06 October, 2018

भजन संहिता -अध्याय 1





भजन संहिता -अध्याय 1

































































































































  1. भजन संहिता 1: 1
    क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है!




  2. भजन संहिता 1: 2
    परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।




  3. भजन संहिता 1: 3
    वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।।




  4. भजन संहिता 1: 4
    दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।




  5. भजन संहिता 1: 5
    इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;




  6. भजन संहिता 1: 6
    क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।।





                           -(मसीही धर्म ग्रंथ -बाइबिल से साभार)

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