Welcome to "Wellness 2025," your compass to a healthier, happier, and more fulfilling future. Our blog is a dedicated space where we explore the latest trends, insights, and strategies for achieving holistic wellness in the years leading up to 2025 and beyond. In a world that's constantly evolving, "Wellness 2025" serves as your trusted guide to navigate the ever-changing landscape of health and well-being.
21 November, 2020
20 November, 2020
14 November, 2020
POWER READING TECHNIQUE: Brian Tracy’s Power Reading and Writing.
Personal Notes on Brian Tracy’s Power Reading and Writing.
There is an over abundance of information in our age currently… It’s more a matter about
filtering and selecting relevant information… to keep up with current
Entering the communications age.
Top of people in any given field can read / write / and speak effectively.
Power READING: Combinations of speed-reading and retention of the main ideas.
Your eye takes in information faster than your ear.
You don’t have to see every word on the page. If you only see the key words you would
improve your
Way the eye works. It is a series of skips. Often tempted to back skip, which cuts your
reading down to a third.
Choose a book you want to read.
1 Read two or three words in from the beginning of the line
2 Finish reading two or three words
3 Put your hand the page and sweep down the page as if you were brushing breadcrumbs
from under the printed material.
4 Discipline yourself to do this for 20 minutes at a time.
Why it works:
Prevents back skipping.
Prevents talking in your head.
Alters your perception of how fast that you can read.
Highway driving vs driving at 30kph
POWER READING TECHNIQUE:
1 Over view, skim and scan the entire book.
5-10 minutes.
Ask questions, who was author, note credits, predominance in the field,
publication date. Look at table of contents. Glance at reference in the index. Get a feel
for the structure of the book.
Fastest way to deal with reading is to not read a book that isn’t worth your time.
2 Preview: glance quickly through each chapter.
3 minutes per chapter. (30 minutes for the book)
Look to see if it will add to your knowledge.
3 Sketch out what you already know about this topic.
Alerts your mind to what is coming.
3 min / chapter. (30 minutes)
4 Create questions so that you read with purpose when you begin.
Be clear about what you want to get out of the book
What are the main ideas in this book?
What supporting evidence is there?
Are the facts up to date?
What’s in it for me in learning this material?
What’s new about this material?
What can I use from this material?
3 minutes / chapter. (30 minutes)
5 Read for key ideas… read the text one chapter at a time.
15-20 seconds per page.
Underline new ideas, put ticks or question marks or explanation marks in the
margin
8 minutes per chapter (80 minutes for the book)
6 After view, for the pattern of the material and the difficult ideas.
Re read the chapters stop at difficult sections
Look for the pattern for the argument
Figure out how all the information related to each other.
Read allow sections that you didn’t
10 minutes per chapter (100 minutes)
7 Make Notes and learning maps on the book.
In learning map
10 minutes / chapter (100 minutes)
8 Review your Notes, next day, next week and next month.
5-10 minutes reviewing the notes a day later.
A week later.
A month later.
(30 minutes total)
Total time 6.5 hours for a serious 250 page text book.
This technique is done 2 times faster than regular reading and you will have over 10
times the comprehension.
Power reading is not about reading every word it’s about getting the idea from the book.
Variable speed speed reading
HOW TO CHOOSE READING MATERIAL.
1 Read only material that is interesting and important to you.
Refuse to read things that aren’t valuable to you at the moment.
Use skim and scan to read magazines and News Papers.
Go straight to the article and rip it out. Throw the rest of the magazines away.
Always read with a colour pen or highlighter.
2 Reflection and Clarifying of the material after you read it.
-stop and re-read the key points and see if you understand them for yourself.
POWER WRITING. (20 minutes into cassette)
The better you can write:
The better you can think
The more you can accomplish
The better decisions you can make
The more respect you get from others.
The more control
Concentrate more on “the what” than “the How”.
Free your creative powers.
Cannot write and edit at the same time.
Write freely first… then go back and edit it.
Consider it as two separate functions. Writing and editing.
Use Learning maps.
Sequence of preparation
1 look up all learning maps that you currently have on the topic
2 make more notes off of any reference material that you require for the project.
3 put the subject in the middle of the blank page.
4 make a branching mind map of all your thoughts on the
do a free flow mind map
put down all idea’s even silly ones.
5 look at the mind map
6 create a new mind map of themes… and learning clusters.
7 Now write in a fluid form…
don’t judge or critizise or edit… just write it all out very quickly
move from one cluster to the next very quickly.
8 Do Nothing. Let it sit in your subconscious for a time. Incubate on the topic for a
while.
धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।
उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना।
उत्पत्ति 15:6
बिहान को वे सबेरे उठ कर तकोआ के जंगल की ओर निकल गए; और चलते समय यहोशापात ने खड़े हो कर कहा, हे यहूदियो, हे यरूशलेम के निवासियो, मेरी सुनो, अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।
2 इतिहास 20:20
.हे परमेश्वर बचा ले, क्योंकि एक भी भक्त नहीं रहा; मनुष्यों में से विश्वास योग्य लोग मर मिटे हैं।
भजन संहिता 12:1
यदि मुझे विश्वास न होता कि जीवितों की पृथ्वी पर यहोवा की भलाई को देखूंगा, तो मैं मूर्च्छित हो जाता।
भजन संहिता 27:13
वह चन्द्रमा की नाईं, और आकाश मण्डल के विश्वास योग्य साक्षी की नाईं सदा बना रहेगा।
भजन संहिता 89:37
तब उन्हों ने उसके वचनों का विश्वास किया; और उसकी स्तुति गाने लगे॥
भजन संहिता 106:12
मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कस कर कहा है, कि मैं तो बहुत ही दु:खित हुआ;
भजन संहिता 116:10
मुझे भली विवेक- शक्ति और ज्ञान दे, क्योंकि मैं ने तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।
भजन संहिता 119:66
झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।
नीतिवचन 12:22
भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उस के पति के मन में उस के प्रति विश्वास है।
नीतिवचन 31:10
इसलिये प्रभु यहोवा यों कहता है, देखो, मैं ने सिय्योन में नेव का पत्थर रखा है, एक परखा हुआ पत्थर, कोने का अनमोल और अति दृढ़ नेव के योग्य पत्थर: और जो कोई विश्वास रखे वह उतावली न करेगा।
यशायाह 28:16
तब राजा ने बहुत आनन्दित हो कर, दानिय्येल को गड़हे में से निकालने की आज्ञा दी। सो दानिय्येल गड़हे में से निकाला गया, और उस पर हानि का कोई चिन्ह न पाया गया, क्योंकि वह अपने परमेश्वर पर विश्वास रखता था।
दानिय्येल 6:23
देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।
हबक्कूक 2:4
यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और जो उसके पीछे आ रहे थे उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
मत्ती 8:10
और यीशु ने सूबेदार से कहा, जा; जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिये हो: और उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया॥
मत्ती 8:13
और देखो, कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए; यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्र, ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए।
मत्ती 9:2
यीशु ने फिरकर उसे देखा, और कहा; पुत्री ढाढ़स बान्ध; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है; सो वह स्त्री उसी घड़ी चंगी हो गई।
मत्ती 9:22
जब वह घर में पहुंचा, तो वे अन्धे उस के पास आए; और यीशु ने उन से कहा; क्या तुम्हें विश्वास है, कि मैं यह कर सकता हूं उन्होंने उस से कहा; हां प्रभु।
मत्ती 9:28
तब उस ने उन की आंखे छूकर कहा, तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिये हो।
मत्ती 9:29
और उस ने वहां उन के अविश्वास के कारण बहुत सामर्थ के काम नहीं किए॥
मत्ती 13:58
इस पर यीशु ने उस को उत्तर देकर कहा, कि हे स्त्री, तेरा विश्वास बड़ा है: जैसा तू चाहती है, तेरे लिये वैसा ही हो; और उस की बेटी उसी घड़ी से चंगी हो गई॥
मत्ती 15:28
उस ने उन से कहा, अपने विश्वास की घटी के कारण: क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह स को गे, कि यहां से सरककर वहां चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये अन्होनी न होगी।
मत्ती 17:20
पर जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिये भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता।
मत्ती 18:6
यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जो; और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा।
मत्ती 21:21
और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे वह सब तुम को मिलेगा॥
मत्ती 21:22
हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते।
मत्ती 23:23
और कहा, समय पूरा हुआ है, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो॥
मरकुस 1:15
यीशु ने, उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।
मरकुस 2:5
उस ने उस से कहा; पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है: कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह॥
मरकुस 5:34
यीशु ने उस से कहा; यदि तू कर सकता है; यह क्या बता है विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है।
मरकुस 9:23
बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहा; हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर।
मरकुस 9:24
पर जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं, किसी को ठोकर खिलाए तो उसके लिये भला यह है कि एक बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाए और वह समुद्र में डाल दिया जाए।
मरकुस 9:42
यीशु ने उस से कहा; चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा कर दिया है: और वह तुरन्त देखने लगा, और मार्ग में उसके पीछे हो लिया॥
मरकुस 10:52
यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि परमेश्वर पर विश्वास रखो।
मरकुस 11:22
पीछे वह उन ग्यारहों को भी, जब वे भोजन करने बैठे थे दिखाई दिया, और उन के अविश्वास और मन की कठोरता पर उलाहना दिया, क्योंकि जिन्हों ने उसके जी उठने के बाद उसे देखा था, इन्होंने उन की प्रतीति न की थी।
मरकुस 16:14
जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा।
मरकुस 16:16
और विश्वास करने वालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे।
मरकुस 16:17
और धन्य है, वह जिस ने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उस से कही गईं, वे पूरी होंगी।
लूका 1:45
उस ने उन का विश्वास देखकर उस से कहा; हे मनुष्य, तेरे पाप क्षमा हुए।
लूका 5:20
यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उस ने मुंह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
लूका 7:9
पर उस ने स्त्री से कहा, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा॥
लूका 7:50
मार्ग के किनरे के वे हैं, जिन्हों ने सुना; तब शैतान आकर उन के मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं।
लूका 8:12
चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक जाते हैं।
लूका 8:13
और उस ने उन से कहा; तुम्हारा विश्वास कहां था? पर वे डर गए, और अचम्भित होकर आपस में कहने लगे, यह कौन है जो आन्धी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उस की मानते हैं॥
लूका 8:25
उस ने उस से कहा, बेटी तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से चली जा।
लूका 8:48
यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी।
लूका 8:50
तब प्रेरितों ने प्रभु से कहा, हमारा विश्वास बढ़ा।
लूका 17:5
प्रभु ने कहा; कि यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस तूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता।
लूका 17:6
तब उस ने उस से कहा; उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है॥
लूका 17:19
मैं तुम से कहता हूं; वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?
लूका 18:8
यीशु ने उससे कहा; देखने लग, तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा कर दिया है।
लूका 18:42
परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।
लूका 22:32
तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!
लूका 24:25
यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।
यूहन्ना 1:7
परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
यूहन्ना 1:12
यीशु ने उस को उत्तर दिया; मैं ने जो तुझ से कहा, कि मैं ने तुझे अंजीर के पेड़ के तले देखा, क्या तू इसी लिये विश्वास करता है? तू इस से बड़े बड़े काम देखेगा।
यूहन्ना 1:50
यीशु ने गलील के काना में अपना यह पहिला चिन्ह दिखाकर अपनी महिमा प्रगट की और उसके चेलों ने उस पर विश्वास किया॥
यूहन्ना 2:11
जब वह यरूशलेम में फसह के समय पर्व में था, तो बहुतों ने उन चिन्हों को जो वह दिखाता था देखकर उसके नाम पर विश्वास किया।
यूहन्ना 2:23
ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए॥
यूहन्ना 3:15
क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
यूहन्ना 3:16
जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।
यूहन्ना 3:18
जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है॥
यूहन्ना 3:36
और उस नगर के बहुत सामरियों ने उस स्त्री के कहने से, जिस ने यह गवाही दी थी, कि उस ने सब कुछ जो मैं ने किया है, मुझे बता दिया, विश्वास किया।
यूहन्ना 4:39
और उसके वचन के कारण और भी बहुतेरों ने विश्वास किया।
यूहन्ना 4:41
और उस स्त्री से कहा, अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हम ने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है॥
यूहन्ना 4:42
यीशु ने उस से कहा, जब तक तुम चिन्ह और अद्भुत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे।
यूहन्ना 4:48
तब पिता जान गया, कि यह उसी घड़ी हुआ जिस घड़ी यीशु ने उस से कहा, तेरा पुत्र जीवित है, और उस ने और उसके सारे घराने ने विश्वास किया।
यूहन्ना 4:53
तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो अद्वैत परमेश्वर की ओर से है, नहीं चाहते, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो?
