर्थात मसीह को पहिचान लें।


कुलुस्सियों 2:2

और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो॥


कुलुस्सियों 2:7

प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो।


कुलुस्सियों 4:2

इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।


1 तीमुथियुस 6:17

और भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्पर हों।


1 तीमुथियुस 6:18

और मसीह के कारण निन्दित होने को मिसर के भण्डार से बड़ा धन समझा: क्योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं।


इब्रानियों 11:26

इस कारण हम इस राज्य को पाकर जो हिलने का नहीं, उस अनुग्रह को हाथ से न जाने दें, जिस के द्वारा हम भक्ति, और भय सहित, परमेश्वर की ऐसी आराधना कर सकते हैं जिस से वह प्रसन्न होता है।


इब्रानियों 12:28

और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्योंकि वह घास के फूल की नाईं जाता रहेगा।


याकूब 1:10

क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।


याकूब 1:11

धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।


याकूब 1:12

हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धनी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं


याकूब 2:5

हे धनवानों सुन तो लो; तुम अपने आने वाले क्लेशों पर चिल्ला-चिल्लाकर रोओ।


याकूब 5:1

तुम्हारा धन बिगड़ गया और तुम्हारे वस्त्रों को कीड़े खा गए।


याकूब 5:2

तुम्हारे सोने-चान्दी में काई लग गई है; और वह काई तुम पर गवाही देगी, और आग की नाईं तुम्हारा मांस खा जाएगी: तुम ने अन्तिम युग में धन बटोरा है।


याकूब 5:3

और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।


1 पतरस 3:14

तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।


प्रकाशित वाक्य 3:17

इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।


प्रकाशित वाक्य 3:18

और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।


प्रकाशित वाक्य 5:12

फिर मैं ने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।


प्रकाशित वाक्य 5:13

और पृथ्वी के राजा, और प्रधान, और सरदार, और धनवान और सामर्थी लोग, और हर एक दास, और हर एक स्वतंत्र, पहाड़ों की खोहों में, और चट्टानों में जा छिपे।


प्रकाशित वाक्य 6:15

और उस ने छोटे, बड़े, धनी, कंगाल, स्वत्रंत, दास सब के दाहिने हाथ या उन के माथे पर एक एक छाप करा दी।


प्रकाशित वाक्य 13:16

देख, मैं चोर की नाईं आता हूं; धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र कि चौकसी करता है, कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें।


प्रकाशित वाक्य 16:15

क्योंकि उसके व्यभिचार के भयानक मदिरा के कारण सब जातियां गिर गई हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है; और पृथ्वी के व्यापारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं।


प्रकाशित वाक्य 18:3

इन वस्तुओं के व्यापारी जो उसके द्वारा धनवान हो गए थे, उस की पीड़ा के डर के मारे दूर खड़े होंगे, और रोते और कलपते हुए कहेंगे।


प्रकाशित वाक्य 18:15

घड़ी ही भर में उसका ऐसा भारी धन नाश हो गया: और हर एक मांझी, और जलयात्री, और मल्लाह, और जितने समुद्र से कमाते हैं, सब दूर खड़े हुए।


प्रकाशित वाक्य 18:17

और अपने अपने सिरों पर धूल डालेंगे, और रोते हुए और कलपते हुए चिल्ला चिल्ला कर कहेंगे, कि हाय! हाय! यह बड़ा नगर जिस की सम्पत्ति के द्वारा समुद्र के सब जहाज वाले धनी हो गए थे घड़ी ही भर में उजड़ गया।


प्रकाशित वाक्य 18:19