Welcome to "Wellness 2025," your compass to a healthier, happier, and more fulfilling future. Our blog is a dedicated space where we explore the latest trends, insights, and strategies for achieving holistic wellness in the years leading up to 2025 and beyond.
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करता हूँ मैं तेरी चिन्ता, तू क्यों चिन्ता करता हैं आंसुओं कि घाटियों में , हाथ न छोडूंगा तेरा (2) (1) मेरी महिमा तू देखेगा खुद को मेरे हाथो में देदे (2) मेरी शक्ति मैं तुझको देता हूँ चलाऊँगा हर दिन मेरी कृपा में (2) करता हूँ मैं तेरी चिन्ता, तू क्यों चिन्ता करता हैं आंसुओं कि घाटियों में ,हाथ न छोडूंगा तेरा (2) (2) सभी तुझको भूलेंगे तो भी क्या मैं तुझको भूलूँगा कभी (2) अपने हाथों में तुझे उठाकर चलाऊँगा हर दिन इसी जगह में (2) करता हूँ मैं तेरी चिन्ता, तू क्यों चिन्ता करता हैं आंसुओं कि घाटियों में ,हाथ न छोडूंगा तेरा (2) ( 3 )अब्रहाम का मैं परमेश्वर हूँ अद्भुत कार्य क्यूँ न करूँगा (2) लाल सागर में रसता दिया आज भी मैं करने के योग्य हूँ (2) करता हूँ मैं तेरी चिन्ता, तू क्यों चिन्ता करता हैं आंसुओं कि घाटियों में ,हाथ न छोडूंगा तेरा (2)