यूहन्ना 5:44
यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो।
यूहन्ना 6:29
यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।
यूहन्ना 6:35
परन्तु मैं ने तुम से कहा, कि तुम ने मुझे देख भी लिया है, तोभी विश्वास नहीं करते।
यूहन्ना 6:36
क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।
यूहन्ना 6:40
मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है।
यूहन्ना 6:47
परन्तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते: क्योंकि यीशु तो पहिले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते, वे कौन हैं और कौन मुझे पकड़वाएगा।
यूहन्ना 6:64
और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।
यूहन्ना 6:69
क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे।
यूहन्ना 7:5
और भीड़ में से बहुतेरों ने उस पर विश्वास किया, और कहने लगे, कि मसीह जब आएगा, तो क्या इस से अधिक आश्चर्यकर्म दिखाएगा जो इस ने दिखाए?
यूहन्ना 7:31
जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके ह्रृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी।
यूहन्ना 7:38
उस ने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था; क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुंचा था।
यूहन्ना 7:39
इसलिये मैं ने तुम से कहा, कि तुम अपने पापों में मरोगे; क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वहीं हूं, तो अपने पापों में मरोगे।
यूहन्ना 8:24
परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अन्धा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिस की आंखे खुल गईं थी, बुलाकर।
यूहन्ना 9:18
यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उसे भेंट हुई तो कहा, कि क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है?
यूहन्ना 9:35
उस ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु; वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूं?
यूहन्ना 9:36
उस ने कहा, हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं: और उसे दंडवत किया।
यूहन्ना 9:38
और वहां बहुतेरों ने उस पर विश्वास किया॥
यूहन्ना 10:42
और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूं कि मैं वहां न था जिस से तुम विश्वास करो, परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।
यूहन्ना 11:15
यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
यूहन्ना 11:25
और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?
यूहन्ना 11:26
उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।
यूहन्ना 11:27
यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
यूहन्ना 11:40
और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
यूहन्ना 11:42
तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।
यूहन्ना 11:45
क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया॥
यूहन्ना 12:11
जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ॥ ये बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा।
यूहन्ना 12:36
यीशु ने पुकारकर कहा, जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन मेरे भेजने वाले पर विश्वास करता है।
यूहन्ना 12:44
मैं जगत में ज्योति होकर आया हूं ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अन्धकार में न रहे।
यूहन्ना 12:46
अब मैं उसके होने से पहिले तुम्हें जताए देता हूं कि जब हो जाए तो तुम विश्वास करो कि मैं वहीं हूं।
यूहन्ना 13:19
तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।
यूहन्ना 14:1
मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।
यूहन्ना 14:12
पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।
यूहन्ना 16:9
मैं केवल इन्हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों।
यूहन्ना 17:20
जिस ने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उस की गवाही सच्ची है; और वह जानता है, कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो।
यूहन्ना 19:35
तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहिले पहुंचा था, भीतर गया और देखकर विश्वास किया।
यूहन्ना 20:8
यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया॥
यूहन्ना 20:29
परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ॥
यूहन्ना 20:31
और वे सब विश्वास करने वाले इकट्ठे रहते थे, और उन की सब वस्तुएं साझे की थीं।
प्रेरितों के काम 2:44
और उसी के नाम ने, उस विश्वास के द्वारा जो उसके नाम पर है, इस मनुष्य को जिसे तुम देखते हो और जानते भी हो सामर्थ दी है; और निश्चय उसी विश्वास ने जो उसके द्वारा है, इस को तुम सब के साम्हने बिलकुल भला चंगा कर दिया है।
प्रेरितों के काम 3:16
परन्तु वचन के सुनने वालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उन की गिनती पांच हजार पुरूषों के लगभग हो गई॥
प्रेरितों के काम 4:4
और विश्वास करने वालों की मण्डली एक चित्त और एक मन के थे यहां तक कि कोई भी अपनी सम्पति अपनी नहीं कहता था, परन्तु सब कुछ साझे का था।
प्रेरितों के काम 4:32
और विश्वास करने वाले बहुतेरे पुरूष और स्त्रियां प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे।)
प्रेरितों के काम 5:14
यह बात सारी मण्डली को अच्छी लगी, और उन्होंने स्तिुफनुस नाम एक पुरूष को जो विश्वास और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, और फिलेप्पुस और प्रखुरूस और नीकानोर और तीमोन और परिमनास और अन्ताकीवाला नीकुलाउस को जो यहूदी मत में आ गया था, चुन लिया।
प्रेरितों के काम 6:5
फिलेप्पुस ने कहा, यदि तू सारे मन से विश्वास करता है तो हो सकता है: उस ने उत्तर दिया मैं विश्वास करता हूं कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है।
प्रेरितों के काम 8:37
यह बात सारे याफा मे फैल गई: और बहुतेरों ने प्रभु पर विश्वास किया।
प्रेरितों के काम 9:42
उस की सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते हें, कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उस को उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी॥
प्रेरितों के काम 10:43
सो जब कि परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला था; तो मैं कौन था जो परमेश्वर को रोक सकता
प्रेरितों के काम 11:17
और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।
प्रेरितों के काम 11:21
परन्तु इलीमास टोन्हे ने, क्योंकि यही उसके नाम का अर्थ है उन का साम्हना करके, सूबेदार को विश्वास करने से रोकना चाहा।
प्रेरितों के काम 13:8
तब सूबेदार ने जो कुछ हुआ था, देखकर और प्रभु के उपदेश से चकित होकर विश्वास किया॥
प्रेरितों के काम 13:12
और जिन बातों से तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे, उन्हीं सब से हर एक विश्वास करने वाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है।
प्रेरितों के काम 13:39
यह सुनकर अन्यजाति आनन्दित हुए, और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे: और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया।
प्रेरितों के काम 13:48
और अपने छोटे भाई को मेरे पास ले आओ। तब मुझे विश्वास हो जाएगा कि तुम भेदिए नहीं, सीधे लोग हो। फिर मैं तुम्हारे भाई को तुम्हें सौंप दूंगा, और तुम इस देश में लेन देन कर सकोगे।
उत्पत्ति 42:34
सो जब कि परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला था; तो मैं कौन था जो परमेश्वर को रोक सकता
प्रेरितों के काम 11:17
और प्रभु का हाथ उन पर था, और बहुत लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिरे।
प्रेरितों के काम 11:21
तब सूबेदार ने जो कुछ हुआ था, देखकर और प्रभु के उपदेश से चकित होकर विश्वास किया॥
प्रेरितों के काम 13:12
और जिन बातों से तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे, उन्हीं सब से हर एक विश्वास करने वाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है।
प्रेरितों के काम 13:39
यह सुनकर अन्यजाति आनन्दित हुए, और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे: और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया।
प्रेरितों के काम 13:48
इकुनियुम में ऐसा हुआ कि वे यहूदियों की आराधनालय में साथ साथ गए, और ऐसी बातें की, कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहुतों ने विश्वास किया।
प्रेरितों के काम 14:1
वह पौलुस को बातें करते सुन रहा था और इस ने उस की ओर टकटकी लगाकर देखा कि इस को चंगा हो जाने का विश्वास है।
प्रेरितों के काम 14:9
और उन्होंने हर एक कलीसिया में उन के लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना कर के, उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था।
प्रेरितों के काम 14:23
वहां पहुंचकर, उन्होंने कलीसिया इकट्ठी की और बताया, कि परमेश्वर ने हमारे साथ होकर कैसे बड़े बड़े काम किए! और अन्यजातियों के लिये विश्वास का द्वार खोल दिया।
प्रेरितों के काम 14:27
परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्हों ने विश्वास किया था, उन में से कितनों ने उठकर कहा, कि उन्हें खतना कराना और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देना चाहिए।
प्रेरितों के काम 15:5
तब पतरस ने बहुत वाद-विवाद के बाद खड़े होकर उन से कहा॥ हे भाइयो, तुम जानते हो, कि बहुत दिन हुए, कि परमेश्वर ने तुम में से मुझे चुन लिया, कि मेरे मुंह से अन्यजाति सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें।
प्रेरितों के काम 15:7
और विश्वास के द्वारा उन के मन शुद्ध कर के हम में और उन में कुछ भेद न रखा।
प्रेरितों के काम 15:9
इस प्रकार कलीसिया विश्वास में स्थिर होती गई और गिनती में प्रति दिन बढ़ती गई।
प्रेरितों के काम 16:5
उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।
प्रेरितों के काम 16:31
और उस ने उन्हें अपने घर में ले जाकर, उन के आगे भोजन रखा और सारे घराने समेत परमेश्वर पर विश्वास करके आनन्द किया॥
प्रेरितों के काम 16:34
सो उन में से बहुतों ने, और यूनानी कुलीन स्त्रियों में से, और पुरूषों में से बहुतेरों ने विश्वास किया।
प्रेरितों के काम 17:12
परन्तु कई एक मनुष्य उसके साथ मिल गए, और विश्वास किया, जिन में दियुनुसियुस अरियुपगी था, और दमरिस नाम एक स्त्री थी, और उन के साथ और भी कितने लोग थे॥
प्रेरितों के काम 17:34
तब आराधनालय के सरदार क्रिस्पुस ने अपने सारे घराने समेत प्रभु पर विश्वास किया; और बहुत से कुरिन्थी सुनकर विश्वास लाए और बपतिस्मा लिया।
प्रेरितों के काम 18:8
और जब उस ने निश्चय किया कि पार उतरकर अखाया को जाए तो भाइयों ने उसे ढाढ़स देकर चेलों को लिखा कि वे उस से अच्छी तरह मिलें, और उस ने पहुंच कर वहां उन लोगों की बड़ी सहायता की जिन्हों ने अनुग्रह के कारण विश्वास किया था।
प्रेरितों के काम 18:27
उन से कहा; क्या तुम ने विश्वास करते समय पवित्र आत्मा पाया? उन्होंने उस से कहा, हम ने तो पवित्र आत्मा की चर्चा भी नहीं सुनी।
प्रेरितों के काम 19:2
पौलुस ने कहा; यूहन्ना ने यह कहकर मन फिराव का बपतिस्मा दिया, कि जो मेरे बाद आनेवाला है, उस पर अर्थात यीशु पर विश्वास करना।
प्रेरितों के काम 19:4
और जिन्हों ने विश्वास किया था, उन में से बहुतेरों ने आकर अपने अपने कामों को मान लिया और प्रगट किया।
प्रेरितों के काम 19:18
वरन यहूदियों और यूनानियों के साम्हने गवाही देता रहा, कि परमेश्वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए।
प्रेरितों के काम 20:21
उन्होंने यह सुनकर परमेश्वर की महिमा की, फिर उस से कहा; हे भाई, तू देखता है, कि यहूदियों में से कई हजार ने विश्वास किया है; और सब व्यवस्था के लिये धुन लगाए हैं।
प्रेरितों के काम 21:20
परन्तु उन अन्यजातियों के विषय में जिन्हों ने विश्वास किया है, हम ने यह निर्णय करके लिख भेजा है कि वे मूरतों के साम्हने बलि किए हुए मांस से, और लोहू से, और गला घोंटे हुओं के मांस से, और व्यभिचार से, बचे रहें।
प्रेरितों के काम 21:25
मैं ने कहा; हे प्रभु वे तो आप जानते हैं, कि मैं तुझ पर विश्वास करने वालों को बन्दीगृह में डालता और जगह जगह आराधनालय में पिटवाता था।
प्रेरितों के काम 22:19
कितने दिनों के बाद फेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला को, जो यहूदिनी थी, साथ लेकर आया; और पौलुस को बुलवाकर उस विश्वास के विषय में जो मसीह यीशु पर है, उस से सुना।
प्रेरितों के काम 24:24
जब कि परमेश्वर मरे हुओं को जिलाता है, तो तुम्हारे यहां यह बात क्यों विश्वास के योग्य नहीं समझी जाती?
प्रेरितों के काम 26:8
कि तू उन की आंखे खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएं।
प्रेरितों के काम 26:18
जिस के द्वारा हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली; कि उसके नाम के कारण सब जातियों के लोग विश्वास करके उस की मानें।
रोमियो 1:5
पहिले मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है।
रोमियो 1:8
अर्थात यह, कि मैं तुम्हारे बीच में होकर तुम्हारे साथ उस विश्वास के द्वारा जो मुझ में, और तुम में है, शान्ति पाउं।
रोमियो 1:12
क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ है।
रोमियो 1:16
क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा॥
रोमियो 1:17
अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
रोमियो 3:22
उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
रोमियो 3:25
वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
रोमियो 3:26
तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
रोमियो 3:27
इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।
रोमियो 3:28
क्योंकि एक ही परमेश्वर है, जो खतना वालों को विश्वास से और खतना रहितों को भी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएगा।
रोमियो 3:30
तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं; वरन व्यवस्था को स्थिर करते हैं॥
रोमियो 3:31
जिस के द्वारा हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली; कि उसके नाम के कारण सब जातियों के लोग विश्वास करके उस की मानें।
रोमियो 1:5
पहिले मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है।
रोमियो 1:8
अर्थात यह, कि मैं तुम्हारे बीच में होकर तुम्हारे साथ उस विश्वास के द्वारा जो मुझ में, और तुम में है, शान्ति पाउं।
रोमियो 1:12
क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ है।
रोमियो 1:16
क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा॥
रोमियो 1:17
निर्बुद्धि, विश्वासघाती, मायारिहत और निर्दय हो गए।
रोमियो 1:31
यदि कितने विश्वसघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी?
