*परमात्मा भाग्य नहीं लिखता...,*
*जीवन के हर कदम पर हमारी सोच,
हमारे बोल, वह हमारे कर्म ही
हमारा भाग्य लिखते हैं...!!*
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*प्रार्थना शब्दों से नहीं*
*दिल से होनी चाहिये*
*क्योंकि*
*ईश्वर उनकी भी सुनते है*
*जो बोल नहीं पाते.!!*
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*हम भी लगाव रखते हैं*
*पर बोलते नहीं,*
*क्योंकि हम रिश्ते निभाते हैं*
*तौलते नहीं...*
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*ऊँचा उठने के लिए पंखों की
आवश्यकता केवल पक्षियों को ही पड़ती है..*
*मनुष्य तो जितना विनम्रता से
झुकता है उतना ही ऊपर उठता है।।*
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*रात को फूल को भी नही मालूम की*
*उसे सुबह मंदिर पर जाना है*
*या कब्र पर जाना है,*
*इसलिये जिंदगी जितनी
जीओ मस्ती से जीओ।।*
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*जिसकी मस्ती जिंदा है*
*उसकी हस्ती जिंदा है*
*वरना*
*यूँ समझ लो कि*
*वह*
*जबरदस्ती जिंदा है।*
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*अच्छे व्यक्ति को समझने के लिए अच्छा हृदय चाहिये*
*न कि अच्छा दिमाग*
*क्योंकि दिमाग हमेशा तर्क करेगा*
*और हृदय हमेशा प्रेम--भाव देखेगा ।।**
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*किस्मत की एक आदत है*
*कि वो पलटती जरुर है ,*
*और जब पलटती है, तब*
*सब पलट कर रख देती है*
*इसलिए अच्छे दिनों में कभी
गुरुर ना करना और
बुरा वक्त आए तो
थोड़ा सब्र जरुर करना...!!*
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*मन ऐसा रखो कि*
*किसी को बुरा न लगे* ।
*दिल ऐसा रखो कि*
*किसी को दुःखी न करें*।
*रिश्ता ऐसा रखो कि*
*उसका अंत न हो*
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*कोई भी व्यक्ति हमारा* *मित्र
या शत्रु बनकर संसार में नही आता*..
*हमारा व्यवहार और शब्द ही
लोगो को मित्र और शत्रु बनाते है*..
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