रोमियो 3:3
अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
रोमियो 3:22
उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
रोमियो 3:25
वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
रोमियो 3:26
तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
रोमियो 3:27
इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।
रोमियो 3:28
क्योंकि एक ही परमेश्वर है, जो खतना वालों को विश्वास से और खतना रहितों को भी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएगा।
रोमियो 3:30
तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं; वरन व्यवस्था को स्थिर करते हैं॥
रोमियो 3:31
पवित्र शास्त्र क्या कहता है यह कि इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।
रोमियो 4:3
परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिना जाता है।
रोमियो 4:5
तो यह धन्य कहना, क्या खतना वालों ही के लिये है, या खतना रहितों के लिये भी? हम यह कहते हैं, कि इब्राहीम के लिये उसका विश्वास धामिर्कता गिना गया।
रोमियो 4:9
और उस ने खतने का चिन्ह पाया, कि उस विश्वास की धामिर्कता पर छाप हो जाए, जो उस ने बिना खतने की दशा में रखा था: जिस से वह उन सब का पिता ठहरे, जो बिना खतने की दशा में विश्वास करते हैं, और कि वे भी धर्मी ठहरें।
रोमियो 4:11
और उन खतना किए हुओं का पिता हो, जो न केवल खतना किए हुए हैं, परन्तु हमारे पिता इब्राहीम के उस विश्वास की लीक पर भी चलते हैं, जो उस ने बिन खतने की दशा में किया था।
रोमियो 4:12
क्योंकि यह प्रतिज्ञा कि वह जगत का वारिस होगा, न इब्राहीम को, न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी, परन्तु विश्वास की धामिर्कता के द्वारा मिली।
रोमियो 4:13
क्योंकि यदि व्यवस्था वाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी।
रोमियो 4:14
इसी कारण वह विश्वास के द्वारा मिलती है, कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि प्रतिज्ञा सब वंश के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसक लिये जो व्यवस्था वाला है, वरन उन के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास वाले हैं: वही तो हम सब का पिता है।
रोमियो 4:16
जैसा लिखा है, कि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है उस परमेश्वर के साम्हने जिस पर उस ने विश्वास किया और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं।
रोमियो 4:17
उस ने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो।
रोमियो 4:18
और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ।
रोमियो 4:19
और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की।
रोमियो 4:20
और यह वचन, कि विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिया गया, न केवल उसी के लिये लिखा गया।
रोमियो 4:23
वरन हमारे लिये भी जिन के लिये विश्वास धामिर्कता गिना जाएगा, अर्थात हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिस ने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया।
रोमियो 4:24
सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
रोमियो 5:1
जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।
रोमियो 5:2
सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
रोमियो 6:8
सो हम क्या कहें? यह कि अन्यजातियों ने जो धामिर्कता की खोज नहीं करते थे, धामिर्कता प्राप्त की अर्थात उस धामिर्कता को जो विश्वास से है।
रोमियो 9:30
किस लिये? इसलिये कि वे विश्वास से नहीं, परन्तु मानो कर्मों से उस की खोज करते थे: उन्होंने उस ठोकर के पत्थर पर ठोकर खाई।
रोमियो 9:32
जैसा लिखा है; देखो मैं सियोन में एक ठेस लगने का पत्थर, और ठोकर खाने की चट्टान रखता हूं; और जो उस पर विश्वास करेगा, वह लज्ज़ित न होगा॥
रोमियो 9:33
क्योंकि हर एक विश्वास करने वाले के लिये धामिर्कता के निमित मसीह व्यवस्था का अन्त है।
रोमियो 10:4
परन्तु जो धामिर्कता विश्वास से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? अर्थात मसीह को उतार लाने के लिये!
रोमियो 10:6
परन्तु वह क्या कहती है? यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं।
रोमियो 10:8
कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा।
रोमियो 10:9
क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।
रोमियो 10:10
क्योंकि पवित्र शास्त्र यह कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा।
रोमियो 10:11
फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें?
रोमियो 10:14
सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।
रोमियो 10:17
भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गई, परन्तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिये अभिमानी न हो, परन्तु भय कर।
रोमियो 11:20
और वे भी यदि अविश्वास में न रहें, तो साटे जाएंगे क्योंकि परमेश्वर उन्हें फिर साट सकता है।
रोमियो 11:23
और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे।
रोमियो 12:6
और समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है, क्योंकि जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।
रोमियो 13:11
जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो; परन्तु उसी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं।
रोमियो 14:1
क्योंकि एक को विश्वास है, कि सब कुछ खाना उचित है, परन्तु जो विश्वास में निर्बल है, वह साग पात ही खाता है।
रोमियो 14:2
तेरा जो विश्वास हो, उसे परमेश्वर के साम्हने अपने ही मन में रख: धन्य है वह, जो उस बात में, जिस वह ठीक समझता है, अपने आप को दोषी नहीं ठहराता।
रोमियो 14:22
परन्तु जो सन्देह कर के खाता है, वह दण्ड के योग्य ठहर चुका, क्योंकि वह निश्चय धारणा से नहीं खाता, और जो कुछ विश्वास से नहीं, वह पाप है॥
रोमियो 14:23
सो परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए॥
रोमियो 15:13
कि मैं यहूदिया के अविश्वासियों बचा रहूं, और मेरी वह सेवा जो यरूशलेम के लिये है, पवित्र लोगों को भाए।
रोमियो 15:31
परन्तु अब प्रगट होकर सनातन परमेश्वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है, कि वे विश्वास से आज्ञा मानने वाले हो जाएं।
रोमियो 16:26
क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।
1 कुरिन्थियों 1:21
इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो॥
1 कुरिन्थियों 2:5
अपुल्लोस क्या है? और पौलुस क्या है? केवल सेवक, जिन के द्वारा तुम ने विश्वास किया, जैसा हर एक को प्रभु ने दिया।
1 कुरिन्थियों 3:5
फिर यहां भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।
1 कुरिन्थियों 4:2
इसलिये मैं ने तीमुथियुस को जो प्रभु में मेरा प्रिय और विश्वासयोग्य पुत्र है, तुम्हारे पास भेजा है, और वह तुम्हें मसीह में मेरा चरित्र स्मरण कराएगा, जैसे कि मैं हर जगह हर एक कलीसिया में उपदेश करता हूं।
1 कुरिन्थियों 4:17
वरन भाई भाई में मुकद्दमा होता है, और वह भी अविश्वासियों के साम्हने।
1 कुरिन्थियों 6:6
दूसरें से प्रभु नहीं, परन्तु मैं ही कहता हूं, यदि किसी भाई की पत्नी विश्वास न रखती हो, और उसके साथ रहने से प्रसन्न हो, तो वह उसे न छोड़े।
1 कुरिन्थियों 7:12
और जिस स्त्री का पति विश्वास न रखता हो, और उसके साथ रहने से प्रसन्न हो; वह पति को न छोड़े।
1 कुरिन्थियों 7:13
क्योंकि ऐसा पति जो विश्वास न रखता हो, वह पत्नी के कारण पवित्र ठहरता है, और ऐसी पत्नी जो विश्वास नहीं रखती, पति के कारण पवित्र ठहरती है; नहीं तो तुम्हारे लड़केबाले अशुद्ध होते, परन्तु अब तो पवित्र हैं।
1 कुरिन्थियों 7:14
परन्तु जो पुरूष विश्वास नहीं रखता, यदि वह अलग हो, तो अलग होने दो, ऐसी दशा में कोई भाई या बहिन बन्धन में नहीं; परन्तु परमेश्वर ने तो हमें मेल मिलाप के लिये बुलाया है।
1 कुरिन्थियों 7:15
कुंवारियों के विषय में प्रभु की कोई आज्ञा मुझे नहीं मिली, परन्तु विश्वासयोग्य होने के लिये जैसी दया प्रभु ने मुझ पर की है, उसी के अनुसार सम्मति देता हूं।
1 कुरिन्थियों 7:25
और यदि अविश्वासियों में से कोई तुम्हें नेवता दे, और तुम जाना चाहो, तो जो कुछ तुम्हारे साम्हने रखा जाए वही खाओ: और विवेक के कारण कुछ न पूछो।
1 कुरिन्थियों 10:27
और किसी को उसी आत्मा से विश्वास; और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है।
1 कुरिन्थियों 12:9
और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
1 कुरिन्थियों 13:2
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।
1 कुरिन्थियों 13:13
इसलिये अन्य अन्य भाषाएं विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिन्ह हैं, और भविष्यद्वाणी अविश्वासीयों के लिये नहीं परन्तु विश्वासियों के लिये चिन्ह हैं।
1 कुरिन्थियों 14:22
सो यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य अन्य भाषा बोलें, और अनपढ़े या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएं तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?
1 कुरिन्थियों 14:23
परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या अनपढ़ा मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परखलेंगे।
1 कुरिन्थियों 14:24
उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ।
1 कुरिन्थियों 15:2
सो चाहे मैं हूं, चाहे वे हों, हम यही प्रचार करते हैं, और इसी पर तुम ने विश्वास भी किया॥
1 कुरिन्थियों 15:11
और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।
1 कुरिन्थियों 15:14
और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो।
1 कुरिन्थियों 15:17
जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, पुरूषार्थ करो, बलवन्त होओ।
1 कुरिन्थियों 16:13
यह नहीं, कि हम विश्वास के विषय में तुम पर प्रभुता जताना चाहते हैं; परन्तु तुम्हारे आनन्द में सहायक हैं क्योंकि तुम विश्वास ही से स्थिर रहते हो।
2 कुरिन्थियों 1:24
और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।
2 कुरिन्थियों 4:4
और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।
2 कुरिन्थियों 4:13
क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
2 कुरिन्थियों 5:7
अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धामिर्कता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अन्धकार की क्या संगति?
2 कुरिन्थियों 6:14
और मसीह का बलियाल के साथ क्या लगाव? या विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता?
2 कुरिन्थियों 6:15
सो जैसे हर बात में अर्थात विश्वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्न में, और उस प्रेम में, जो हम से रखते हो, बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ।
2 कुरिन्थियों 8:7
और हम सीमा से बाहर औरों के परिश्रम पर घमण्ड नहीं करते; परन्तु हमें आशा है, कि ज्यों ज्यों तुम्हारा विश्वास बढ़ता जाएगा त्यों त्यों हम अपनी सीमा के अनुसार तुम्हारे कारण और भी बढ़ते जाएंगे।
2 कुरिन्थियों 10:15
अपने आप को परखो, कि विश्वास में हो कि नहीं; अपने आप को जांचो, क्या तुम अपने विषय में यह नहीं जानते, कि यीशु मसीह तुम में है नहीं तो तुम निकम्मे निकले हो।
2 कुरिन्थियों 13:5
तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा।
गलातियों 2:16
मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।
गलातियों 2:20
मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूं, कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया?
गलातियों 3:2
सो जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?
गलातियों 3:5
इब्राहीम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धामिर्कता गिनी गई।
गलातियों 3:6
तो यह जान लो, कि जो विश्वास करने वाले हैं, वे ही इब्राहीम की सन्तान हैं।
गलातियों 3:7
और पवित्र शास्त्र ने पहिले ही से यह जान कर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहिले ही से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी।
गलातियों 3:8
तो जो विश्वास करने वाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।
गलातियों 3:9
पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।
गलातियों 3:11
पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बन्ध नहीं; पर जो उन को मानेगा, वह उन के कारण जीवित रहेगा।
गलातियों 3:12
यह इसलिये हुआ, कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पंहुचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्त करें, जिस की प्रतिज्ञा हुई है॥
गलातियों 3:14
परन्तु पवित्र शास्त्र ने सब को पाप के आधीन कर दिया, ताकि वह प्रतिज्ञा जिस का आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है, विश्वास करने वालों के लिये पूरी हो जाए॥
गलातियों 3:22
पर विश्वास के आने से पहिले व्यवस्था की आधीनता में हमारी रखवाली होती थी, और उस विश्वास के आने तक जो प्रगट होने वाला था, हम उसी के बन्धन में रहे।
गलातियों 3:23
इसलिये व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है, कि हम विश्वास से धर्मी ठहरें।
गलातियों 3:24
परन्तु जब विश्वास आ चुका, तो हम अब शिक्षक के आधीन न रहे।
गलातियों 3:25
क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो।
गलातियों 3:26
क्योंकि आत्मा के कारण, हम विश्वास से, आशा की हुई धामिर्कता की बाट जोहते हैं।
गलातियों 5:5
और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।
गलातियों 5:23
इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ॥
गलातियों 6:10
पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित है, उन पवित्र और मसीह यीशु में विश्वासी लोगों के नाम जो इफिसुस में हैं॥
इफिसियों 1:1
और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी।
इफिसियों 1:13
इस कारण, मैं भी उस विश्वास का समाचार सुनकर जो तुम लोगों में प्रभु यीशु पर है और सब पवित्र लोगों पर प्रगट है।
इफिसियों 1:15
और उस की सामर्थ हमारी ओर जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है, उस की शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार।
इफिसियों 1:19
क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।
इफिसियों 2:8
जिस में हम को उस पर विश्वास रखने से हियाव और भरोसे से निकट आने का अधिकार है।
इफिसियों 3:12
और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
इफिसियों 3:17
एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
इफिसियों 4:5
जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।
इफिसियों 4:13
और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।
इफिसियों 6:16
और तुखिकुस जो प्रिय भाई और प्रभु में विश्वासयोग्य सेवक है तुम्हें सब बातें बताएगा, कि तुम भी मेरी दशा जानो कि मैं कैसा रहता हूं।
इफिसियों 6:21
परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह की ओर से भाइयों को शान्ति और विश्वास सहित प्रेम मिले।
इफिसियों 6:23
और इसलिये कि मुझे इस का भरोसा है सो मैं जानता हूं कि मैं जीवित रहूंगा, वरन तुम सब के साथ रहूंगा जिस से तुम विश्वास में दृढ़ होते जाओ और उस में आनन्दित रहो।
फिलिप्पियों 1:25
केवल इतना करो कि तुम्हारा चाल-चलन मसीह के सुसमाचार के योग्य हो कि चाहे मैं आकर तुम्हें देखूं, चाहे न भी आऊं, तुम्हारे विषय में यह सुनूं, कि तुम एक ही आत्मा में स्थिर हो, और एक चित्त होकर सुसमाचार के विश्वास के लिये परिश्रम करते रहते हो।
फिलिप्पियों 1:27
क्योंकि मसीह के कारण तुम पर यह अनुग्रह हुआ कि न केवल उस पर विश्वास करो पर उसके लिये दुख भी उठाओ।
फिलिप्पियों 1:29
और यदि मुझे तुम्हारे विश्वास के बलिदान और सेवा के साथ अपना लोहू भी बहाना पड़े तौभी मैं आनन्दित हूं, और तुम सब के साथ आनन्द करता हूं।
फिलिप्पियों 2:17
और उस में पाया जाऊं; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है।
फिलिप्पियों 3:9
मसीह में उन पवित्र और विश्वासी भाइयों के नाम जो कुलुस्से में रहते हैं॥ हमारे पिता परमेश्वर की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति प्राप्त होती रहे॥
कुलुस्सियों 1:2
क्योंकि हम ने सुना है, कि मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्वास है, और सब पवित्र लोगों से प्रेम रखते हो।
कुलुस्सियों 1:4
उसी की शिक्षा तुम ने हमारे प्रिय सहकर्मी इपफ्रास से पाई, जो हमारे लिये मसीह का विश्वास योग्य सेवक है।
कुलुस्सियों 1:7
यदि तुम विश्वास की नेव पर दृढ़ बने रहो, और उस सुसमाचार की आशा को जिसे तुम ने सुना है न छोड़ो, जिस का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्टि में किया गया; और जिस का मैं पौलुस सेवक बना॥
कुलुस्सियों 1:23
क्योंकि मैं यदि शरीर के भाव से तुम से दूर हूं, तौभी आत्मिक भाव से तुम्हारे निकट हूं, और तुम्हारे विधि-अनुसार चरित्र और तुम्हारे विश्वास की जो मसीह में है दृढ़ता देखकर प्रसन्न होता हूं॥
कुलुस्सियों 2:5
और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्त धन्यवाद करते रहो॥
कुलुस्सियों 2:7
और उसी के साथ बपतिस्मा में गाड़े गए, और उसी में परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास करके, जिस ने उस को मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे।
कुलुस्सियों 2:12
प्रिय भाई और विश्वासयोग्य सेवक, तुखिकुस जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा।
कुलुस्सियों 4:7
और उसके साथ उनेसिमुस को भी भेजा है जो विश्वास योग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है, ये तुम्हें यहां की सारी बातें बता देंगे॥
कुलुस्सियों 4:9
इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्छा पर स्थिर रहो।
कुलुस्सियों 4:12
और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं।
1 थिस्सलुनीकियों 1:3
यहां तक कि मकिदुनिया और अखया के सब विश्वासियों के लिये तुम आदर्श बने।
1 थिस्सलुनीकियों 1:7
क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं।
1 थिस्सलुनीकियों 1:8
तुम आप ही गवाह हो: और परमेश्वर भी, कि तुम्हारे बीच में जो विश्वास रखते हो हम कैसी पवित्रता और धामिर्कता और निर्दोषता से रहे।
1 थिस्सलुनीकियों 2:10
इसलिये हम भी परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर करते हैं; कि जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उस मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया: और वह तुम में जो विश्वास रखते हो, प्रभावशाली है।
1 थिस्सलुनीकियों 2:13
और हम ने तीमुथियुस को जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसलिये भेजा, कि वह तुम्हें स्थिर करे; और तुम्हारे विश्वास के विषय में तुम्हें समझाए।
1 थिस्सलुनीकियों 3:2
इस कारण जब मुझ से और न रहा गया, तो तुम्हारे विश्वास का हाल जानने के लिये भेजा, कि कहीं ऐसा न हो, कि परीक्षा करने वाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिश्रम व्यर्थ हो गया हो।
1 थिस्सलुनीकियों 3:5
परअभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की।
1 थिस्सलुनीकियों 3:6
इसलिये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्ति पाई।
1 थिस्सलुनीकियों 3:7
हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुंह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें॥
1 थिस्सलुनीकियों 3:10
पर हम तो दिन के हैं, विश्वास और प्रेम की झिलम पहिनकर और उद्धार की आशा का टोप पहिन कर सावधान रहें।
1 थिस्सलुनीकियों 5:8
हे भाइयो, तुम्हारे विषय में हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है इसलिये कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और तुम सब का प्रेम आपस में बहुत ही होता जाता है।
2 थिस्सलुनीकियों 1:3
यहां तक कि हम आप परमेश्वर की कलीसिया में तुम्हारे विषय में घमण्ड करते हैं, कि जितने उपद्रव और क्लेश तुम सहते हो, उन सब में तुम्हारा धीरज और विश्वास प्रगट होता है।
2 थिस्सलुनीकियों 1:4
यह उस दिन होगा, जब वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने, और सब विश्वास करने वालों में आश्चर्य का कारण होने को आएगा; क्योंकि तुम ने हमारी गवाही की प्रतीति की।
2 थिस्सलुनीकियों 1:10
इसी लिये हम सदा तुम्हारे निमित्त प्रार्थना भी करते हैं, कि हमारा परमेश्वर तुम्हें इस बुलाहट के योग्य समझे, और भलाई की हर एक इच्छा, और विश्वास के हर एक काम को सामर्थ सहित पूरा करे।
2 थिस्सलुनीकियों 1:11
और हम टेढ़े और दुष्ट मनुष्यों से बचे रहें क्योंकि हर एक में विश्वास नहीं॥
2 थिस्सलुनीकियों 3:2
पौलुस की ओर से जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, और हमारी आशा-स्थान मसीह यीशु की आज्ञा से मसीह यीशु का प्रेरित है, तिमुथियुस के नाम जो विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र है॥
1 तीमुथियुस 1:1
और उन ऐसी कहानियों और अनन्त वंशावलियों पर मन न लगाएं, जिन से विवाद होते हैं; और परमेश्वर के उस प्रबन्ध के अनुसार नहीं, जो विश्वास से सम्बन्ध रखता है; वैसे ही फिर भी कहता हूं।
1 तीमुथियुस 1:4
आज्ञा का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो।
1 तीमुथियुस 1:5
और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिस ने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उस ने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।
1 तीमुथियुस 1:12
मैं तो पहिले निन्दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।
1 तीमुथियुस 1:13
और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ।
1 तीमुथियुस 1:14
पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
1 तीमुथियुस 1:16
और विश्वास और उस अच्छे विवेक को थामें रहे जिसे दूर करने के कारण कितनों का विश्वास रूपी जहाज डूब गया।
1 तीमुथियुस 1:19
मैं सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता, कि मैं इसी उद्देश्य से प्रचारक और प्रेरित और अन्यजातियों के लिये विश्वास और सत्य का उपदेशक ठहराया गया॥
1 तीमुथियुस 2:7
तौभी बच्चे जनने के द्वारा उद्धार पाएंगी, यदि वे संयम सहित विश्वास, प्रेम, और पवित्रता में स्थिर रहें॥
1 तीमुथियुस 2:15
पर विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखें।
1 तीमुथियुस 3:9
इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वास योग्य हों।
1 तीमुथियुस 3:11
क्योंकि जो सेवक का काम अच्छी तरह से कर सकते हैं, वे अपने लिये अच्छा पद और उस विश्वास में, जो मसीह यीशु पर है, बड़ा हियाव प्राप्त करते हैं॥
1 तीमुथियुस 3:13
और इस में सन्देह नहीं, कि भक्ति का भेद गम्भीर है; अर्थात वह जो शरीर में प्रगट हुआ, आत्मा में धर्मी ठहरा, स्वर्गदूतों को दिखाई दिया, अन्यजातियों में उसका प्रचार हुआ, जगत में उस पर विश्वास किया गया, और महिमा में ऊपर उठाया गया॥
1 तीमुथियुस 3:16
परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है, कि आने वाले समयों में कितने लोग भरमाने वाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे।
1 तीमुथियुस 4:1
जो ब्याह करने से रोकेंगे, और भोजन की कुछ वस्तुओं से परे रहने की आज्ञा देंगे; जिन्हें परमेश्वर ने इसलिये सृजा कि विश्वासी, और सत्य के पहिचानने वाले उन्हें धन्यवाद के साथ खाएं।
1 तीमुथियुस 4:3
यदि तू भाइयों को इन बातों की सुधि दिलाता रहेगा, तो मसीह यीशु का अच्छा सेवक ठहरेगा: और विश्वास और उस अच्छे उपदेश की बातों से, जा तू मानता आया है, तेरा पालन-पोषण होता रहेगा।
1 तीमुथियुस 4:6
क्योंकि हम परिश्रम और यत्न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है; जो सब मनुष्यों का, और निज करके विश्वासियों का उद्धारकर्ता है।
1 तीमुथियुस 4:10
कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
1 तीमुथियुस 4:12
पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है।
1 तीमुथियुस 5:8
और दोषी ठहरती हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पहिले विश्वास को छोड़ दिया है।
1 तीमुथियुस 5:12
यदि किसी विश्वासिनी के यहां विधवाएं हों, तो वही उन की सहायता करे, कि कलीसिया पर भार न हो ताकि वह उन की सहायता कर सके, जो सचमुच में विधवाएं हैं॥
1 तीमुथियुस 5:16
और जिन के स्वामी विश्वासी हैं, इन्हें वे भाई होने के कारण तुच्छ न जानें; वरन उन की और भी सेवा करें, क्योंकि इस से लाभ उठाने वाले विश्वासी और प्रेमी हैं: इन बातों का उपदेश किया कर और समझाता रह॥
1 तीमुथियुस 6:2
क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है॥
1 तीमुथियुस 6:10
पर हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से भाग; और धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज, और नम्रता का पीछा कर।
1 तीमुथियुस 6:11
विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़; और उस अनन्त जीवन को धर ले, जिस के लिये तू बुलाया, गया, और बहुत गवाहों के साम्हने अच्छा अंगीकार किया था।
1 तीमुथियुस 6:12
कितने इस ज्ञान का अंगीकार करके, विश्वास से भटक गए हैं॥ तुम पर अनुग्रह होता रहे॥
1 तीमुथियुस 6:21
और मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहिले तेरी नानी लोइस, और तेरी माता यूनीके में थी, और मुझे निश्चय हुआ है, कि तुझ में भी है।
2 तीमुथियुस 1:5
जो खरी बातें तू ने मुझ से सुनी हैं उन को उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, अपना आदर्श बनाकर रख।
2 तीमुथियुस 1:13
और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।
2 तीमुथियुस 2:2
यदि हम अविश्वासी भी हों तौभी वह विश्वास योग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता॥
2 तीमुथियुस 2:13
जो यह कह कर कि पुनरुत्थान हो चुका है सत्य से भटक गए हैं, और कितनों के विश्वास को उलट पुलट कर देते हैं।
2 तीमुथियुस 2:18
जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
2 तीमुथियुस 2:22
विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे।
2 तीमुथियुस 3:4
और जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने मूसा का विरोध किया था वैसे ही ये भी सत्य का विरोध करते हैं: ये तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और वे विश्वास के विषय में निकम्मे हैं।
2 तीमुथियुस 3:8
पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2 तीमुथियुस 3:10
और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2 तीमुथियुस 3:15
मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
2 तीमुथियुस 4:7
पौलुस की ओर से जो परमेश्वर का दास और यीशु मसीह का प्रेरित है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के विश्वास, और उस सत्य की पहिचान के अनुसार जो भक्ति के अनुसार है।
तीतुस 1:1
तीतुस के नाम जो विश्वास की सहभागिता के विचार से मेरा सच्चा पुत्र है: परमेश्वर पिता और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु से अनुग्रह और शान्ति होती रहे॥
तीतुस 1:4
जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़के बाले विश्वासी हो, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं।
तीतुस 1:6
और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुंह भी बन्द कर सके॥
तीतुस 1:9
यह गवाही सच है, इसलिये उन्हें कड़ाई से चितौनी दिया कर, कि वे विश्वास में पक्के हो जाएं।
तीतुस 1:13
शुद्ध लोगों के लिये सब वस्तु शुद्ध हैं, पर अशुद्ध और अविश्वासियों के लिये कुछ भी शुद्ध नहीं: वरन उन की बुद्धि और विवेक दोनों अशुद्ध हैं।
तीतुस 1:15
अर्थात बूढ़े पुरूष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो।
तीतुस 2:2
चोरी चालाकी न करें; पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें, कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश को शोभा दें।
तीतुस 2:10
मेरे सब साथियों का तुझे नमस्कार और जो विश्वास के कारण हम से प्रीति रखते हैं, उन को नमस्कार॥ तुम सब पर अनुग्रह होता रहे॥
तीतुस 3:15
मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुन कर, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है।
फिलेमोन 1:4
कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।
फिलेमोन 1:6
इस कारण उस को चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वास योग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित्त करे।
इब्रानियों 2:17
जो अपने नियुक्त करने वाले के लिये विश्वास योग्य था, जैसा मूसा भी उसके सारे घर में था।
इब्रानियों 3:2
मूसा तो उसके सारे घर में सेवक की नाईं विश्वास योग्य रहा, कि जिन बातों का वर्णन होने वाला था, उन की गवाही दे।
इब्रानियों 3:5
हे भाइयो, चौकस रहो, कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी मन न हो, जो जीवते परमेश्वर से दूर हट जाए।
इब्रानियों 3:12
सो हम देखते हैं, कि वे अविश्वास के कारण प्रवेश न कर सके॥
इब्रानियों 3:19
क्योंकि हमें उन्हीं की नाईं सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुनने वालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।
इब्रानियों 4:2
और हम जिन्हों ने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उस ने कहा, कि मैं ने अपने क्रोध में शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे, यद्यपि जगत की उत्पत्ति के समय से उसके काम पूरे हो चुके थे।
इब्रानियों 4:3
इसलिये आओ मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों को छोड़ कर, हम सिद्धता की ओर आगे बढ़ते जाएं, और मरे हुए कामों से मन फिराने, और परमेश्वर पर विश्वास करने।
इब्रानियों 6:1
ताकि तुम आलसी न हो जाओ; वरन उन का अनुकरण करो, जो विश्वास और धीरज के द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस होते हैं।
इब्रानियों 6:12
तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं।
इब्रानियों 10:22
और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
इब्रानियों 10:38
पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं॥
इब्रानियों 10:39
अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है।
इब्रानियों 11:1
विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो।
इब्रानियों 11:3
विश्वास की से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
इब्रानियों 11:4
विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
इब्रानियों 11:5
और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
इब्रानियों 11:6
विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
इब्रानियों 11:7
विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया।
इब्रानियों 11:8
विश्वास ही से उस ने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रह कर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया।
इब्रानियों 11:9
विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्योंकि उस ने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्चा जाना था।
इब्रानियों 11:11
ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं।
इब्रानियों 11:13
विश्वास ही से इब्राहीम ने, परखे जाने के समय में, इसहाक को बलिदान चढ़ाया, और जिस ने प्रतिज्ञाओं को सच माना था।
इब्रानियों 11:17
विश्वास ही से इसहाक ने याकूब और ऐसाव को आने वाली बातों के विषय में आशीष दी।
इब्रानियों 11:20
विश्वास ही से याकूब ने मरते समय यूसुफ के दोनों पुत्रों में से एक एक को आशीष दी, और अपनी लाठी के सिरे पर सहारा लेकर दण्डवत किया।
इब्रानियों 11:21
विश्वास ही से यूसुफ ने, जब वह मरने पर था, तो इस्त्राएल की सन्तान के निकल जाने की चर्चा की, और अपनी हड्डियों के विषय में आज्ञा दी।
इब्रानियों 11:22
विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उस को, उत्पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा; क्योंकि उन्होंने देखा, कि बालक सुन्दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे।
इब्रानियों 11:23
विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया।
इब्रानियों 11:24
विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डर कर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा।
इब्रानियों 11:27
विश्वास ही से उस ने फसह और लोहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करने वाला इस्त्राएलियों पर हाथ न डाले।
इब्रानियों 11:28
विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से; और जब मिस्रियों ने वैसा ही करना चाहा, तो सब डूब मरे।
इब्रानियों 11:29
विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।
इब्रानियों 11:30
विश्वास ही से राहाब वेश्या आज्ञा ने मानने वालों के साथ नाश नहीं हुई; इसलिये कि उस ने भेदियों को कुशल से रखा था।
इब्रानियों 11:31
इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्द किए।
इब्रानियों 11:33
संसार उन के योगय न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।
इब्रानियों 11:39
और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
इब्रानियों 12:2
जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्हों ने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उन के चाल-चलन का अन्त देखकर उन के विश्वास का अनुकरण करो।
इब्रानियों 13:7
तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है।
याकूब 1:3
पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
याकूब 1:6
हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।
याकूब 2:1
हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो; क्या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धनी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं
याकूब 2:5
हे मेरे भाइयों, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो उस से क्या लाभ? क्या ऐसा विश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है?
याकूब 2:14
वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।
याकूब 2:17
वरन कोई कह सकता है कि तुझे विश्वास है, और मैं कर्म करता हूं: तू अपना विश्वास मुझे कर्म बिना तो दिखा; और मैं अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा तुझे दिखाऊंगा।
याकूब 2:18
तुझे विश्वास है कि एक ही परमेश्वर है: तू अच्छा करता है: दुष्टात्मा भी विश्वास रखते, और थरथराते हैं।
याकूब 2:19
पर हे निकम्मे मनुष्य क्या तू यह भी नहीं जानता, कि कर्म बिना विश्वास व्यर्थ है?
याकूब 2:20
सो तू ने देख लिया कि विश्वास ने उस के कामों के साथ मिल कर प्रभाव डाला है और कर्मों से विश्वास सिद्ध हुआ।
याकूब 2:22
सो तुम ने देख लिया कि मनुष्य केवल विश्वास से ही नहीं, वरन कर्मों से भी धर्मी ठहरता है।
याकूब 2:24
निदान, जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है॥
याकूब 2:26
और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उस को उठा कर खड़ा करेगा; और यदि उस ने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी।
याकूब 5:15
जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी है, जिन की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।
1 पतरस 1:5
और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।
1 पतरस 1:7
उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
1 पतरस 1:8
और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो।
1 पतरस 1:9
जो उसके द्वारा उस परमेश्वर पर विश्वास करते हो, जिस ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, और महिमा दी; कि तुम्हारा विश्वास और आशा परमेश्वर पर हो।
1 पतरस 1:21
इस कारण पवित्र शास्त्र में भी आया है, कि देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूं: और जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह किसी रीति से लज्ज़ित नहीं होगा।
1 पतरस 2:6
सो तुम्हारे लिये जो विश्वास करते हो, वह तो बहुमूल्य है, पर जो विश्वास नहीं करते उन के लिये जिस पत्थर को राजमिस्त्रीयों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया।
1 पतरस 2:7
इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें॥
1 पतरस 4:19
विश्वास में दृढ़ हो कर, और यह जान कर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।
1 पतरस 5:9
मैं ने सिलवानुस के हाथ, जिस मैं विश्वासयोग्य भाई समझता हूं, संक्षेप में लिख कर तुम्हें समझाया है और यह गवाही दी है कि परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह यही है, इसी में स्थिर रहो।
1 पतरस 5:12
शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है।
2 पतरस 1:1
और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
2 पतरस 1:5
यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
1 यूहन्ना 1:9
और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
1 यूहन्ना 3:23
जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है।
1 यूहन्ना 5:1
क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है।
1 यूहन्ना 5:4
संसार पर जय पाने वाला कौन है केवल वह जिस का यह विश्वास है, कि यीशु, परमेश्वर का पुत्र है।
1 यूहन्ना 5:5
जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिस ने परमेश्वर को प्रतीति नहीं की, उस ने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उस ने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।
1 यूहन्ना 5:10
मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है; कि तुम जानो, कि अनन्त जीवन तुम्हारा है।
1 यूहन्ना 5:13
हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाईं करता है।
3 यूहन्ना 1:5
हे प्रियो, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था, जिस में हम सब सहभागी हैं; तो मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था।
यहूदा 1:3
पर यद्यपि तुम सब बात एक बार जान चुके हो, तौभी मैं तुम्हें इस बात की सुधि दिलाना चाहता हूं, कि प्रभु ने एक कुल को मिस्र देश से छुड़ाने के बाद विश्वास न लाने वालों को नाश कर दिया।
यहूदा 1:5
पर हे प्रियोंतुम अपने अति पवित्र विश्वास में अपनी उन्नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए।
यहूदा 1:20
और यीशु मसीह की ओर से, जो विश्वासयोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा, और पृथ्वी के राजाओं का हाकिम है, तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे: जो हम से प्रेम रखता है, और जिस ने अपने लोहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है।
प्रकाशित वाक्य 1:5
जो दु:ख तुझ को झेलने होंगे, उन से मत डर: क्योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ; और तुम्हें दस दिन तक क्लेश उठाना होगा: प्राण देने तक विश्वासी रह; तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा।
प्रकाशित वाक्य 2:10
मैं यह तो जानता हूं, कि तू वहां रहता है जहां शैतान का सिंहासन है, और मेरे नाम पर स्थिर रहता है; और मुझ पर विश्वास करने से उन दिनों में भी पीछे नहीं हटा जिन में मेरा विश्वासयोग्य साक्षी अन्तिपास, तुम में उस स्थान पर घात किया गया जहां शैतान रहता है।
प्रकाशित वाक्य 2:13
मैं तेरे कामों, और प्रेम, और विश्वास, और सेवा, और धीरज को जानता हूं, और यह भी कि तेरे पिछले काम पहिलों से बढ़ कर हैं।
प्रकाशित वाक्य 2:19
और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
प्रकाशित वाक्य 3:14
जिस को कैद में पड़ना है, वह कैद में पड़ेगा, जो तलवार से मारेगा, अवश्य है कि वह तलवार से मारा जाएगा, पवित्र लोगों का धीरज और विश्वास इसी में है॥
प्रकाशित वाक्य 13:10
पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और यीशु पर विश्वास रखते हैं॥
प्रकाशित वाक्य 14:12
ये मेम्ने से लड़ेंगे, और मेम्ना उन पर जय पाएगा; क्योंकि वह प्रभुओं का प्रभु, और राजाओं का राजा है: और जो बुलाए हुए, और चुने हुए, ओर विश्वासी उसके साथ हैं, वे भी जय पाएंगे।
प्रकाशित वाक्य 17:14
फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूं कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है।
प्रकाशित वाक्य 19:11
और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।
प्रकाशित वाक्य 21:5
पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है॥
प्रकाशित वाक्य 21:8
फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें विश्वास के योग्य, और सत्य हैं, और प्रभु ने जो भविष्यद्वक्ताओं की आत्माओं का परमेश्वर है, अपने स्वर्गदूत को इसलिये भेजा, कि अपने दासों को वे बातें जिन का शीघ्र पूरा होना अवश्य है दिखाए।
प्रकाशित वाक्य 22:6
10 September, 2020
कल्याण क्या है? | वेलनेस क्या है? |
हमारे बारे में स्वास्थ्य एवं वेलनेस > हमारे बारे में
स्वास्थ्य एवं वेलनेस - लाभकारी ब्लॉग है, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को निवारक स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में शिक्षित करके दुनिया भर में कल्याण को सशक्त बनाने के मिशन के साथ कार्य कर रहा है।
अपने पांच आयाम - के माध्यम से हम अपनी सभी मूल्यवान जानकारी को बिना किसी मूल्य के उपलब्ध कराता है, जो किसी को भी, कहीं भी, एक्सेस करने की अनुमति देता है।
कल्याण क्या है?
वेलनेस क्या है?
वेलनेस प्राचीन जड़ों वाला एक आधुनिक शब्द है। निवारक और समग्र दोनों के रूप में कल्याण के प्रमुख सिद्धांतों को पूर्व (भारत, चीन) से पश्चिम (ग्रीस, रोम) तक की प्राचीन सभ्यताओं में खोजा जा सकता है। 19 वीं शताब्दी के यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में, पारंपरिक चिकित्सा के समानांतर विभिन्न प्रकार के बौद्धिक, धार्मिक और चिकित्सा आंदोलन विकसित हुए। समग्र और प्राकृतिक दृष्टिकोण, आत्म-चिकित्सा और निवारक देखभाल पर उनके ध्यान के साथ, इन आंदोलनों ने आज कल्याण के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है। वेलनेस-केंद्रित और समग्र तौर-तरीकों ने 1960 के दशक / 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी चिकित्सकों और विचारकों (जैसे कि हलबर्ट डन, जैक ट्रैविस, डॉन अर्देल, बिल हेटलर, और अन्य) के अनौपचारिक नेटवर्क के नेतृत्व में अधिक दृश्यता प्राप्त की है। जैसे-जैसे ये विकसित होते गए, विपुलित होते गए और मुख्यधारा में आते गए,
कल्याण को परिभाषित करना
जीवन शैली की सक्रिय खोज के रूप में कल्याण को परिभाषित करता है जो समग्र स्वास्थ्य की स्थिति की ओर ले जाता है ।
इस परिभाषा के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। सबसे पहले, कल्याण एक निष्क्रिय या स्थिर स्थिति नहीं है, बल्कि एक "सक्रिय खोज" है जो इरादों, विकल्पों और कार्यों से जुड़ा हुआ है क्योंकि हम स्वास्थ्य और भलाई के एक इष्टतम राज्य की ओर काम करते हैं। दूसरा, कल्याण समग्र स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है - अर्थात, यह शारीरिक स्वास्थ्य से परे है और कई अलग-अलग आयामों को शामिल करता है जो सद्भाव में काम करना चाहिए।
वेलनेस एक व्यक्तिगत खोज है - हमारी अपनी पसंद, व्यवहार और जीवन शैली के लिए हमारी स्वयं की ज़िम्मेदारी है - लेकिन यह उन भौतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरणों से भी काफी प्रभावित होता है जिनमें हम रहते हैं।
कल्याण अक्सर स्वास्थ्य, भलाई और खुशी जैसे शब्दों के बीच सामान्य तत्व हैं, वेलनेस होने की स्स्थित (अर्थात, खुश रहना, अच्छे स्वास्थ्य, या भलाई की स्थिति) है। कल्याण, जागरूक होने की एक सक्रिय प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है जो इष्टतम समग्र स्वास्थ्य और भलाई के परिणाम की ओर ले जाता है।
कल्याण बहुआयामी है
कल्याण सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक है। वेलनेस के अधिकांश मॉडलों में कम से कम 6 आयाम शामिल हैं :-
शारीरिक: व्यायाम, पोषण, नींद आदि के माध्यम से एक स्वस्थ शरीर।
मानसिक: सीखने, समस्या सुलझाने, रचनात्मकता आदि के माध्यम से दुनिया के साथ जुड़ाव।
भावनात्मक: संपर्क में होना, जागरूक होना, स्वीकार करना और किसी की भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होना।
आध्यात्मिक: मानव अस्तित्व में अर्थ और उद्देश्य के लिए हमारी खोज।
सामाजिक: अन्य लोगों और हमारे समुदायों के साथ जुड़ना, बातचीत करना, और योगदान देना।
पर्यावरण: खतरों से मुक्त एक स्वस्थ भौतिक वातावरण; प्राकृतिक पर्यावरण को बदनाम करने की बजाय हम बेहतर भूमिका निभाते हैं।
कल्याण को समझने का एक तरीका स्वास्थ्य को एक निरंतरता के रूप में मानना है जो बीमारी से इष्टतम कल्याण की स्थिति तक फैली हुई है। एक छोर पर, खराब स्वास्थ्य वाले रोगी बीमारियों का इलाज करने के लिए चिकित्सा प्रतिमान संलग्न करते हैं; वे डॉक्टरों और चिकित्सकों के साथ प्रतिक्रियात्मक और एपिसोडिक बातचीत करते हैं जो देखभाल प्रदान करते हैं। विपरीत छोर पर, लोग लगातार रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपनी जीवन शक्ति को अधिकतम करते हैं। वे दृष्टिकोण और जीवन शैली को अपनाते हैं जो बीमारी को रोकते हैं, स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, और जीवन की गुणवत्ता और भलाई की भावना को बढ़ाते हैं। दूसरे शब्दों में, कल्याण सक्रिय, निवारक और आत्म-जिम्मेदारी द्वारा संचालित है। कल्याण की वृद्धि इस उपभोक्ता मूल्य और विश्वदृष्टि का विस्तार है।
स्वास्थ्य और कल्याण: परिभाषा और आयाम
खुश और स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है! यह पाठ स्वास्थ्य और वेलनेस के बीच और साथ ही वेलनेस के विभिन्न आयामों के साथ और वे कैसे बातचीत करते हैं, के बीच विपरीत होगा।
स्वस्थ और खुश रहना
लोग स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करते हैं। दूसरों के स्वास्थ्य के लिए पीना चुनते हैं। पोषण या व्यायाम की दुनिया में हमेशा हर एक साल में एक नया आहार या स्वास्थ्य सनक होता है। लेकिन शायद ही कभी हम कल्याण या अच्छी तरह से व्यायाम करने के बारे में सुनते हैं। यह सब स्वास्थ्य के बारे में है। क्या स्वास्थ्य और कल्याण के बीच अंतर है?
स्वास्थ्य, कल्याण और जोखिम कारक
स्वास्थ्य को किसी व्यक्ति की समग्र मानसिक और शारीरिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है; रोग की अनुपस्थिति।
यह पूरी तरह से कल्याण के रूप में एक ही बात नहीं है। वेलनेस इष्टतम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में होने की स्थिति को संदर्भित करता है।
लेकिन वेलनेस इससे कहीं ज्यादा है। यह व्यक्तिगत जिम्मेदारी से भरा जीवन जीने के बारे में है और इसलिए किसी के संपूर्ण कल्याण के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
इसका मतलब है कि जीवन जीने वाला व्यक्ति जोखिम कारकों को नियंत्रित करता है जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। जोखिम कारक विभिन्न प्रकार की क्रियाएं या स्थितियां हैं जो किसी व्यक्ति की बीमारी या चोट की संभावना को बढ़ाती हैं।
चलो कुछ जोखिम कारकों पर एक नज़र डालें। धूम्रपान एक जोखिम कारक है। यह कई अन्य भयानक समस्याओं के बीच फेफड़ों के कैंसर के विकास के लिए एक जोखिम कारक है। पहाड़ पर चढ़ना एक जोखिम कारक है। यह टूटी हुई हड्डियों से लेकर सूजे हुए मस्तिष्क तक सब कुछ के लिए एक जोखिम कारक है।
शराब एक जोखिम कारक है। यह जिगर की क्षति के विकास के लिए एक जोखिम कारक है। असुरक्षित यौन संबंध एक जोखिम कारक भी है। हम सभी जानते हैं कि आप असुरक्षित यौन संबंध के साथ कुछ बहुत ही खराब यौन संचारित रोग प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें एचआईवी भी शामिल है।
कल्याण के प्रकार
यह कहा जा रहा है, जैसे कि कई अलग-अलग प्रकार के जोखिम कारक हैं, वास्तव में कल्याण के विभिन्न आयाम भी हैं - कोई भी उद्देश्य नहीं है। दरअसल, उनमें से कई हैं। आइए नज़र डालते हैं कि वे क्या हैं।
कल्याण का एक आयाम भौतिक है ।
इसका मतलब है कि हम व्यायाम करते हैं, अच्छी तरह से खाते हैं, सुरक्षित जीवन यापन का अभ्यास करते हैं, इमारतों से कूदने जैसी कोई खतरनाक गतिविधि नहीं करते हैं, और इसी तरह। शारीरिक फिटनेस से शारीरिक स्वस्थता बढ़ती है। शारीरिक रूप से फिट और अच्छी तरह से होने से, आप अपने आप को और दूसरों की देखभाल करने में सक्षम होते हैं, विशेषकर आवश्यकता के समय में। आप बीमारी और बीमारी को रोकने में भी बेहतर हैं।
एक और आयाम बौद्धिक है :
महत्वपूर्ण सोच, जिज्ञासु होना और हमेशा नई चीजें सीखना। बौद्धिक कल्याण विकसित करना न केवल एक व्यक्ति को स्कूल में बढ़ने और काम पर बेहतर करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वास्तव में बीमारी की शुरुआत को रोकता है। यह दिखाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से नई चीजें सीखते हैं और अपने दिमाग को चुनौती देते हैं, वे कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
एक और आयाम भावनात्मक है :
आत्मविश्वास होना, एक ठोस आत्मसम्मान होना, विश्वास का निर्माण करना, और दूसरे की भावनाओं को समझने में सक्षम होना। एक व्यक्ति जो भावनात्मक रूप से अच्छी तरह से अपनी भावनाओं से अवगत है और उनके साथ ठीक से सामना करने में सक्षम है। भावनात्मक कल्याण भी तात्पर्य एक व्यक्ति तनावपूर्ण स्थितियों से अच्छी तरह से निपट सकता है।
इसके अलावा, कल्याण का एक पारस्परिक आयाम है:
अच्छा संचार कौशल, अच्छे और स्वस्थ दीर्घकालिक संबंध स्थापित करने की क्षमता, और परिवार और दोस्तों के साथ अच्छे संबंध रखने की क्षमता। एक अच्छी भावनात्मक और शारीरिक स्थिति बनाए रखने के लिए पारस्परिक संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम निश्चित रूप से, 'जानवरों को पैक' करते हैं, इसलिए बोलने के लिए, कि जीवित रहने और अच्छी तरह से जीने के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहें।
कल्याण का एक आध्यात्मिक आयाम भी है :
जीवन में उद्देश्य और अर्थ की भावना रखना, करुणा, क्षमा, देखभाल करना। आध्यात्मिक कल्याण किसी व्यक्ति के जीवन में धर्म की आवश्यकता को स्वतः नहीं दर्शाता है। ये वही चीजें हैं जिन्हें आसानी से विकसित किया जा सकता है और प्रकृति, ध्यान, स्वयंसेवक काम और परिवार जैसी चीजों के माध्यम से पाया जा सकता है।
स्वास्थ्य और कल्याण के बीच संबंध
स्वास्थ्य और कल्याण को अक्सर एक-दूसरे के लिए इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि अवधारणाओं में कुछ भिन्नताएं हैं जो मान्यता के योग्य हैं। लेकिन स्वास्थ्य और कल्याण के बीच अंतर क्या है और आप दोनों को प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से कैसे काम कर सकते हैं? कल्याण बनाम स्वास्थ्य के बारे में दबाव वाले सवालों का पता लगाएं!
जब लोग स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में सोचते हैं, तो वे अक्सर परस्पर संयोजन करते हैं और उनका उपयोग करते हैं।
हालाँकि, दो अवधारणाएँ काफी परिवर्तनशील हैं, हालाँकि आप वास्तव में एक दूसरे के बिना नहीं हो सकते। यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं, लेकिन पहले, हम इस बात की रूपरेखा तैयार करेंगे कि वे किसके लिए खड़े हैं।
स्वास्थ्य और कल्याण क्या है?
स्वास्थ्य बनाम कल्याण को समझना उनकी संबंधित परिभाषाओं को अलग करने से शुरू होता है:
स्वास्थ्य और कल्याण की परिभाषाएँ
स्वास्थ्य:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा परिभाषित , स्वास्थ्य "पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है, न कि केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति।"
इसके अलावा, स्वास्थ्य के प्राथमिक निर्धारकों में सामाजिक, आर्थिक और भौतिक वातावरण शामिल हैं, साथ ही व्यक्ति की व्यक्तिगत विशेषताओं और व्यवहारों में जाति, धर्म, राजनीतिक विश्वास, आर्थिक या सामाजिक स्थिति के भेद के बिना।
कल्याण:
फिर, "कल्याण क्या है?" आप पूछ सकते हैं?
डब्ल्यूएचओ कल्याण को परिभाषित करता है "स्वास्थ्य व्यक्तियों और समूहों के इष्टतम राज्य 'के रूप में है और यह भी रूप में व्यक्त किया जाता है" रहने के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण। " और मरियम-वेबस्टर के अनुसार, कल्याण "अच्छे स्वास्थ्य में विशेष रूप से सक्रिय लक्ष्य के रूप में होने की स्थिति की गुणवत्ता है।"
सामंजस्यपूर्ण रूप से, वेलनेस परिवर्तन और वृद्धि की एक सक्रिय और गतिशील प्रक्रिया है, जो किसी की पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए है और इसका उद्देश्य समग्र भलाई को बढ़ाना है। वेलनेस आठ अलग-अलग घटकों से मिलकर बनता है ,
जिसमें
भावनात्मक,
पर्यावरणीय,
वित्तीय,
बौद्धिक,
व्यावसायिक,
शारीरिक,
सामाजिक और
आध्यात्मिक कल्याण शामिल हैं।
स्वास्थ्य बनाम कल्याण के बीच का अंतर
स्वास्थ्य और कल्याण की परिभाषाओं के अनुसार, स्वास्थ्य का समग्र स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जो स्वस्थ, सुखी और पूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य और कल्याण के बीच प्राथमिक अंतर यह है कि स्वास्थ्य लक्ष्य है और कल्याण इसे प्राप्त करने की सक्रिय प्रक्रिया है।
कई कारणों से दो मामलों के बीच के अंतर को जानने के साथ-साथ यह पहचान कर कि हम हमेशा अपने स्वास्थ्य की स्थिति का चयन नहीं कर सकते हैं, हमारे पास कल्याण के प्रति सक्रिय निर्णय लेने के लिए जागरूक विकल्प है। निम्नलिखित परिदृश्य आपको कल्याण बनाम कल्याण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं:
• स्वास्थ्य: हृदय रोग के लिए एक पूर्वसूचना, कम उम्र में टाइप I मधुमेह का निदान, या एक अप्रत्याशित मस्तिष्क की चोट।
• कल्याण: संतुलित आहार खाने का विकल्प बनाना, अधिक बार व्यायाम करना और नियमित रूप से डॉक्टर के दौरे का समय निर्धारित करना।
इसके अलावा, ज्यादातर लोगों का मानना है कि पैमाने पर एक निर्धारित संख्या प्राप्त करना स्वास्थ्य को निर्धारित करता है, फिर भी जैसा कि पहले हाइलाइट किया गया था, आप वास्तव में पहले कल्याण प्राप्त किए बिना स्वास्थ्य नहीं रख सकते। इसलिए स्वास्थ्य के लिए अपने स्वयं के लक्ष्यों को निर्धारित करने से पहले, पूछें कि आप वास्तव में अपने नए मांगे गए परिवर्तन से क्या चाहते हैं और विचार करें:
• आप वास्तव में अपना वजन कम क्यों करना चाहते हैं?
• सकारात्मक बदलाव कैसे आपके जीवन को प्रभावित करेंगे?
• क्या आप इसे अपने लिए कर रहे हैं या दूसरों को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं?
• क्या यह अल्पकालिक या दीर्घकालिक लक्ष्य है?
• आप अपने जीवन के किन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं?
• आपके पास किस तरह का सपोर्ट सिस्टम है?
अंततः, यह जानना कि आप वास्तव में स्वास्थ्य और कल्याण से क्या चाहते हैं, एक व्यक्तिगत योजना को चलाने में मदद कर सकता है जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करता है।
स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए टिप्स
जबकि आप एक लक्ष्य वजन घटाने और स्वास्थ्य लक्ष्य बना सकते हैं, स्थिरता कल्याण के विभिन्न घटकों के भीतर सक्रिय रूप से सुधार पर निर्भर करता है। ये टिप्स निरंतर आधार पर पोषण में मदद कर सकते हैं:
1. साबुत खाद्य पदार्थ खाएं
जबकि आहार मुख्य रूप से शारीरिक स्थिति को प्रभावित करने के लिए देखा जाता है, भोजन में भोजन और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक अच्छी तरह से समझी गई कड़ी है , जिसमें याददाश्त बढ़ाने और मूड में सुधार शामिल है।
पर्याप्त पोषक तत्वों को सुनिश्चित करने का एक प्राकृतिक तरीका है बॉक्सिंग और प्रसंस्कृत उत्पादों के बजाय पूरे खाद्य पदार्थों का सेवन करना। साबुत अनाज, फल और सब्जी, दुबले और पौधे आधारित प्रोटीन और स्वस्थ वसा स्रोतों के आहार का तुलना करें।
आहार में संपूर्ण खाद्य पदार्थों को शामिल करने का एक निश्चित तरीका भी है, क्योंकि प्रत्येक भोजन पर्याप्त प्रोटीन, जटिल कार्बोहाइड्रेट और फाइबर के साथ संतुलित होता है, और स्वस्थ वसा न केवल एक स्वस्थ वजन का समर्थन करता है, बल्कि पोषक तत्वों के साथ शरीर को उपहार में देता है। स्वास्थ्य समर्थन स्वस्थ वजन भोजन प्रस्तुत करने के तनाव को कम करता है।
2. नियमित व्यायाम करें
व्यायाम एक स्वस्थ दिमाग और शरीर को उत्तेजित करता है और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन साप्ताहिक रूप से कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि की सिफारिश करता है।
लेकिन आप एक संरचित कसरत की नीरसता से भी दूर हो सकते हैं, क्योंकि उच्चतम महत्व एक गतिहीन जीवन शैली को खारिज कर रहा है। कुत्ते को टहलते हुए, दोस्तों के साथ लंबी पैदल यात्रा और एक लिफ्ट पर कदम उठाते हुए अपने दिन में गतिविधि बढ़ाएँ।
जब भी संभव हो पैदल चलना और बाइक चलाना न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है, बल्कि ईंधन उत्सर्जन को कम करके पर्यावरणीय कल्याण का समर्थन करता है।
3. मानसिक व्यायाम, भी गले लगाओ
ज्यादातर लोग मानसिक व्यायाम पर विचार नहीं करते हैं जब वे शारीरिक रूप से फिट होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस प्रकार की गतिविधियां वास्तव में आपके लक्ष्यों को अधिक पर्याप्त रूप से प्राप्त करने और मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती हैं!
बुरी परिस्थितियों से निपटने दैनिक मस्तिष्क अभ्यास समर्थन बौद्धिक कल्याण में मदद करता है, जबकि योग या मानसिक और शारीरिक गतिविधियों के अन्य संयोजन का अभ्यास में मदद कर वजन घटाने की दिशा में एक बेहतर रवैया को बढ़ावा दे सकते हैं ।
4. गुणवत्ता नींद प्राप्त करें
नींद आपके दिमाग और शरीर के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह याददाश्त और एकाग्रता को मजबूत करती है, तनाव की तीव्रता को कम करती है, दैनिक ऊर्जा को बढ़ाती है, क्रेविंग को कम करती है और भूख के स्तर को नियंत्रित करती है।
आवश्यकतानुसार कम बिजली की झपकी लेने से इस तरह के लाभों के लिए अपना रास्ता बनाएं और नियमित रूप से पूरी रात आराम करें। नेशनल स्लीप फाउंडेशन स्वस्थ वयस्कों को रात के आधार पर सात से नौ घंटे की गुणवत्ता के लिए प्रोत्साहित करता है।
यदि प्रत्येक रात को सोने के अनुशंसित घंटों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना हो , तो शयनकक्षों के अनुरूप रहने, इलेक्ट्रॉनिक्स से शक्ति प्राप्त करने, अपने कमरे के वातावरण का मूल्यांकन करने और विश्राम तकनीकों का अभ्यास करके एक सोने की दिनचर्या बनाएं ।
5. आराम का दिन लें
रात के आधार पर पर्याप्त नींद प्राप्त करने के अलावा, अपने आप को आराम और वसूली के दिनों की अनुमति दें।
सप्ताह के एक दिन कुछ सहज करने के लिए सुनिश्चित करें या एक सप्ताहांत यात्रा की योजना बनाएं, जिसे आप आगे देख सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने से पूरी "डाइटिंग" प्रक्रिया अधिक सुखद हो जाती है। (और जीवन का आनंद लिया जाना चाहिए!)
यहां तक कि अगर आप हर सप्ताहांत को दूर नहीं कर सकते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप छोटी चीजें करते हैं जो आप अपने दिन से प्यार करते हैं। यह इत्मीनान से टहलने, पार्क में टहलने या मूवी देखने के लिए एक शाम बिताने के जैसा ही कुछ सरल हो सकता है।
6. सामाजिक समर्थन
सामाजिक मंडलियां और समर्थन नेटवर्क समग्र भलाई और उद्देश्य की भावना के लिए अमूल्य हैं।
अच्छे रिश्ते हमें खुश और स्वस्थ रखने के लिए ही होते हैं, हमें मानव के रूप में दूसरों से जुड़ाव महसूस करने की आवश्यकता है, ये हमारी मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है जिसे पूरा करने की आवश्यकता है।
परिवार के सदस्यों, मित्रों, पड़ोसियों और सहकर्मियों सहित अपने सबसे मजबूत समर्थकों के लिए ये हो सकता है कि आपस में मिलकर रहें, जैसे आप उन्हें घर का बना खाना खिलाने बुलाएं या व्यायाम कक्षा के लिए आमंत्रित करके अपनी कल्याण यात्रा में शामिल करें या उनकी कक्षा में शामिल हो सकते हैं।
7. यात्रा का आनंद लें
जब आप एक लक्ष्य वजन घटाने और स्वास्थ्य लक्ष्य बना सकते हैं, तो स्थिरता वेलनेस पर विभिन्न घटकों के सक्रिय रूप से चलने लगती है।
अकेले बड़े करतबों से अभिभूत महसूस करने के बजाय, छोटे कार्यों को लें, आवश्यकतानुसार पुन: रणनीति बनाएं, खुद को सकारात्मक लोगों के साथ घेरें, यात्रा को गले लगाएं, और व्यक्तिगत पूर्णता और कल्याण प्राप्त करने की प्रक्रिया का आनंद लें!
The Relationship Between Health and Wellness
Health and wellness are often used interchangeably, though the concepts do have some variances that deserve recognition. But what is the difference between health and wellness and how can you actively work to achieve both? Find out the pressing questions regarding wellness vs health here!
The Relationship Between Health and Wellness
When people think of health and wellness, they often combine and use them interchangeably.
However, the two concepts are quite variable, though you cannot really have one without the other. Here are some reasons why, but first, we will outline what each they stand for.
What Is Health and Wellness?
Understanding health vs wellness begins by isolating their respective definitions:
The Definitions of Health and Wellness
Health:
Defined by the World Health Organization (WHO), health is "a state of complete physical, mental and social well-being and not merely the absence of disease or infirmity."
Furthermore, the primary determinants of health include social, economic, and physical environments, along with the person’s individual characteristics and behaviors without distinction of race, religion, political belief, economic or social condition.
Wellness:
Then, "What is wellness?" you may ask?
The WHO defines wellness as "the optimal state of health individuals and groups" and is also expressed as "a positive approach to living." And wellness is "the quality of state of being in good health especially as an actively sought goal."
Cohesively, wellness is an active and dynamic process of change and growth to reach one’s fullest potential and aims to enhance overall wellbeing. Wellness is also comprised of eight different components, including emotional, environmental, financial, intellectual, occupational, physical, social, and spiritual wellness.
The Difference Between Health vs Wellness (and Why It Matters)
According to health and wellness definitions, wellness has a direct influence on overall health, which is essential for living a healthy, happy, and fulfilled life. The primary difference between health and wellness is that health is the goal and wellness is the active process of achieving it.
Knowing the distinction between the two matters for a number of reasons, including by recognizing while we cannot always choose the state of our health, we do have the conscious choice to make active decisions towards wellness. The following scenarios can help you better grasp heath vs wellness:
• Health: A predisposition to heart disease, diagnosis of type I diabetes at an early age, or an unexpected brain injury.
• Wellness: Making the choice to eat a balanced diet, exercise more often, and schedule regular doctor visits.
Furthermore, most people attribute achieving a set number on the scale dictates health, yet as previously highlighted, you cannot truly have health without first achieving wellness. So before setting your own goals for health, ask what you really want out of your new sought out transformation and consider:
• Why do you truly want to lose weight?
• How will making positive changes impact your life?
• Are you doing it for yourself or trying to satisfy others?
• Is this a short-term or long-term goal?
• Which areas in your life do you want to focus on?
• What sort of support system do you have?
Ultimately, knowing what you truly want from health and wellness can help drive a personal plan that works best for you.
Tips to Improve Health and Wellness
Whereas you can make a target weight loss and health goal, sustainability relies on actively improving within the different components of wellness. These tips can help nurture an ongoing basis:
1. Eat Whole Foods
While diet tends to be primarily viewed to impact physical condition, food has a well understood link between food and mental health, including boosting memory and improving mood.
A natural way to ensure adequate nutrients is by consuming whole foods rather than boxed and processed products. Comprise the diet of whole grains, fruits and veggies, lean and plant-based proteins, and healthy fat sources.
A sure way to include whole foods in the diet, as each meal is balanced with adequate protein, complex carbohydrate and fiber, and healthy fat to not only support a healthy weight, but gift the body with nutrients it requires for optimal health support healthy weight alleviate the stress of meal prep.
2. Exercise Regularly
Exercise stimulates a healthy mind and body and the American Heart Association recommends at least 150 minutes of physical activity weekly.
But you can also break away from the monotony of a structured workout regimen, as the highest importance is dismissing a sedentary lifestyle. Increase activity in your day by walking the dog, hiking with friends, and taking the steps over an elevator.
Walking and biking whenever possible not only emboldens both physical and mental health, but supports environmental wellness by reducing fuel emission. (And not to mention, saving on gas money!)
3. Embrace Mental Exercises, Too
Most people do not consider mental exercises when they are trying to get fit physically, but these types of activities can actually help you achieve your goals more sufficiently and boost brain power!
Tackling daily brain exercises helps support intellectual wellness, while practicing yoga or other combinations of mental and physical activities can help promote a better attitude towards weight loss.
4. Achieve Quality Sleep
Sleep is important for your mind and body, as it strengthens memory and concentration, lowers stress intensities, increases daily energy, diminishes cravings, and regulates hunger levels.
Sleep your way to such benefits by taking short power naps as needed and getting a full night’s rest on a regular basis. The National Sleep Foundation encourages healthy adults to sleep seven to nine hours of quality on a nightly basis.
If struggling to achieve the recommended hours of sleep each night, create a bedtime routine by staying consistent with bedtimes, powering down from electronics, evaluating your room environment, and practicing relaxation techniques.
5. Take a Day of Rest
In addition to achieving adequate sleep on a nightly basis, allow yourself days of rest and recovery.
Make sure to take one day out of the week to do something spontaneous or plan out a weekend trip you can look forward to, as doing so makes make the whole "dieting" process more enjoyable. (And life should be enjoyed!)
Even if you cannot get away every weekend, make sure you do small things that you love on your day off. This could be something as simple as going for a leisurely stroll, taking a walk in the park, or spending an evening relaxing to a movie.
6. Bask in Social Support
Social circles and support networks are invaluable for overall wellbeing and a sense of purpose.
A 75-year old study discovered good relationships keep us happier and healthier, though the data truly is not so surprising. We as human need to feel connected to others is one of our basic needs that need to be met.
Form and turn to your strongest supporters, including family members, friends, neighbors, and coworkers. You can likewise get them involved in your wellness journey by inviting them over for a home cooked meal or exercise class.
7. Enjoy the Journey
While you can make a target weight loss and health goal, sustainability relies on actively going through the different components on wellness.
And rather than feeling overwhelmed with large feats alone, take on small tasks, re-strategize as needed, surround yourself with positive people, embrace the journey, and enjoy the process of achieving personal fulfillment and wellness
Being Healthy and Happy
People exercise to be healthy. Others choose to drink to one's health. There is always a new diet or health fad every single year in the world of nutrition or exercise. But rarely do we hear of wellness fads or exercising to be well. It's all about health. Is there a difference between health and wellness?
Health, Wellness, and Risk Factors
Health is defined as the overall mental and physical state of a person; the absence of disease.
This isn't entirely the same thing as wellness. Wellness refers to the state of being in optimal mental and physical health.
But wellness is more than that. It's about living a life full of personal responsibility and therefore taking proactive steps for one's entire well-being.
This means that a person living life very well controls risk factors that can harm them. Risk factors are different types of actions or conditions that increase a person's chances for illness or injury.
Let's take a look at just some risk factors. Smoking is a risk factor. It is a risk factor for developing lung cancer among many other terrible problems. Mountain climbing is a risk factor. It is a risk factor for everything from broken bones to a swollen brain.
Alcohol is a risk factor. It is a risk factor for developing liver damage. Unprotected sex is a risk factor as well. We all know that you can get some very nasty sexually transmitted diseases with unprotected sex, including HIV.
Types of Wellness
That being said, just like there are many different types of risk factors, there are actually different dimensions of wellness as well - no pun intended there. Actually, there are several of them. Let's take a look at what they are.
One dimension of wellness is physical. This means we exercise, eat well, practice safe living, don't do any dangerous activities like jumping off of buildings, and so on. Physical fitness increases physical wellness. By being physically fit and well, you are better able to take care of yourself and others, especially in a time of need. You are also better able to prevent illness and disease.
Another dimension is intellectual: Critical thinking, being curious, and always learning new things. Developing intellectual wellness is critical not only to help a person grow in school and do better at work, but it actually prevents the onset of disease. It's been shown that people who regularly learn new things and challenge their mind can stave off many mental health problems.
A further dimension is emotional: Being confident, having a solid self-esteem, building trust, and being able to understand another's feelings. A person who is emotionally well is aware of their feelings and is able to properly cope with them. Emotional wellness also implies a person can deal well with stressful situations.
Furthermore, there is an interpersonal dimension of wellness: Having good communication skills, the ability to establish good and healthy long-term relationships, and having good relationships with family and friends. Interpersonal relationships are very important in order to maintain a good emotional and physical state of being. We are, of course, 'pack animals,' so to speak, that depend on one another to survive and live well.
There is also a spiritual dimension of wellness: Developing compassion, forgiveness, being caring, having a sense of purpose and meaning in life. Spiritual wellness doesn't automatically imply the need for religion in a person's life. These same things can just as easily be developed and found through things like nature, meditation, volunteer work, and family.
POSITIVE ATTITUDE :-
सकारात्मक आपकी आंतरिक शक्ति है और यह आपके अपने मन शरीर और आत्मा का अपना दृष्टिकोण है। यह उन चीजों से विचलित होने के लिए मानव स्वभाव है जो आपके दिल या दिमाग के लिए बंद नहीं हैं। 1 प्रिंसिपल मैं हमेशा अपने जीवन में पालन करता हूं, यह सीखना है कि दुनिया में हर चीज हमेशा आपकी नहीं होती है, इसलिए कई बार उन चीजों को आप इसे पसंद करेंगे या जिन चीजों या गतिविधियों को आप करना चाहते हैं, लेकिन आवश्यक दुनिया इसे स्वीकार नहीं करेगी। इसलिए यह स्वीकार करना सीखें कि आपको हमेशा अपने रास्ते पर संभालना होगा या ब्लॉक करना होगा, आपको कला को सीखना होगा कि आप इसे कैसे पार कर सकते हैं और चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में, आप पेशेवरों के साथ संलग्न नहीं होंगे, ताकि जब आपके बुखार में चीजें हों तो आपको निराश न होना पड़े। दूसरी महत्वपूर्ण चीजें हमेशा अपने भीतर की ताकत पर विश्वास करती हैं। कभी-कभी आपको अपने आंतरिक शक्ति निर्णयों के साथ कुछ समय के लिए सही रास्ता मिल जाएगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी भी बड़े फैसले को लागू करने में सक्षम नहीं हैं। सफलता के साथ, आपको अपने साथ मनाए जाने के लिए सीखना होगा असफल आपको अपने आत्म का विश्लेषण करना सीखना होगा। दोनों क्रियाएं उन्मुख हैं जो हमेशा आपकी मानसिक स्थिति से जुड़ी रहेंगी। मन की स्थिति आपके सकारात्मक अक्षांश में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, और मेरा मानना है कि मेरा खुद के दिमाग़ स्टूटस पर मजबूत नियंत्रण है, जहां मैंने कभी हार नहीं मानी, मैं कोशिश करता रहता हूं और अपने आप को प्रेरित करता रहता हूं, मुझे किसी के कहने का इंतजार नहीं है अच्छा या बुरा क्योंकि मेरा मानना है कि यह मेरी खुद की आत्मा है मुझे पुरस्कृत करने के लिए मेरे साथ रहना होगा। आपको अपने साथ मनाए जाने के लिए सीखना होगा असफल आपको अपने आत्म का विश्लेषण करना सीखना होगा। दोनों क्रियाएं उन्मुख हैं जो हमेशा आपकी मानसिक स्थिति से जुड़ी रहेंगी। मन की स्थिति आपके सकारात्मक अक्षांश में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, और मेरा मानना है कि मेरा खुद के दिमाग़ स्टूटस पर ज़ोरदार नियंत्रण है, जहाँ मैंने कभी हार नहीं मानी, मैं कोशिश करता रहता हूँ और अपने आप को प्रेरित करता रहता हूँ, मुझे किसी का भी इंतज़ार नहीं है अच्छा या बुरा क्योंकि मेरा मानना है कि यह मेरी खुद की आत्मा है मुझे पुरस्कृत करने के लिए मेरे साथ रहना होगा। आपको अपने साथ मनाए जाने के लिए सीखना होगा असफल आपको अपने आत्म का विश्लेषण करना सीखना होगा। दोनों क्रियाएं उन्मुख हैं जो हमेशा आपकी मानसिक स्थिति से जुड़ी रहेंगी। मन की स्थिति आपके सकारात्मक अक्षांश में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, और मेरा मानना है कि मेरा खुद के दिमाग़ स्टूटस पर मजबूत नियंत्रण है, जहां मैंने कभी हार नहीं मानी, मैं कोशिश करता रहता हूं और अपने आप को प्रेरित करता रहता हूं, मुझे किसी के कहने का इंतजार नहीं है अच्छा या बुरा क्योंकि मेरा मानना है कि यह मेरी खुद की आत्मा है मुझे पुरस्कृत करने के लिए मेरे साथ रहना होगा।
स्वास्थ्य और वेलनेस पर ध्यान देने का समय है
वेलनेस पर फोकस के साथ फियर को बदलें
हम आपको कोरोनोवायरस महामारी के दौरान कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सकारात्मक रूप से अच्छी तरह से आंदोलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं - और भय और चिंता से सकारात्मकता, लचीलापन और आशावाद में स्थानांतरित करते हैं।
केंद्रीय मस्तिष्क की आदत जो मुझे बेहतर सोने में मदद करती है, कम तनाव महसूस करती है और अधिक ध्यान केंद्रित करती है - जिनमें से सभी मुझे अधिक सकारात्मक रहने में मदद करते हैं - एक नियमित ध्यान आदत है। विज्ञान ठोस है, लेकिन यह शोर में या "अध्ययन से पता चला है" के आलसी क्लिच में खो जाता है। निरपेक्ष कुंजी ने काम किया है कि किस प्रकार का ध्यान आदत मेरे जीवन के लिए विशेष रूप से काम करेगा, "एक आकार सभी" जवाबों की कोशिश करने के वर्षों के बाद। अब मैं उस यात्रा में दूसरों की मदद करता हूं |
कोविद 19 महामारी जिसने हमारे घर, ग्रह पृथ्वी पर हमला किया था, हम सभी को खोए और अनिश्चितता के समान दुःख का एहसास कराते हैं। लेकिन, हमारे प्यारे ग्रह पृथ्वी के लिए सबसे अच्छा समाधान खोजने के लिए एक साथ काम करके, हम अपने सर्वोत्तम तरीकों से सभी चीजों को दूर कर सकते हैं।
मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि सभी अच्छे कारणों से होते हैं। परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, इस महामारी में सभी चुनौतियाँ देता है, इसलिए हम मनुष्य अपनी दुनिया की मरम्मत सबसे अच्छे तरीके से करते हैं।
अपने जीवन के हर चरण में सकारात्मक बने रहना एक बेहतर जीवन जीने का एकमात्र तरीका है।
प्रत्येक क्षण अवसर प्रदान करता है, और हमें प्रत्येक क्षण में मौजूद रहना चाहिए ताकि वे जीवन से प्रतिक्रिया देने के डर से एक क्वांटम छलांग ले सकें। एक साथ हम विस्तार समाधानों को प्रकट करने और सभी मानवता को लाभ पहुंचाने के लिए परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक लचीलापन में टैप कर सकते हैं। हमारे पास एक विकल्प है: हम दुनिया को निराशा और अराजकता में देख सकते हैं या हम ज्ञान के एक अभिसरण तक पहुंचने के लिए करुणा, सहयोग और जागरूक जागरूकता को गले लगा सकते हैं। व्यक्तिगत रूप से, मैं बाद का चयन करता हूं!
-
सफलता की ABC's A= AMBITION + ATTITUDE + AWARENESS + ACTION = ACHIEVEMENT B = BELIEVE + BIG THINKING + BRAVE = BLESSINGS,B = BE A FIGHTER...
-
Full Form AAI Airport Authority of India ABG Arterial Blood Gas ABP Anandabazar Patrika News ABM Anti Ballistic Missile ABS A...
-
100 Amazing Motivational Quotes to inspire and encourage you on your health journey Embarking on a journey to better health is a path that o...